उत्तराखंड : जोरावर सिंह को इतिहास में वो स्थान नहीं मिला जिसके वो हकदार थे

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उत्तराखंड ब्यूरो

वीर डोगरा राजपूत योद्धा जनरल ज़ोरावर सिंह कहलूरीआ को जो स्थान भारत के इतिहास में मिलना चाहिए था वो उन्हे नहीं मिला, हिमालय में की दुर्गम पहाड़ियों पर राज करने वाला ये योद्धा  तकलाकोट (तिब्बत) में वीरगति को प्राप्त हुए थे, डोगरा शेर के चरणों में कोटि कोटि नमन।

#लद्दाख_को_भारत के नक़्शे में लाने वाले #जनरल_जोरावर_सिंह कहलुरिया की महान उपलब्धिया जो आज तक भारत देश के काम आ रही हैं।

400 वर्षो तक गिलगिट-बाल्टिस्तान-स्कार्दू का इलाका अफगानिस्तान का हिस्सा बना हुआ था, यहां 4 सदियों से अफगानों का राज था, जोरावर सिंह ने यहां अफगानों को हराकर इसे जम्मू कश्मीर में मिलाया, अगर जनरल ज़ोरावर सिंह जी ये हिस्सा न जीतते तो ये ज़मीन का हिस्सा आज अफ़ग़ानिस्तान का हिस्सा होता। भले ही आज ये धरती पाक अधिकृत कश्मीर के नाम से जानी जाती है, पर आज भारत उस भाग पर अपना दावा करता है तो सिर्फ जनरल ज़ोरावर सिंह जी की बहादुरी की बदौलत।

उसके बाद उन्होंने लेह और लदाख और अक्साई चीन को जीता जो उस वक्त तिब्बती साम्राज्य का हिस्सा था और तिब्बत चीन का सहयोगी देश था, आप यह भी कह सकते हैं कि तिब्बत और लेह-लद्दाख चीन के अधीन था और वो उस भाग को अपना हिस्सा समझते थे, जनरल जोरावर सिंह न होते तो लेह-लद्दाख भी आज चीन का हिस्सा बन चुका होता।

आज के भारत के जम्मू एंड कश्मीर के 65% भाग लेह-लद्दाख ही है जो आज जनरल ज़ोरावर सिंह जी की ही बदौलत है। लेह लद्दाख जीतने के बाद जनरल साहब ने पुरा वेस्ट तिब्बत जीत लिया।

उसके बाद उन्होंने तकलाकोट जीत लिया जहाँ उन्होंने चीन और तिब्बती सैनिको को मार भगाया। सबसे पहले उन्होंने मानसरोवर झील में अपने सैनिको के साथ स्नान किया और महादेव का आशीर्वाद लिया। सोचने वाली बात है कि 200 वर्ष पूर्व किस तरह जनरल साहब और उनके सैनिक सियाचिन ग्लेशियर को जीतते हुए आगे बढ़ रहे होंगे जो आज भी बेहद मुश्किल है।

चीन औऱ तिब्बत की संयुक्त सेना से लड़ते हुए जनरल ज़ोरावर सिंह जी जब वीरगति को प्राप्त हुए तो अपने पीछे कई 1000 मील का इलाका अफ़ग़ानों, चीनीओं और तिब्बतो से जीत कर हिन्दू डोगरा राजपूत साम्राज्य में मिला चुके थे, और हिन्दुओ के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्थान कैलाश मानसरोवर भी साम्राज्य में मिला चुके थे, जो 1947 के बाद आज़ाद भारत के सियासतदानो ने चीन के हाथो गवा डाला।

सोचिये अगर जनरल ज़ोरावर सिंह जी ये सारा इलाका ना जीतते तो आज चीन हमारे कितना नज़दीक होता, अफ़ग़ानिस्तान भी भारत के सर पर बैठा होता, पूरा कश्मीर आज पाकिस्तान का भाग होता और ये लेह लद्दाख बफ्फर स्टेट का काम ना करता। जिस तरह चीन ने पुरे तिब्बत पर कब्ज़ा किया उसी तरह लद्दाख पर भी चीन का कब्ज़ा होता।

 

दुनिया के इतिहास में शायद सिर्फ जनरल ज़ोरावर सिंह जी ही हैं जिनकी समाधी उनके दुश्मन देश ने ही बनाई।

 

पिछले 800 साल के भारत के इतिहास में यही वो वीर योद्धा हैं जिन्होंने भारत देश की सीमाओं का वास्तव में विस्तार किया ।जिसे लोग भारत का नेपोलियन भी कहते है।

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