खुद पर मानवाधिकारवादी होने का तमगा लगाए अमेरिका के कल ही सीनेट से सेवाविवृत्त हुए सांसद ने अपने आखिरी वक्तव्य में इशारा दिया के वे किस हद तक भारत विरोधी तत्वों के मायाजाल में फंसे हैं। ये सांसद हैं एंडी लेविन। इन्होंने कल सीनेट में सांसद के नाते अपने विदाई वक्तव्य में भारत विरोधी जहर उगलते हुए कहा कि ‘भारत के हिंदू राष्ट्र बनने का खतरा है’।
अमेरिका की प्रतिनिधि सभा में सदन में खड़े 62 साल के इन सांसद एंडी लेविन जब अपना वक्तव्य रख रहे थे तो सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई सीनेटर मन में जरूर सोच रहे होंगे कि जो देश दुनिया में अपने लोेकतांत्रिक मूल्यों और कूटनीति का लोहा मनवा रहा है उसके लिए एंडी ऐसा भाषा क्यों बोल रहे हैं।
दरअसल एंडी लेविन खुद को मानवाधिकारों के पैरोकार कहलवाते आ रहे हैं। उन्होंने अपने देश अमेरिका की बढ़ाई करते हुए कहा कि दुनिया में अमेरिका ऐसा देश है जहां मानवाधिकारों की सबसे ज्यादा रक्षा की गई है। लेकिन इसके मुकाबले दुनिया के कई देशों में स्थिति बहुत खराब है। एंडी शायद भूल गए कि अमेरिका में समय समय पर अश्वेत नागरिक अपने अधिकारों का मसले जाने की दुहाई देते रहे हैं। ‘ब्लैकलाइव्समैटर’ के आंदोलन को अभी ज्यादा वक्त नहीं बीता है।
लेकिन अपने आंगन में सुलग रहे मानवाधिकारों की ओर देखने की बजाय उन्हें भारत में एक ‘खतरा’ दिख रहा है। और एंडी लेविन को यह खतरा ‘भारत के हिंदू राष्ट्र बनने’ में दिख रहा है। जबकि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूरी दुनिया में अपने भाषणों में यही कहते रहे हैं कि ‘भारत 130 अरब नागरिकों का देश है जहां सबको बराबरी की नजर से देखा जाता है’। असल में एंडी अमेरिका में सक्रिय उस भारत विरोधी लॉबी से प्रभावित माने जाते हैं जिनका एकमात्र एजेंडा मोदी सरकार को किसी न किसी बहाने बदनाम करते रहना है। प्रतिनिधि सभा में अपने कार्यकाल के आखिरी दिन एंडी से अपनी ‘असली सोच’ सामने लाने से रहा न गया। वैसे इसमें नई बात इसलिए नहीं है, क्योंकि उनका भारत विरोधी मत सर्वविदित है।
लेविन ने अपने वक्तव्य में कहा कि वे ‘भारत जैसे देशों में मानवाधिकारों के पैरोकार रहे हैं। पंथनिरपेक्ष लोकतंत्र तथा दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश होने की बजाय भारत के हिंदूवादी देश बनने को लेकर खतरा दिखता है’। मिशिगन से सांसद रहे लेविन रिपब्लिकन पार्टी के सांसद रहे हैं। अब उनकी जगह रिपब्लिकन पार्टी की लिसा मैकक्लेन सांसद के नाते काम देखेंगी।
एंडी ने हालांकि अपने वक्तव्य में भारत के विभिन्न मत—पंथों का भी उल्लेख किया और कहा कि वे ‘हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म तथा भारत में जन्मे अन्य मत—पंथों के प्रेमी हैं। लेकिन वहां सभी लोगों के हकों की रक्षा करने की जरूरत है’। एंडी ने यह नहीं बताया कि भारत में किस मत के साथ कौन सा और किस तरह का सौतेला व्यवहार किया जाता है!
वैसे, कश्मीर सहित अनेक मुद्दों पर लेविन का रवैया भारत विरोधी ही रहा है। उन्होंने कश्मीर को लेकर भारत के विरुद्ध बयान दिया था। अप्रैल 2022 में भारतीय अमेरिकी मुस्लिम काउंसिल और कुछ दूसरे मानवाधिकार संगठनों के समारोहों में उन्होंने कश्मीर पर विभिन्न देशों से गौर करने की अपील की थी।
लेविन भारत के प्रधानमंत्री मोदी पर भी बेमतलब की टीका—टिप्पणी करते रहे थे। उन्होंने कहा था कि ‘मोदी की अगुआई में भारत मानवाधिकारों और लोकतंत्र को लेकर गलत दिशा जा रहा है’। मोदी सरकार से कथित चिढ़ में ही उन्होंने कहा कि ‘आज वह भारत नहीं है जिससे मैं प्रेम करता था’। लेविन ने कहा था कि ‘मैं प्रतिबद्ध हूं भारत के लोगों पर हमलों को रोकने के लिए। मेरी इच्छा है कि भारत में लोकतंत्र पीढ़ी दर पीढ़ी फलता-फूलता ही रहे’।
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