माफिया मुख्तार अंसारी को गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने दस साल की सजा सुनाई है। मुख्तार अंसारी के खिलाफ वर्ष 1996 में दर्ज गैंगस्टर के मुकदमे में गुरुवार को कोर्ट ने फैसला सुनाया है। निर्णय के समय मुख्तार अंसारी कोर्ट में उपस्थित नहीं था। मुख्तार अंसारी को ईडी की कस्टडी में होने की वजह से गाजीपुर न्यायालय में नहीं भेजा गया। प्रयागराज के ईडी दफ्तर में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था की गई थी।
वर्ष 1996 में मुख्तार अंसारी के खिलाफ गैंगेस्टर के अंतर्गत कार्रवाई की गई थी। उस समय 5 मुकदमों के आधार पर गैंगेस्टर के अंतर्गत कार्रवाई की गई थी जिसमें कांग्रेस के नेता अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय की हत्या का मुकदमा एवं इसके अतिरिक्त अपर पुलिस अधीक्षक पर जानलेवा हमले का मुकदमा भी शामिल था। इस मुकदमे में 26 वर्ष बाद आज सजा सुनाई गई है। ऐसा पहली बार है कि किसी ट्रायल कोर्ट से मुख्तार अंसारी को सजा सुनाई गई है। इसके पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपील की सुनवाई करते हुए दो मुकदमों में मुख्तार अंसारी को सजा सुनाई थी।
उल्लेखनीय है कि मुख्तार अंसारी इस समय प्रयागराज की स्पेशल ईडी कोर्ट के आदेश पर 10 दिन की कस्टडी रिमांड पर है। मुख्तार अंसारी 23 दिसंबर दोपहर 2 बजे तक के लिए ईडी की कस्टडी रिमांड पर रहेगा। स्पेशल ईडी कोर्ट ने कहा है कि मुख्तार अंसारी को प्रताड़ित नहीं किया जायेगा। रिमांड की अवधि के दौरान मुख्तार अंसारी को अपने अधिवक्ता से मिलने की अनुमति होगी। कस्टडी रिमांड मिलने के बाद मुख्तार अंसारी का मेडिकल कराया गया है। कोर्ट ने कहा है कि मुख्तार अंसारी के अधिवक्ता ईडी के कार्य में किसी तरह की बाधा नहीं पहुंचाएंगे।
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