पाञ्चजन्य में दो दिन पहले छपी खबर का संज्ञान लेते हुए, पौड़ी प्रशासन ने क्लजीखाल ब्लॉक के किमोली ग्राम में बनी मजार को बुल्डोजर से ध्वस्त करा दिया , इस मजार को लेकर सीएम कार्यालय ने तुरंत संज्ञान लिया और आज ये कारवाई की गई।
जानकारी के मुताबिक किमोली गांव में कुछ साल पहले फलदा क्षेत्र में रहने वाले गढ़वाली मुस्लिम यहां दफनाया जाते थे, करीब दो ढाई साल पहले यहां कब्र पर चादर डालने का काम शुरू हुआ और अब इसे पीर मजार बता कर आस्था का गोरखधंधा शुरू हो गया।
शहीद पीर बाबा मंझधार के नाम की ये मजार कैसे बन गई? किसने इसकी इजाजत दी? ग्राम प्रधान इस पर क्यों खामोश रहे? सुप्रीम कोर्ट के आदेश है कि किसी भी धार्मिक स्थल के निर्माण के लिए जिला प्रशासन से अनुमति जरूरी है, क्या इसकी निर्माण की अनुमति ली गई? ये मजार किसी व्यक्ति की जमीन पर नहीं बल्कि सरकारी जमीन पर बना दी गई? ये कौन पीर बाबा है? कहां से आए है? किसने इन्हे यहां दफनाया? कोई जानकारी नहीं है। सब सुनी सुनाई कहानियां बना कर क्षेत्र के भावुक ग्रामवासियों में आस्था का चलाया जा रहा था
एक और दिलचस्प बात सामने आई है कि मजार के ऊपर टीन शेड डालने के लिए स्थानीय बीजेपी विधायक राज कुमार पोरी ने विधायक निधि से दो लाख रू दिए जाने की घोषणा भी की हुई थी, जिसपर हिंदू संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।
जिसके बाद आज शाम ये कारवाई हुई और पौड़ी प्रशासन ने बुल्डोजर से ही मजार को ध्वस्त कर दिया। जानकारी के मुताबिक आज सुबह सीएम कार्यालय से पौड़ी के जिलाधिकारी को इस बारे में दिशा निर्देश मिल गए थे, खबर ये भी है इस मामले में बीजेपी विधायक का भी जवाब तलब किया गया है।
एक तरफ देव भूमि उत्तराखंड की धामी सरकार राज्य का देव स्वरूप बनाए रखने के लिए धर्मांतरण बिल ला रही है, सशक्त भू कानून, समान नागरिक संहिता बनाए जाने की बात कर रही है वहीं दूसरी ओर विधायक ही मजार जिहाद को संरक्षण देने में लगे है।
ये मामला उत्तराखंड में सोशल मीडिया पर पिछले कुछ दिन छाया हुआ है, इस पर सामाजिक संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया की है। हिंदू संगठन से जुड़े कुलदीप कुमार का कहना है कि धामी सरकार को सरकारी जमीनों पर बन रही मजारों पर जो सख्ती दिखाई है वो स्वागत योग्य है।
उन्होंने कहा देहरादून जिले के अलावा अब पहाड़ों पर भी सरकारी जमीनों पर मजारे बनती जा रही है इस पर लगाम लगाना जरूरी है।
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