ईरान पर अमेरिका ने अपनी नाराजगी खुलकर जताते हुए उसके विरुद्ध एक बड़ा कदम उठाया है। अमेरिका ने कहा है कि उस देश में मानवाधिकार हनन हो रहा है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दुनियाभर का मीडिया ईरान में पिछले तीन महीने से चल रहे हिजाब विरोधी आंदोलन के समाचार छाप रहा है, तस्वीरें छाप रहा है। आंदोलनकारियों को दी जा रही सार्वजनिक फांसी की सजा के समाचारों पर कई मानवाधिकारकर्मियों ने गहन चिंता व्यक्त की है। सारी दुनिया जान रही है कि ईरान की शिया सरकार कट्टर इस्लामी कायदों के नाम पर नागरिकों के साथ बहुत सख्ती से पेश आ रही है। आंदोलनकारियों पर सीधे गोलियां तक दागे जाने के समाचार मिले हैं।
इन सब घटनाक्रमों के बीच कल अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने गंभीर वक्तव्य जारी किया है। उन्होंने ईरान की घटनाओं पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि अमेरिका उन सभी लोगों के विरुद्ध प्रतिबंध लगाता है जो मानवाधिकार हनन और अत्याचार कर रहे हैं।
अमेरिका का यह सख्त पैंतरा काफी दिन तक घटनाओं पर नजर रखने के बाद आया था। ईरान सरकार ने कई दिन पहले यह कहा था कि हिजाब विरोधी आंदोलन के पीछे अमेरिका और अन्य कई पश्चिमी देशों की भूमिका है। अब अमेरिका ने ऐसे लोगों को प्रतिबंधित करने की घोषणा कर दी है, जो ईरान में मानवाधिकारों का घोर हनन कर रहे हैं और जो आंदोलनकारियों का दमन कर रहे हैं।
ईरान में आंदोलनकारियों को समर्थन देने के सवाल पर जेक सुलिवन का कहना था कि हम उन लोगों के विरुद्ध अनेक तरह के प्रतिबंध लगा रहे हैं जो मानवाधिकारों के गंभीर हनन के दोषी हैं। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने आगे कहा कि सिर्फ अमेरिका ही ऐसा नहीं कर रहा है बल्कि दुनिया के अन्य अनेक देश इस मुद्दे पर एकमत हैं और सबने मिलकर ईरान के घटनाक्रमों को देखते हुए एक निंदा प्रस्ताव बनाया है।
अमेरिका ही नहीं, यूरोपीय संघ के विदेश मामलों के मंत्रियों ने भी कल बीस लोगों के विरुद्ध नए प्रतिबंध जड़ दिए हैं। इससे पूर्व मानवाधिकार हनन को लेकर एक अलग इकाई गठित करने को भी स्वीकृति दी गई है। ईरान की समाचार एजेंसी मिजान के अनुसार, हिजाब आंदोलन में भाग लेने के आरोप में हफ्ते भर से भी कम वक्त में दो लोगों को सार्वजनिक रूप से मौत की सजा दी जा चुकी है।
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