उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के आसपास जंगलों में बनी अवैध मजारों को वन विभाग ने जड़ से साफ कर दिया है। उत्तराखंड में मजार जिहाद के तहत सरकारी भूमि विशेष तौर पर वन भूमि पर ये अवैध मजारें पिछले कुछ सालों में बनीं और यहां झाड़-फूंक का धंधा चलाया जा रहा था।
जानकारी के मुताबिक देहरादून फॉरेस्ट डिवीजन में एक सर्वे में 17 अवैध मजारें चिन्हित की गई थीं। वन विभाग की लापरवाही से ये मजारें अवैध रूप से बनती चली गई थीं। इस मुद्दे को पाञ्चजन्य ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था और राज्य की धामी सरकार के संज्ञान में ये मुद्दा आया था। दिल्ली में आयोजित ‘पाञ्चजन्य कॉन्क्लेव’ में भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के समक्ष ये सवाल आया था, जिस पर सीएम धामी ने कहा था कि ‘मैं बोलता कम हूं और एक्शन में ज्यादा विश्वास रखता हूं।’
उत्तराखंड की धामी सरकार का एक्शन इन अवैध मजारों के खिलाफ अंततः दिखाई देने लगा है। वन विभाग ने पहले इन मजारों का सर्वे करवाया कि ये कब, कैसे और किसने बनवाई? बाद में इन चिन्हित 17 मजारों को जड़ से ही ध्वस्त कर दिया है। फॉरेस्ट की टीम इन मजारों की ईंट, टीन भी उठाकर अपने साथ ले गई। जानकारी के मुताबिक इन मजारों के नीचे कोई भी मानव अवशेष नहीं मिला है।उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में फर्जी पीर के नाम से सरकारी जमीनों पर अवैध दरगाह बनाकर, उत्तराखंड की भोली जनता के बीच आस्था का धंधा का षड्यंत्र चल रहा है।
देहरादून, उधम सिंह नगर, हरिद्वार, नैनीताल जिले में इन मजारों की बाढ़ सी देखी जा रही है। यहां तक कि सुदूर पहाड़ी जिले पौड़ी, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा आदि क्षेत्रों में भी मजार जिहाद के तहत अवैध मजारें बना दी गई हैं। जिससे देव भूमि का सनातन स्वरूप बिगड़ने लगा है। इस मुद्दे पर सीएम धामी के एक्शन से लोगों में राज्य सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा है। कुछ समय पहले रामनगर और तराई फॉरेस्ट डिवीजन में भी इसी तरह की अवैध मजारें हटाई गई थीं।
मजारों को नहीं मानते देवबंदी मुस्लिम
दिलचस्प बात ये है कि मुस्लिमों में देवबंदी लोग मजारों को नहीं मानते हैं। उनके द्वारा ये कहा जाता रहा है कि सिर्फ मदीना, मुनव्वरा में हजरत मोहम्मद साहब की कब्र तक जाना और सफर करना ही जायज है।
अवैध मजारों में मुस्लिम कम और हिंदू ज्यादा जाते हैं
यह बात भी महत्वपूर्ण है कि इन अवैध मजारों के आसपास मुस्लिम लोग धूप, अगरबत्ती, हरी चादरों की दुकानें खोल लेते हैं और यहां मुस्लिम कम और हिंदू ज्यादा खड़े मिलते हैं।
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