बिहार में नीतीश कुमार और लालू यादव के राज में अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। हालत यह है कि अपराधी न्यायाधीश को भी जान से मारने की धमकी दे रहे हैं।
संसद में 12 दिसंबर को जमुई के सांसद चिराग पासवान ने विस्तार से बताया कि किस तरह बिहार अपराधियों का गढ़ बनता जा है। लोग पुलिस से शिकायत करते हैं, लेेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती है। इससे एक दिन पहले बिहार भाजपा के अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने भी संसद में बिहार की स्थिति को भयावह बताते हुए वहां की घटनाओं को बताया था। उन्होंने सीमांचल में हो रही देश—विरोधी गतिविधियों की भी जानकारी दी थी। लेकिन बिहार में सत्तारूढ़ जदयू और राजद के नेता कहते हैं कि बिहार में कानून—व्यवस्था बिल्कुल ठीक है।
सत्तारूढ़ दल के नेताओं के इस तरह के बयानों का सबसे अधिक लाभ अपराधी उठा रहे हैं। यहां तक कि अब अपराधी जिला स्तर के न्यायाधीशों को भी जान से मारने की धमकी दे रहे हैं।
एक ऐसा ही मामला बेगूसराय में आया है। यहां एक न्यायाधीश ने आपराधिक मामले की सुनवाई करते एक आरोपित के विरुद्ध गैर—जमानती वारंट जारी किया। न्यायाधीश की इस कार्रवाई से तिलमिलाए आरोपित ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी को ही जान से मारने की धमकी दे दी है।
यह जानकारी सामने आते ही जिले के न्यायिक और प्रशासनिक हलके में सनसनी फ़ैल गई। जानकारी के अनुसार धमकी बंद लिफाफे में डाक से भेजी गई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए व्यवहार न्यायालय के लिपिक नागेश मोहन सिन्हा ने पुलिस अधीक्षक योगेन्द्र कुमार को इसकी सूचना दे दी है। इसके बाद धमकी देने वाले आरोपित शालिग्राम कनौजिया के विरुद्ध नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है।
लिखित आवेदन में बताया गया है कि गत 22 नवंबर को डाक के माध्यम से एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें आरोपित द्वारा मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी को गैर—जमानती वारंट जारी करने पर जान से मारने की धमकी दी गई है।
एक अपराधी के इस दुस्साहस से बिहार के वे लोग बहुत चिन्तित हैं, जो शांति से जीवन—यापन करना चाहते हैं, लेकिन ऐसे लोगों को निरंतर निराशा मिल रही है। इस कारण लोग आशंका जता रहे हैं कि बिहार से एक बार फिर लोगों का पलायन होगा। बता दें कि 1990 से 2005 तक यानी 15 वर्ष तक बिहार में लालू—राबड़ी का राज था। इस दौरान अपराध इस कदर बढ़ा था कि बड़ी संख्या में बिहार के लोग दूसरे राज्यों में पलायन कर गए थे। अब एक बार फिर से ऐसी ही स्थिति बन गई है।
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