कटिहार जिले का अमदाबाद प्रखंड साल में लगभग चार महीने तक बाढ़ से प्रभावित रहता है। इस कारण यहां के गांवों में हर व्यक्ति के पास नाव होती है। जिस घर में नाव नहीं होती है, उनके लड़कों से कोई लड़की वाला रिश्ता नहीं करना चाहता है।
बिहार के कटिहार जिले में एक प्रखंड है अमदाबाद। इसके अंतर्गत कुछ गांव ऐसे हैं, जहां के लड़कों का विवाह नहीं हो पाता है। कारण जानेंगे तो आप भी दंग रह जाएंगे। कारण है नाव। बता दें कि यह प्रखंड बाढ़—ग्रस्त रहता है। यहां साल मेें कम से चार महीने बाढ़ रहती है। इस कारण कई गांवों के लोग नाव के जरिए ही कहीं आ—जा पाते हैं। यानी जैसे सामान्य क्षेत्रों में लोगों के पास आवागमन के लिए गाड़ी, बाइक, साइकिल आदि होती है, उसी तरह अमदाबाद प्रखंड के अनेक गांवों के लोग नाव का प्रयोग करते हैं। इस कारण हर घर में नाव जरूरी है, लेकिन कुछ लोग इतने गरीब हैं कि वे लोग नाव नहीं खरीद पाते हैं। ऐसे परिवारों के लड़कों से विवाह कोई लड़की वाला नहीं करना चाहता है।
दक्षिणी अमदाबाद पंचायत के मेघु टोला निवासी भोला सिंह का पोता नाव के अभाव में कुंवारा है। उसका विवाह तय होता है, लेकिन जैसे ही लड़की वालों को पता चलता है तो वे विवाह करने से मना कर देते हैं। कुछ दिन पहले भी भोला सिंह ने अपने पोते की शादी मनसाही प्रखंड के बंगुरी टाल गांव में तय की थी। इसके बाद लड़की के परिजनों को पता चला कि भोला सिंह के पास नाव नहीं है, तो उन्होंने रिश्ता ठुकरा दिया।
बता दें कि अमदाबाद प्रखंड से दो प्रमुख नदियां गुजरती हैं- महानंदा और गंगा। महानंदा नदी बिहार और पश्चिम बंगाल के बीच में है, वहीं गंगा नदी बिहार और झारखंड के मध्य होकर गुजरती है। यह क्षेत्र बाढ़ग्रस्त रहता है। बाढ़ के कारण जानमाल की क्षति तो होती ही है आवागमन की भी समस्या होती है। इस कारण यहां के 14 गांवों के लोगों के लिए नाव ही एकमात्र सहारा है। ऐसे में यहां के लड़कों से शादी करने से पहले लड़की वाले आश्वस्त होना चाहते हैं कि आपदा की स्थिति में आवागमन का एकमात्र साधन नाव लड़के वाले के पास उपलब्ध है या नहीं ? अगर नाव नहीं रहती है तो लोग अपनी बेटी का रिश्ता नहीं करते।
अमदाबाद प्रखंड में सात पंचायत बाढ़ से ज्यादा प्रभावित रहती हैं। इनमें दक्षिणी अमदाबाद का भरत टोला, घेरा गांव, मेघु टोला, मुरलीराम टोला, पार दियारा पंचायत का घिसु टोला, कीर्ति टोला, चौकिया पहाड़पुर का भगवान टोला, गदाई दियारा, दुर्गापुर पंचायत का हरदेव टोला, लक्खी टोला, नया टोला, गोविंदपुर, बहर साल, भवानीपुर खट्टी का गोपी टोला, दक्षिणी करिमुल्ला पंचायत एवं उत्तरी करिमुल्ला पंचायत मुख्य रूप से बाढ़ से प्रभावित होती है।
चौकिया पहाड़पुर पंचायत के भगवान टोला निवासी रतन सिंह की कहानी कुछ अलग है। उन्होंने पश्चिम बंगाल के मथुरापुर में अपने बेटे का रिश्ता तय किया था। लड़की वालों को उनका बेटा काफी पसंद था, लेकिन इन दोनों परिवार के रिश्तों में नाव की अड़चन आ रही थी। इस कारण वधू पक्ष ने उपहार स्वरूप नाव देकर रतन सिंह के बेटे से अपनी बेटी की शादी कराई।
जीवन की नैया वास्तविक नाव पर ही खेई जा सकती है। यह बात लड़की वालों को बेहतर ढ़ंग से मालूम है। यहां की भौगोलिक स्थिति के बारे में सामाजिक कार्यकर्ता ब्रजेश कुमार बताते हैं कि अमदाबाद प्रखंड झारखंड और बंगाल से जुड़ा हुआ है। अमदाबाद प्रखंड के लड़कों की शादी ज्यादातर पश्चिम बंगाल में होती है। झारखंड की संस्कृति अलग होने के कारण वहां कोई अपना लड़का ब्याहना नहीं चाहता। पश्चिम बंगाल की लड़कियां यहां के माहौल में अपने को जल्दी से ढाल लेती हैं। कुछ वर्ष पूर्व एक पुल महानंदा नदी पर बना है, लेकिन अमदाबाद से लगभग 15 कि.मी. दूर है। नकट्टी पुल के नाम से ख्यात इस पुल तक जाने में दो पहिया वाहन से 50 मिनट और चार पहिया वाहन से लगभग 90 मिनट लग जाते हैं। सड़कें अच्छी नहीं हैं। बाढ़ में सड़कों का संपर्क भी टूट जाता है। ऐसे में नाव ही यहां के लिए एकमात्र आवागमन का साधन है।
वैसे तो कटिहार भारत का एक महत्वपूर्ण रेलवे जंक्शन है। पूर्वोत्तर जाने वाली सभी रेलगाड़ियां कटिहार होकर ही जाती हैं। यहां नौ रेलमार्ग से गाड़ियां आती हैं, लेकिन इसी जिले के अमदाबाद की स्थिति कुछ अलग है।
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