कर्नाटक सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। टीपू सुल्तान के शासनकाल के समय से मंदिरों में जारी ‘सलाम आरती’, ‘सलाम मंगल आरती’ और ‘दीवतिगे सलाम’ का नाम बदल दिया है। सरकार ने अब इनका नाम स्थानीय रखा है।
कर्नाटक में मुजराई मंत्री शशिकला जोले ने बताया कि दीवतिगे सलाम का नाम बदलकर दीवतिगे नमस्कार, सलाम आरती का नाम बदलकर आरती नमस्कार और सलाम मंगल आरती का नाम बदलकर मंगल आरती नमस्कार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह फैसला वरिष्ठ पुजारियों की राय पर किया गया है।
शशिकला जोले ने कहा कि कर्नाटक की राज्य धार्मिक परिषद की बैठक में कुछ सदस्यों ने कहा था कि श्रद्धालुओं ने इन आरतियों के नाम बदलने की मांग की है। फिर इस पर व्यापक चर्चा हुई, उसके बाद यह फैसला लिया गया है। मंत्री जोले ने कहा कि रीति-रिवाज पहले की तरह परंपरा के अनुरूप ही जारी रखे जाएंगे, सिर्फ उनका नाम बदला जाएगा। उन्होंने कहा कि नाम में हमारी भाषा के शब्द शामिल किए जाएंगे।
इस मामले में कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र का कहना है कि ‘सलाम आरती’ (कुछ मंदिरों में मैसूर के राजा टीपू सुल्तान के नाम पर की जाने वाली रस्में) का नाम बदलने का निर्णय सही है। अगर मंदिरों में हमारी संस्कृति को मजबूत करने का काम नहीं किया जाता है तो यह कहां होना चाहिए।
बता दें कि टीपू सुल्तान को एक क्रूर हत्यारे के तौर पर देखा जाता है। वहीं, कुछ कन्नड़ संगठन भी टीपू सुल्तान को कन्नड़ विरोधी कहते हैं। उनका कहना है कि टीपू ने स्थानीय भाषा की जगह फारसी को प्रोत्साहन दिया था।
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