राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने ग्रीष्मकालीन के लिए शिमला के विकल्प के रूप में देहरादून का बॉडीगार्ड चुना था।इसके पीछे वजह शिमला का ठंडा मौसम उन्हें रास नहीं आता था, देहरादून के राजपुर रोड में 175 एकड़ में फैला द प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड स्टेट का इतिहास भी बड़ा रोचक है। ब्रिटिश गवर्नर जनरल, वायसराय जहाँ दौरे पर जाते थे, वहाँ उनके रहने के लिए बड़े प्रबंध होते थे. उन्होंने रहन सहन पर बड़ा ध्यान दिया। बॉडीगार्ड की वजह से इस क्षेत्र को बारीघाट बोलते थे।
यहाँ की रेत बजरी, उच्चतम गुणवता वाली होती थी। लोग मकान बनाने में इसका प्रयोग करते थे. बाद में कैनल रोड़ के विस्तार और बढ़ती जनसंख्या के कारण बारीघाट लुप्त हो गया. यहाँ की बजरी की मेरठ, मुज्जफरनगर जाती थीं. बॉडीगार्ड की स्थापना 1773 में भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल वारेन हेन्सिटिंग्स ने की थीं.1859 में इसे वायसराय लार्ड कैनिंग ने बॉडीगार्ड नाम दिया. जिसे बाद में द प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड में तब्दील कर दिया गया. राष्ट्रपति के घोड़ा गाड़ी 1938 में इसे ग्रीष्मकालीन शिविर स्थापित किया गया। अब इसे राष्ट्रपति आशियाना कहते हैं.
यह ब्रिटिश कालीन बंगला था, यहां गवर्नर जनरल, वॉयसराय ठहरते थे. सहारनपुर, अम्बाला तक मोटर की व्यवस्था हो गई थी, किन्तु ब्रिटिश अधिकारी या वॉयसराय देहरादून तक घोड़ा और बग्गी से बॉडीगार्ड देहरादून आते थे. आजादी के बाद, सेंट्रल विल्ड़िंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) की मदद से रेनोवेट किया गया. 1975 -76 में राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने ग्रीष्मकालीन के लिए शिमला के विकल्प के रूप में देहरादून को चुना था. राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के आने से ही इसके दिन लौटे. यहाँ पूरा जंगल हो रखा था. इसको साफ किया गया. तभी इसका नाम राष्ट्रपति आशियाना रखा गया.
आजाद भारत में 1976 में राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने सबसे पहले यहाँ प्रवास किया. फिर उसके बाद 1998 में राष्ट्रपति केआर नारायणन कुछ वक्त यहाँ गुजारा. उसके बाद 2016 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आशियाने में आये. तो देहरादून के काफी लोग जाने कि यहाँ भी राष्ट्रपति आशियाना है। वर्तमान में कई लोग यह जाने कि यहाँ भी राष्ट्रपति का आशियाना है।
राष्ट्रपति के आर नारायणन के 18 साल बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के तीन दिवसीय प्रवास के लिए आशियाने को चमकाया गया था। 26 मार्च 2018 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने यहां प्रवास किया था। अब चार साल बाद 8 दिसंबर 2022 को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू राष्ट्रपति आशियाने में प्रवास पर आई हैं। बॉडीगार्ड की वजह से इस क्षेत्र को बारीघाट बोलते थे। ब्लाइंड स्कूल से लेकर नीचे कैनाल रोड़ तक यह क्षेत्र बारीघाट कहलाता है। इसके पास रिस्पना नदी बहती है। जो राजपुर से निकलती है। बारीघाट का रेत, बजरी बहुत गुण वत्ता होता था. लोग मकान में लिंटर में इसी का प्रयोग करते थे, यहाँ की बजरी के मकान जल्दी से टूटते नहीं थे।
इतिहासकार शीश पल गुसाईं बताते है, देहरादून का राष्ट्रपति आशियाना, जिसे अंग्रेजों ने इस लिए बनाया था यहां का उनकी छावनी भीं थी और उनके वाइसराय,गवर्नर जनरल भी यहां आकर रहते थे,इस धरोहर को अब आम जनता के लिए भी खोल देना चाहिए।
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