पाकिस्तान में एक‘इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड’ है। यह बोर्ड इसलिए बना हुआ है कि हिन्दुस्थान के बंटवारे के दौरान वहां से निकलकर सीमा पार अपने देश गए हिन्दुओं और सिखों की संपत्ति का ध्यान रखे। इस ट्रस्ट ने 2019 से एक पहल करते हुए बाबा गुरुनानक नाम से अल्पसंख्यक वर्गों यानी हिन्दू और सिख समुदाय में से गरीब परिवार के योग्य छात्रों को पढ़ने के लिए हर साल वजीफा दिया जाए जिससे वे आगे की पढ़ाई कर सकें। इससे ट्रस्ट का मानना है कि अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों को स्थानीय विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा पाने में मदद मिलेगी। इस साल भी कुछ छात्रों को यह वजीफा दिया गया है। कुल 100 लाभार्थियों में से 60 हिंदू तथा 40 सिख छात्र बताए जा रहे हैं।
इस बोर्ड ने 2019 में इस वजीफे की शुरुआत के वक्त कम आय वाले गरीब परिवारों के छात्रों को वजीफा दिया था। तब ऐसे 50 छात्रों को यह वजीफा देने की बात सामने आई थी। लेकिन इस वर्ष वजीफा पाने वालों की संख्या में सौ फीसदी बढ़ोतरी करके इसे 100 कर दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि ‘इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड’ कानून के अंतर्गत बनी संस्था है। जैसा पहले बताया, इसका काम बंटवारे के दौरान भारत गए हिंदुओं तथा सिखों की संपदा का उचित प्रबंधन करना है। इस बोर्ड ने 2019 में इस वजीफे की शुरुआत के वक्त कम आय वाले गरीब परिवारों के छात्रों को वजीफा दिया था। तब ऐसे 50 छात्रों को यह वजीफा देने की बात सामने आई थी। लेकिन इस वर्ष वजीफा पाने वालों की संख्या में सौ फीसदी बढ़ोतरी करके इसे 100 कर दिया गया है।
ईटीपीबी की तरफ से कल यह जानकारी खुद उसके प्रवक्ता आमिर हाशमी ने दी। एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए हाशमी ने बताया कि साल 2022-23 के लिए अल्पसंख्यक वर्ग के सौ छात्रों को वजीफे दिए गए हैं। इस बार इनमें हिंदू छात्रों की संख्या ज्यादा है। कुल सौ में से 60 हिन्दू छात्र हिन्दू समुदाय से हैं तो 40 छात्र सिख समुदाय से हैं। यह वजीफा उन्हें उनकी योग्यता के आधार पर दिया गया है।
हाशमी का कहना है कि प्रत्येक छात्र को उसकी डिग्री की पढ़ाई पूरी होने तक हर महीने 10,000 पाकिस्तानी रुपये (यानी भारतीय मुद्रा में 3,640 भारतीय रुपये) दिए जाएंगे। बता दें कि इन वजीफों में से ज्यादातर पाकिस्तान के सिंध और खैबर पख्तूनख्वा सूबों के छात्रों को प्राप्त हुए हैं।
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