झारखंड में तुष्टीकरण की पराकाष्ठा देखने को मिल रही है । यहां किसी भी तरह के अपराध में अगर किसी मजहबी का नाम आ जाए तो सेकुलर नेता एकजुट होकर अपराधियों को बचाने में लग जाते हैं। इसके लिए अगर उन्हें कानून के रखवालों के खिलाफ भी जाना पड़ता है तो जाते हैं।
एक ऐसा ही मामला खूंटी जिले में सामने आया है। यहां तोरपा प्रखंड के अंतर्गत रोड़ो गांव में कई वर्षों से गोकशी और गोतस्करी की जा रही है। इसी के तहत एक मामले में अभियुक्त इजहार अंसारी उर्फ कल्लू को पकड़ने के लिए पुलिस पहुंची तो गांव के कुछ मुसलमानों द्वारा महिलाओं को आगे कर विरोध करवाया गया। इसी बीच इजहार अंसारी उर्फ कल्लू के पिता निजामुद्दीन अंसारी ( 82 वर्ष ) की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। इस मौत का भी फायदा उठाते हुए इजहार अंसारी को बचाने की फिराक में गांव वालों ने और भी अधिक हंगामा करना शुरू कर दिया। ग्रामीणों ने पुलिस पर आरोप लगाया कि पुलिस ने दरवाजा तोड़ा और अंदर घुसकर धक्का-मुक्की की जिससे बुजुर्ग निजामुद्दीन अंसारी गिर गए और उनकी मौत हो गई। इस घटना के बाद 100 से अधिक मुसलमानों ने तोरपा थाना प्रभारी सत्यजीत कुमार समेत गिरफ्तार करने गई पूरी पुलिस टीम को बंधक बना लिया। हालांकि उच्चाधिकारियों के दबाव के बाद रात के करीब 2:30 बजे सभी को छुड़ा लिया गया। इन सब में मुख्य बात यह रही कि इजहार, जिसे पुलिस पकड़ने गई थी उसे गांव वाले के हो हंगामे के बाद गिरफ्तारी से बचा लिया गया। इसके साथ ही गांव वालों ने सत्यजीत कुमार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया।
इस पूरे मामले पर हाल ही में कांग्रेस से निलंबित हुए तीन विधायक (राजेश कच्छप, इरफान अंसारी और नमन विक्सल कोंगाडी) अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने के लिए उस गांव में पहुंच गए। इन लोगों ने गांव वालों का ही साथ देते हुए सत्यजीत कुमार के खिलाफ शिकायतें करने लगे जिसका नतीजा यह हुआ कि थाना प्रभारी सत्यजीत कुमार को लाइन हाजिर कर दिया गया।
अब सवाल यह उठता है कि एक पुलिस पदाधिकारी को उनके काम से क्यों रोका जा रहा है और एक बुजुर्ग की प्राकृतिक मौत का आरोप थाना प्रभारी पर क्यों लगाया जा रहा है? आपको बता दें कि कुछ दिन पहले तुपुदाना में तैनात पुलिसकर्मी संध्या टोपनो की मौत भी इन्हीं गोतस्करों की वजह से हुई थी। इसके पीछे जो लोग शामिल थे उन्हें पकड़ने का काम इसी थाना प्रभारी द्वारा किया गया था। इसके पहले रामनवमी के त्यौहार के दौरान कुछ मुसलमानों ने माहौल खराब करने की कोशिश की थी जिसके बाद सत्यजीत कुमार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कुछ लोगों पर मामला दर्ज किया था। यही कारण है कि सत्यजीत कुमार गोतस्करों की नजर में चढ़े हुए थे। यही वजह है कि एक फरार अभियुक्त को पकड़ने गए पुलिसकर्मियों को ही निशाना बना लिया गया।
सूत्रों से यह भी पता चला है कि जिस समय यह पूरी प्रक्रिया चल रही थी उस वक्त पुलिस की ओर से वीडियो बनाया जा रहा था। पूरा घटनाक्रम पुलिस के वीडियो में आ चुका है। इसके बाद भी स्थानीय ग्रामीण पुलिस पर धक्का-मुक्की का सिर्फ आरोप ही नहीं लगा रहे हैं, बल्कि पुलिस का मनोबल तोड़ने का भी काम कर रहे हैं।
खूंटी की सामाजिक कार्यकर्ता प्रिया मुंडा ने पुलिस पर की गई कार्रवाई पर कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन दागी अपराधियों के विरोध में अगर कोई कार्रवाई करती है तो षड्यंत्र के तहत उन्हें फंसा दिया जाता है। उन्होंने कांग्रेस के तीनों निलंबित विधायकों से पूछा कि आखिर वे लोग कहां थे जब संध्या टोपनो की हत्या कर दी गई थी? आज यही तीनों विधायक अपराधियों के साथ खड़े हैं और पुलिस अधिकारी को निलंबित करवा चुके हैं। अगर यही हालात रहे तो आने वाले दिनों में पुलिस प्रशासन का मनोबल गिरेगा और अपराधी खुलेआम गौ मांस के कारोबार करते नजर आएंगे। उन्होंने सरकार से भी पूछा है कि झारखंड में गौ तस्करी और गोवंश पशु की हत्या के खिलाफ कानून बना है। अगर पुलिस पर इसी तरह की कार्रवाई होगी तो उस कानून की रक्षा कैसे होगी?
कहा जा रहा है कांग्रेस से निकाले गए विधायक अपनी राजनीति बचाने के लिए गलत के साथ भी खड़े नजर आ रहे हैं। जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी ने ट्वीट कर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से खूंटी एसपी सहित दोषी पुलिस वालों पर 302 के तहत हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।
हालांकि इस पूरे मामले पर विपक्ष की ओर से कोई प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिली है।
अब आप समझ ही चुके होंगे कि झारखंड में आखिर गोतस्करी क्यों नहीं रुक रही है! जब संवैधानिक पद पर बैठे लोग अपराधियों और तस्करों का साथ देंगे तो अपराध कभी रुक ही नहीं सकता है।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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