गत नवंबर को छपरा (बिहार) जिले के मलखाचक गांव में स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समारोह आयोजित हुआ, जिसमें 350 स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को सम्मानित किया गया। इनमें बिहार के पहले शहीद रामदेनी सिंह, प्रख्यात क्रांतिकारी बैकुंठ शुक्ल, नारायण सिंह, हरिनंदन प्रसाद जैसे सेनानियों के परिजन शामिल हैं।
समारोह के मुख्य अतिथि थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत। उन्होंने कहा कि भारत के असंख्य लोगों ने अपने जीवन का तिल-तिल अर्पित कर इस देश का निर्माण किया है। इनके लिए समाज सर्वोपरि रहा। आत्म-प्रसिद्धि और स्वयं से ऊपर राष्ट्र के बारे में सोचने के कारण ही इस देश में ऐसी आत्मविलोपी भावना आई है। उन्होंने मलखाचक को नमन करते हुए कहा कि यह एक तीर्थ है। देश के लिए स्वयं को होम करने वाले लोगों की एक लंबी परंपरा है। सतत तपस्या के कारण एक भाव-भूमि का निर्माण होता है।
इस भाव-भूमि को ही तीर्थ कहते हैं। मलखाचक भी इसी प्रकार का तीर्थ है, जहां नरमपंथी और गरमपंथी दोनों अपनी योजनाएं बनाते थे। उन्होंने आगे कहा कि विश्व कल्याण के लिए भारत को शक्तिशाली बनना होगा। अब तक की महाशक्तियों ने विश्व पर सिर्फ अपना डंडा चलाया है। ये महाशक्तियां अपने हित के लिए अपने ढंग की व्यवस्था चलाती रही हैं। कभी विश्व पर ब्रिटेन का शासन चलता था। कहा जाता था कि ब्रिटेन में सूरज कभी अस्त नहीं होता, लेकिन उनका शासन अन्य महाशक्तियों की तरह शोषण पर आधारित था।
ब्रिटेन ने कुछ कमाल नहीं किया, बल्कि दुनिया को कंगाल ही किया। धर्मपाल जी की पुस्तक में उल्लेख है कि 77 प्रतिशत साक्षर भारत की साक्षरता दर 17 प्रतिशत हो गई। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र कुमार की पुस्तक ‘स्वतंत्रता आंदोलन की बिखरी कड़ियां’ का विमोचन भी हुआ। कार्यक्रम का संचालन सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने किया, जबकि अध्यक्षता प्रख्यात संत जीयर स्वामी ने की। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय विशिष्ट अतिथि थे। कार्यक्रम में संघ के क्षेत्र कार्यवाह डॉ. मोहन सिंह, क्षेत्र प्रचार प्रमुख राजेश कुमार पांडेय, क्षेत्र प्रचारक रामनवमी प्रसाद, सह क्षेत्र प्रचारक राम कुमार, स्थानीय सांसद राजीव प्रताप रूडी आदि उपस्थित थे।
टिप्पणियाँ