तेहरान। ईरान में महिलाओं की क्रांति रंग लेकर आई है। हिजाब के खिलाफ वे सड़कों पर उतरीं तो उन्हें जनसमर्थन मिलता गया। आखिरकार ईरान सरकार को उनकी बात सुननी पड़ी। सरकार ने हिजाब कानून के खिलाफ (Hijab row in Iran) उनके आंदोलन के आगे घुटने टेक दिए। हिजाब की अनिवार्यता को लेकर चालीस साल पहले बनाए गए कानून की समीक्षा की जा रही है। मीडिया रिपोर्ईट के मुताबिक ईरान के अटार्नी जनरल ने इस बात की जानकारी दी है। बुधवार को संस्कृति आयोग की बैठक हुई थी। पंद्रह दिन के अंदर फैसले के बारे में पता चल जाएगा। गौरतलब है कि वर्ष 1983 से ईरान में हिजाब पहनना अनिवार्य है। ईरान में इस्लामिक क्रांति के बाद ये कदम उठाया गया था।
ईरान में पिछले दो महीने से धरना-प्रदर्शन और आंदोलन चल रहा है। इसमें सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। लोग सड़कों पर हैं। सुरक्षा बल आंदोलन को शांत करने के लिए हर तरीके अपना रहे हैं। महसा अमीनी की हत्या के बाद ईरान में हिजाब विरोधी आंदोलन काफी तेज हो गया था। चारों तरफ लड़कियां इसका विरोध कर रही थीं। मौलानाओं की पगड़ी भी उछाली जा रही थी। हिजाब कानून को जबरन लागू कराने में ईरानी हुकूमत ने कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी है। मगर अब वह झुकती नजर आ रही है। सरकार अब हिजाब कानून पर विचार करने को तैयार हो गई है।
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ईरान में पहली बार हिजाब विरोधी प्रदर्शनकारी को मौत की सजा
ईरान में हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन हुआ उग्र, मौलवियों की उछाली जा रही पगड़ी
अटॉर्नी जनरल का बयान
इस बीच अटॉर्नी जनरल ने कहा कि ईरान की संसद और न्यायपालिका हिजाब को जरूरी बनाने वाले कानून की समीक्षा कर रही है। इस कानून में महिलाओं को सिर ढकने की अनिवार्यता है। माना जा रहा है कि विश्वव्यापी आलोचना से घबराई हुकूमत आंदोलन की लपटों को शांत करने के लिए इस कानून में बदलाव कर सकती है।
ईरान के मशहूर शेफ शाहिदी को मार डाला गया
रेवोल्यूशनरी गार्ड फोर्स पर सेलेब्रिटी शेफ महरशाद शाहिदी की हत्या का आरोप लगा। उन्हें हिजाब के विरुद्ध किए जा रहे प्रदर्शन में शामिल होने पर गिरफ्तार किया गया था। जिसके बाद उन्हें पीट-पीट कर मार डाला गया। शाहिदी की हत्या उनकी 20वें जन्मदिन से एक दिन पहले हुई। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार रेवोल्यूशनरी गार्ड फोर्स ने शाहिदी को एक प्रदर्शन में शामिल होने पर पकड़ा था जिसके बाद उनके ऊपर ताबड़तोड़ लाठियां बरसाई गईं। उनके सिर में चोट लग गई और यही उसकी मौत का करण बना। वहीं परिवार का कहना है कि उन पर ये कहने के लिए दबाव बनाया गया कि उनका लड़का हार्ट अटैक से मरा है। ईरानी टीवी पर दिए इंटरव्यू में महरशाद के परिजन ने कहा, “हमारे बेटे ने सिर पर चोट आने के कारण अपनी जिंदगी खो दी। लेकिन हम पर दबाव बनाया गया कि वो हार्ट अटैक से मरा है।” शाहिदी ईरान में बहुत मशहूर शेफ थे। उन्हें ईरान का जेमी ओलिवर कहा जाता था।
इनकी भी हुई हत्या
ईरान में हिजाब का विरोध करने पर जिनकी जान गई, उनमें महसा अमीनी के अलावा 20 वर्षीय हदीस नजफी है, जिसे छह गोलियां मारी गईं। दूसरी युवती पर्वतारोही गजाले चेलावी है, जिसकी उम्र 32 वर्ष थी। और तीसरा नाम है 23 वर्षीया हनने किया का तथा चौथा नाम है महासा मोगोई, जिसकी उम्र मात्र 18 वर्ष थी।
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