लखनऊ। अयोध्या विकास प्राधिकरण की नई नियमावली के अनुसार श्रीराम जन्मभूमि के आसपास 100 मीटर की परिधि में किसी भी तरीके के नए निर्माण को लेकर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया है। विशेष परिस्थितियों के लिए 5 सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। कमेटी इस पूरे क्षेत्र का सर्वे करेगी। कमेटी की रिपोर्ट के बाद राम जन्मभूमि परिसर के आसपास के क्षेत्रों में किसी प्रकार का निर्माण किया जा सकेगा। पुराने भवन को जिला प्रशासन से अनुमति लेने के बाद हेरिटेज के तौर पर विकसित किया जाएगा। राम जन्मभूमि परिसर से 300 मीटर के क्षेत्र में बहुमंजिला इमारत का निर्माण नहीं हो सकेगा। विकास प्राधिकरण के अनुसार, अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है, इसलिए श्रीराम मंदिर एवं आसपास के मंदिर की सुरक्षा को देखते हुए नियमावली बनाई गई है।
जानकारी के अनुसार, अष्टकोणीय गर्भगृह में अब तक वंशी पहाड़पुर के 500 पत्थर बिछाए जा चुके हैं। गर्भगृह के निर्माण कार्य में पांच सौ कारीगर व लगे हैं। गर्भगृह में लगने वाले मकराना के संगमरमर की भी आपूर्ति तेजी से हो रही है। नक्काशीदार खंभों को जोड़ने का कार्य भी शीघ्र ही शुरू कर दिया जाएगा। श्रीराम मंदिर के गर्भगृह में 160 स्तंभ लगाए जाने हैं। इन्हीं स्तंभों पर मंदिर टिका होगा। प्रथम तल में 132 स्तंभ लगाए जाएंगे। इसके बाद दूसरे तल पर 74 स्तंभ लगाए जाएंगे। मंदिर में कुल 12 द्वार होंगे। इन द्वार पर सागौन की लकड़ी के दरवाजे लगाए जाएंगे। लक्ष्य है कि जनवरी 2024 से भक्तों को भव्य गर्भगृह में रामलला के दर्शन प्राप्त हो सके।
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