ताइवान को ‘अपनी जगह’ मानने वाले विस्तारवादी चीन की तिमिलाहट तब और तेज हो जाती है जब दूसरे देशों, खासकर पश्चिमी देशों से कोई नेता वहां का दौरा करता है। जबकि स्वाभिमानी ताइवान चीन के दावे को खोखला और तथ्यहीन बताता आ रहा है। अमेरिका की सरकार इस मुद्दे पर ताइवान के साथ खड़ी है और जरूरत पड़ने पर सैन्य सहायता तक देने की पेशकश कर चुकी है। इससे चीन अमेरिका से भड़का ही हुआ था कि संसद अध्यक्ष नैंसी पलोसी की ताइवान यात्रा पर तो बीजिंग का गुस्सा फूट ही पड़ा। तनाव ऐसा बना दिया गया जैसे, चीन किसी भी पल ताइवान के खिलाफ मोर्चा खोल देगा।
लेकिन चीन को ताजा पिन चुभी है ब्रिटेन के सांसदों के ताइवान दौरे पर जाने से। बीजिंग ने ताइवान गई ब्रिटिश सांसदों की समिति पर फिर वही रटा—रटाया बयान दिया है कि कोई देश उसके अंदरूनी मामलों में दखलंदाजी न करे। कम्युनिस्ट सत्ता ने धमकीभरे लहजे में कहा है कि उसके हितों के विरुद्ध कदम उठाने वालों को इस हिमाकत का कड़ा जवाब दिया जाएगा। ‘जवाब’ से चीन का संकेत ताकत के प्रयोग की ओर माना जा रहा है।
ब्रिटेन स्थित चीन के दूतावास की तरफ से कहा गया है कि चीन ब्रिटेन से अनुरोध करता है कि वह अपनी प्रतिबद्धता का पालन करे, वन चाइना पॉलिसी का उल्लंघन करती किसी भी कार्रवाई को रोके और चीन के अंदरूनी मामलों में दखल देना बंद करे। चीन के हितों को आहत करने वाले कदमों को चीन की ओर से कड़ा जवाब दिया जाएगा।
ब्रिटेन की सरकार जानती थी कि उसके सांसदों के ताइवान दौरे को लेकर चीन बौखलाएगा, लेकिन फिर भी उसने सांसदों को ताइवान जाकर वहां के बड़े नेताओं से मिलने की अनुमति देकर यह दिखाया है कि अमेरिकी सरकार की तरह वह भी विस्तारवादी चीन के खोखले दावों को नहीं मानती। ब्रिटेन से गए सांसदों के दल ने कल ताइवान के प्रधानमंत्री सु त्सेंग चांग से भेंट की, और राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन से उनकी चर्चा हुई है। ताइवान के राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि हम इस आदान-प्रदान के जरिए ताइवान तथा ब्रिटेन के बीच मैत्रीपूर्ण और सहयोगात्मक रिश्तों को मजबूत करने और हिन्द-प्रशांत क्षेत्र की शांति, स्थिरता तथा विकास के लिए साथ काम करना जारी रखेंगे।
उधर ब्रिटेन में चीन के दूतावास ने कल ही एक ट्वीट के माध्यम से कहा कि ‘ब्रिटेन की संसद के विदेश मामलों की समिति के सांसदों की ताइवान यात्रा ‘वन चाइना पॉलिसी’ का स्पष्टत: उल्लंघन है’। चीनी दूतावास का बयान कहता है कि ‘एक लोकतांत्रिक स्वशासित द्वीप ताइवान को चीन अपना भाग मानता आ रहा है’। लेकिन, जैसा पहले बताया, ताइवान चीन के इस दावे को बेबुनियाद बताता आ रहा है।
ब्रिटेन स्थित चीन के दूतावास की तरफ से कहा गया है कि चीन ब्रिटेन से अनुरोध करता है कि वह अपनी प्रतिबद्धता का पालन करे, वन चाइना पॉलिसी का उल्लंघन करती किसी भी कार्रवाई को रोके और चीन के अंदरूनी मामलों में दखल देना बंद करे। दूतावास के प्रवक्ता का कहना है कि ब्रिटेन की तरफ से चीन के हितों को आहत करने वाले कदमों को चीन की ओर से कड़ा जवाब दिया जाएगा। बयान में यहां तक कहा गया है कि ‘ब्रिटिश सांसदों के इस दौरे ने उन तत्वों को गलत संकेत दिया है, जो ताइवान को स्वतंत्र देखने की इच्छा रखते हैं’।
ब्रिटिश सांसदों की समिति पांच दिन के ताइवान दौरे पर कल ही पहुंची है। उनका यह दौरा आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ब्रिटिश सांसदों का यह ताइवान दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि पहली बार ब्रिटेन का कोई उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ताइवान के दौरे पर गया है। ताइवान गई सांसदों की समिति की प्रमुख एलिसिया किर्न्स ने अपनी पांच दिन की यात्रा से पहले एक बयान जारी करके कहा था कि ‘हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में हमारे संबंधों की ताकत यूके के लिए बहुत मायने रखती है और इस क्षेत्र में ताइवान एक असाधारण और बेशकीमती आवाज है।
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