भारत का प्रतिनिधित्व केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लासगो में साल 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के भारत के लक्ष्य की घोषणा की थी।
हालांकि यह क्षति प्रतिपूर्ति कोष स्वैच्छिक होगा। इसमें चीन और भारत की भूमिका कितनी होगी, होगी भी या नहीं होगी, यह भविष्य में तय होगा। भारत ने कोयला और अन्य जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को खत्म करने (फेज आउट) के स्थान पर क्रमश: कम करने (फेज डाउन) करने का सुझाव दिया, जिसे दूसरे दस्तावेज में शामिल कर लिया गया। भारत ने ग्लासगो में भी इस शब्द में बदलाव कराया था। इसके अलावा, जीवाश्म ईंधन पर सब्सिडी के मामले में भी भारतीय दृष्टिकोण के अनुरूप शब्दावली का इस्तेमाल हुआ है।
सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लासगो में साल 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के भारत के लक्ष्य की घोषणा की थी। एक वर्ष के भीतर भारत ने प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों में कम कार्बन संक्रमण वाले मार्गों को इंगित करते हुए अपनी लंबी अवधि की कम उत्सर्जन वाली विकास रणनीति प्रस्तुत की है।
भारत ने अगस्त 2022 में अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान को अद्यतन किया था। इसने वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के रूप में नवीकरणीय ऊर्जा, ई-मोबिलिटी, इथेनॉल मिश्रित ईंधन और ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में नए दूरगामी कदम उठाए हैं। समापन सत्र में भी भूपेंद्र यादव ने मिस्र के राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए कहा कि हानि-क्षति निधि की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए जो समझौता किया गया है, उसकी दुनिया को लंबे समय से प्रतीक्षा थी।
सम्मेलन के दौरान 15 नवंबर को भारत का राष्ट्रीय घोषणा पत्र, एलआईएफई या लाइफ -‘पर्यावरण के लिए जीवनशैली’ जारी किया गया। सम्मेलन के दौरान भारतीय मंडप में जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों को दर्शाया गया। लगभग 25,000 कॉप प्रतिभागियों ने मंडप का अवलोकन किया। मंडप को इस तरह तैयार किया गया था कि विभिन्न दृश्य-श्रव्य, लोगो, 3डी मॉडलों, सेट-अप, सजावट और सहायक कार्यक्रमों के जरिए ‘लाइफ’ का संदेश दिया जा सके।
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