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होम भारत उत्तराखंड

उत्तराखंड : विधानसभा ने पारित किया धर्मांतरण विधेयक, बनेगा सख्त कानून

"पाञ्चजन्य" ने सबसे पहले उठाया था, उत्तराखंड में जनसंख्या असंतुलन और धर्मांतरण का मुद्दा

दिनेश मानसेरा by दिनेश मानसेरा
Dec 1, 2022, 08:33 pm IST
in उत्तराखंड
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https://panchjanya.com/wp-content/uploads/speaker/post-258981.mp3?cb=1669907009.mp3

उत्तराखंड की विधानसभा ने ऐतिहासिक धर्मांतरण विधेयक को पास कर दिया है। राज्य की धामी सरकार ने पिछले हफ्ते ही अपनी कैबिनेट में इस विधेयक को मंजूरी दी थी और उसे तुरंत ही विधानसभा सत्र में रख दिया है, जिसपर विधायको ने अपनी मंजूरी दे दी।

धर्मांतरण विधयेक पास होने के बाद, राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए जायेगा फिर इसे राष्ट्रपति के पास स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा।इस कानून के बन जाने से उत्तराखंड की हिंदू देव संस्कृति का संरक्षण किया जा सकेगा।

धर्मांतरण विधेयक पास होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने “पाञ्चजन्य” से बातचीत में कहा कि उत्तराखंड को देव भूमि माना जाता रहा है किंतु कुछ समय से यहां हिंदू धर्म के जनजाति समाज, वंचित समाज के लोगो के बीच धर्मांतरण कराने के षडयंत्र रचे जा रहे थे, हमारा राज्य सीमांत राज्य भी है हमे राज्य के भविष्य की चिंता है यहां के लोगो की चिंता है, इस लिए धर्मांतरण कानून बनाया जा रहा है।श्री धामी कहते है कि हम इस बात के लिए भी चिंता कर रहे है कि यहां कुछ जिलों में जनसंख्या असंतुलन के विषय भी है, इसके लिए हम सशक्त भू कानून और समान नागरिक संहिता विधेयक भी जल्द लाने जा रहे है।

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का कहना है कि धर्मांतरण कानून की राज्य को सख्त जरूरत थी, मुस्लिम लव जिहाद, ईसाई मिशनरियों के षड्यंत्रों से इस कानून के बन जाने से रोक लग सकेगी। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष कहते है कि बीजेपी राज्य की धर्म संस्कृति के संरक्षण के लिए वचनबद्ध है।

ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य एवं अयोध्या राम मंदिर के मुख्य ट्रस्टी स्वामी श्री वासुदेवानंद सरस्वती महाराज ने उत्तराखंड में धामी सरकार के धर्मांतरण कानून बनाए जाने के  फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए पूरे देश के राज्यों को ऐसी पहल करने की अपील की है।

क्या क्या है धर्मांतरण विधेयक के मुख्य बिंदु

उत्तराखंड विधानसभा ने को सख्त प्रावधानों वाला धर्मांतरण रोधी संशोधन विधेयक पारित कर दिया है, जिसमें इसे गैर-जमानती अपराध माना गया है। इसके तहत जबरन धर्म परिवर्तन के दोषियों के लिए तीन साल से लेकर 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा कम से कम 50 हजार रुपये के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है। वहीं इस संशोधन के बाद अपराध करने वाले को कम से कम 5 लाख रुपये की मुआवजा राशि का भुगतान भी करना भी पड़ सकता है जो पीड़ित को दी जाएगी।

पहले जो विधेयक था उसमे सात साल की सजा का प्रावधान था जिसे बढ़ा कर्णदास किया गया हैं।उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक-2022 को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। दरअसल पूर्व में त्रिवेंद्र सरकार ने भी इसी तरह का बिल विधानसभा में पास किया था, किंतु उसमे कई खामियां थी जिसकी वजह से उसको राष्ट्रपति तक नही भेजा जा सका।

नए बिल में धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति को पूर्व में मिली आरक्षण और अन्य सुविधाओं से वंचित किया जायेगा। यदि कोई स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करता है तो उन्हे डीएम के यहां एक माह पूर्व प्रार्थना पत्र देना होगा।

क्यों जरूरत पड़ी धर्मांतरण कानून की ?

उत्तराखंड में मैदानी जिलों में महाराणा प्रताप वंशज राणा थारू बुक्सा जन जाति रहती है जिनमे ईसाई मिशनरियां सक्रिय रहती है और माना जा रहा है कि इनकी 35 फीसदी आबादी ईसाई हो चुकी है।इसके साथ साथ राय सिखो ,वाल्मीकि,अंबेडकरवादी समाज में भी ईसाई मिशनरियों के धर्मांतरण षडयंत्र चल रहे है।

उत्तराखंड के देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, उधमसिंह नगर और पौड़ी जिले में मुस्लिम आबादी पांव पसार रही है जिसकी वजह से लव जेहाद के मामले भी तेजी से बढ़ रहे है।

“पाञ्चजन्य” ने सबसे पहले उठाया था जनसंख्या असंतुलन और धर्मांतरण का मुद्दा

उत्तराखंड राज्य बने 22 साल हो गए और यहां दो सामाजिक बड़ी सामाजिक समस्याओं की तरफ पाञ्चजन्य ने सबसे पहले सरकार का ध्यान आकृष्ट किया था, ये दो समस्याएं है, राज्य में बढ़ रही मुस्लिम आबादी जोकि देश में असम के बाद सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ी है। चार मैदानी जिलों में ये आबादी तीस से पैंतीस प्रतिशत तक हो गई है।जबकि जा राज्य बना था तब ये यहां मुस्लिम जनसंख्या दस से चौदह प्रतिशत ही थी।

इसी तरह ईसाई आबादी भी तेजी से बढ़ी और इसके पीछे धर्मांतरण ही प्रमुख वजह है। उत्तराखंड की तरह पड़ोसी राज्य हिमाचल भी है जहां राज्य गठन के समय मुस्लिम आबादी दो फीसदी ही थी और आज भी उसी के आसपास है। हिमाचल में ऐसा सशक्त भू कानून है कि बाहरी राज्य का व्यक्ति वहां स्थाई रूप से बस नही सकता है।इन्ही मुद्दो पर “पाञ्चजन्य” ने बार बार अपने लेखों में उत्तराखंड सरकार का ध्यान आकृष्ट करवाया है।

राज्य सरकार ने समान नागरिक संहिता और सशक्त भू कानून बिल के मसौदे को तैयार करने के लिए अलग अलग विशेषज्ञ समितियों का गठन किया हुआ है जोकि राज्य की जनता से भी राय मशविरा कर रही है। सीएम पुष्कर धामी का कहना है कि जल्द ही ये दोनो विधेयक भी विधानसभा में रखे जाएंगे।

  • 1. यह उत्तराखण्ड में होने वाले किसी भी अवैध धर्मांतरण को रोकेगा,
  • 2. दबाव, लालच, बलपूर्वक, धोखाधड़ी एवं अयुक्त प्रभाव आदि से होने वाले धर्मांतरण को रोकेगा,
  • 3. लव जिहाद जैसे मामले को रोकेगा,
  • 4. केवल विवाह के लिये किये जाने वाला धर्म परिवर्तन अवैध होगा एवं सजा भी होगी,
  • 5.धर्मांतरण करने हेतु प्रक्रिया को सुनिश्चित करता है और 30 दिन का पूर्व नोटिस आवश्यक होगा, जिलाधिकारी के यहां प्रक्रिया का पालन नहीं करने पर भी विवाह अवैध होगा एवं कानूनी कार्यवाही भी होगी,
  • 6. ये कानून अवैध धर्मांतरण करने वाले लोग या संस्थाओं के ऊपर भी कार्यवाही का प्रावधान करता है,
  • 7. अवैध धर्मांतरण करने वाली संस्थाओं को मिलने वाले देशी विदेशी चंदे पर रोक लगाएगा।
  • 8. ये कानून अवैध धर्मांतरण को गैर जमानती अपराध बनाता है,
  • 9. एससी, एसटी, महिला एवं नाबालिक के अवैध धर्मांतरण पर अधिक सजा का प्रावधान,
  • 10. उत्तराखंड ये कानून देश का सबसे प्रभावशाली एवं सख्त कानून में से एक है,जो धर्म की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करता है।

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