गोवा में 20 से 28 नवंबर तक चलने वाले भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में बहुत कुछ पहली बार हो रहा है। 53वें महोत्सव में तकनीक का जबरदस्त प्रयोग किया गया है, ताकि दिव्यांग भी फिल्मों का आनंद उठा सकें
करोना काल के बाद गोवा में पहली बार एशिया के सबसे बडे भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) का आयोजन किया जा रहा है। यह वार्षिक फिल्म महोत्सव कला, सिनेमा और संस्कृति की एकजुट ऊर्जा और भावना को संजोते हुए इस क्षेत्र के दिग्गजों को एक ही छत के नीचे लाता है। 20-28 नवंबर तक चलने वाले इस 53वें फिल्म महोत्सव में विभिन्न देशों की 280 फिल्में दिखाई जाएंगी। विदेशी श्रेणी में 183 फिल्में, जबकि ‘इंडियन पैनोरमा’ में भारत की 25 फीचर फिल्में और 20 गैर-फीचर फिल्में दिखाई जाएंगी। इस बार फ्रांस को विशेष महत्व दिया गया है। ‘कंट्री फोकस पैकेज’ के तहत फ्रांस की 8 फिल्में दिखाई जाएंगी।
महोत्सव में पहली बार
इस बार का फिल्म महोत्सव कई मामलों में अनूठा है। पहली बार कान फिल्म महोत्सव के ‘मार्श डु केन’ जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय बाजारों की तर्ज पर महोत्सव में पैवेलियन दिखे। इस साल इफ्फी और ‘फिल्म बाजार’ ने कई नई पहल की हैं। पूरे गोवा में जगह-जगह कैरा वैन पर फिल्में दिखाई जा रही हैं और खुले समुद्र तट पर भी स्क्रीनिंग हो रही है। पहली बार कई सहेजी गई पुरानी उत्कृष्ट फिल्में ‘द व्यूइंग रूम’ में रखी गई हैं, जहां से कोई भी इन फिल्मों के अधिकार खरीद सकता है और दुनियाभर के फिल्म समारोहों में इनका इस्तेमाल कर सकता है।
बता दें कि भारतीय राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार की फिल्मों को एनएफडीसी द्वारा ‘इंडियन रिस्टोर्ड क्लासिक्स’ श्रेणी में प्रदर्शित किया जाएगा। साथ ही, पहली बार भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, पुणे ने विशेष तौर से दिव्यांगों के लिए फिल्म निर्माण पाठ्यक्रम शामिल किया, जिसमें गोवा के करीब 20 दिव्यांग प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। समारोह में देशी-विदेशी फिल्मों के भव्य प्रीमियर के साथ ओटीटी पर प्रदर्शित होने वाली फिल्में और शो भी प्रीमियर का हिस्सा रहेंगे। इसमें अजय देवगन की ‘दृश्यम-2’ और वरुण धवन अभिनीत ‘भेड़िया’ भी शामिल हैं। साथ ही, यूनिसेफ और राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) द्वारा बाल अधिकारों पर बनी फिल्मों को बढ़ावा दिया गया है।
महोत्सव की शुरुआत डीटर बर्नर द्वारा निर्देशित आस्ट्रेलियाई फिल्म ‘एल्मा एंड आस्कर’ से हुई, जबकि समापन क्रिस्टॉफ जानुसी की ‘परफेक्ट नंबर’ से होगा। अन्य आकर्षण में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की पहल ‘75 क्रिएटिव माइंड्स आफ टुमॉरो’ का दूसरा संस्करण रहा। इसमें जिन फिल्मकारों की पहचान की जा रही है, वे भारतीय स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के प्रतीक हैं। आने वाले वर्षों में इसे ध्यान में रखते हुए ही युवा प्रतिभागियों की संख्या में वृद्धि होगी। इस साल कुल 42 पैवेलियन हैं।
फिल्म महोत्सव की स्टीयरिंग कमिटी की सदस्य वाणी त्रिपाठी के अनुसार, भव्य प्रीमियर का उद्देश्य भारतीय सिनेमा को वैश्विक मंच देना है। इसी के तहत कुछ फिल्मों का प्रदर्शन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कान फिल्म महोत्सव की तर्ज पर इस बार स्क्रीनिंग के बाद फिल्म से जुड़े अभिनेता, तकनीशियन दर्शकों से संवाद करेंगे। इस तरह के कार्यक्रमों से न सिर्फ दर्शक सिनेमा से जुड़ते हैं, बल्कि फिल्म संस्कृति भी मजबूत होती है।
महोत्सव में दिखाई गई ‘ विभाजन की विभीषिका’
महोत्सव में 23 नवंबर को पाञ्चजन्य द्वारा निर्मित वृत्तचित्र ‘विभाजन की विभीषिका’ का भी प्रदर्शन हुआ। इसके प्रति लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा था। विभाजन के दौरान हिंदुओं को क्या-क्या झेलना पड़ा, इसे जानने की उत्सुकता युवाओं में साफ दिख रही थी। फिल्म जितनी देर तक चलती रही, उतनी देर तक पूरे हॉल में सन्नाटा छाया रहा। फिल्म के समापन के बाद हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। फिल्म की स्क्रीनिंग ऐसे दिन और समय में हुई। जिसके बारे में कहा जाता है कि दर्शक कम होंगे। लेकिन विभाजन की त्रासदी को बड़े पर्दे पर देखने के लिए हॉल पूरा भरा हुआ था। फिल्म देखने के बाद लोगों की आंखें भरी हुई और गला रूंधा हुआ था। गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने फिल्म की प्रशंसा करते हुए कहा कि ‘विभाजन की विभीषिका’ फिल्म से लोगों को पता चला कि उस समय क्या हुआ था। विभाजन का दर्द और उसकी कहानी पिछले 75 वर्ष से दबी हुई थी, जिसे पाञ्चजन्य फिल्म के माध्यम से सामने लेकर आया है। बता दें कि फिल्म का निर्देशन पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर ने किया है।
विशेष आकर्षण
इस साल की दादासाहब फाल्के पुरस्कार विजेता आशा पारेख की तीन फिल्में- तीसरी मंजिल, दो बदन और कटी पतंग का प्रदर्शन ‘आशा पारेख रेट्रोस्पेक्टिव’ का हिस्सा रहीं, जबकि ‘होमेज’ श्रेणी में 15 भारतीय और 5 अंतरराष्ट्रीय फिल्में रखी गई। एनएफएआई की फिल्में ‘इंडियन रिस्टोर्ड क्लासिक्स’ श्रेणी में दिखाई गई। इनमें 1957 में बनी सोहराब मोदी की ‘नौशेरवान-ए-आदिल’, रमेश माहेश्वरी की 1969 में राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता पंजाबी फिल्म ‘नानक नाम जहाज है’, 1980 में निर्मित के. विश्वनाथ की तेलुगु फिल्म ‘शंकराभरणम’ और सत्यजीत रे की दो फिल्में ‘शतरंज’ (1977) और ‘गणशत्रु’ (1989) शामिल हैं। वहीं, पूर्वोत्तर की फिल्मों को बढ़ावा देने के लिए 5 फीचर और 5 गैर-फीचर फिल्मों को शामिल किया गया।
‘मणिपुरी सिनेमा की स्वर्ण जयंती’ शीर्षक वाले विशेष मणिपुरी सिनेमा खंड के तहत दो फिल्में दिखाई गई। इसके अलावा, एनएफडीसी द्वारा आयोजित ‘फिल्म बाजार’ ने अपनी विभिन्न श्रेणियों में कुछ बेहतरीन फिल्में और फिल्मकारों को शामिल किया है। अन्य विशेष आकर्षणों में आजादी का अमृत महोत्सव थीम पर सीबीसी की प्रदर्शनी, 26 नवंबर को शिग्मोत्सव (वसंत महोत्सव) और 27 नवंबर को होने वाला गोवा कार्निवल शामिल है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री डॉ. एल. मुरुगन के अनुसा, स्पेनिश फिल्मकार कार्लोस सौरा को सत्यजीत रे लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया और इफ्फी में उनकी 8 फिल्मों का रेट्रोस्पेक्टिव आयोजित किया गया।
इस साल समारोह में सिनेमा प्रेमियों में गजब का उत्साह देखने को मिला। चाहे मास्टर क्लास हो या किसी फिल्म का प्रदर्शन, सब हाउसफुल चल रहा था। दर्शकों की लंबी-लंबी कतारें दिखीं। मैथिली फिल्म ‘लोटस ब्लूम्स’ की अभिनेत्री अस्मिता शर्मा और निर्देशक प्रतीक शर्मा तो दर्शकों का उत्साह देखकर दंग थे। उनका कहना था कि मैथिली फिल्म के लिए दर्शकों से इतने प्यार की उम्मीद नहीं थी।
फिल्म समारोह के उद्घाटन और समापन समारोह में 14 सांस्कृतिक प्रदर्शन होने हैं, जिनमें भारत की शीर्ष फिल्म हस्तियों के अलावा फ्रांस, स्पेन और गोवा का प्रतिनिधित्व करने वाले संगीत और नृत्य समूह शामिल होंगे।
‘भारत को वैश्विक कं टेंट केंद्र बनाना लक्ष्य’
फिल्म समारोह के शुभारंभ के अवसर पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि वे भारत को ‘ग्लोबल कंटेंट हब’ के रूप में स्थापित करना चाहते हैं। सरकार का लक्ष्य एशिया के सबसे बड़े फिल्म महोत्सव को सामग्री निर्माण, फिल्म निर्माण और शूटिंग के लिए वन-स्टॉप डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि हम भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में सिनेमा की उत्कृष्टता का जश्न मनाने के साथ ही भारतीय फिल्म उद्योग के लिए वैश्विक स्तर पर एक सहयोगी तंत्र विकसित करना चाहते हैं। इस साल 80 से अधिक देशों को अपनी फिल्में दिखाने का मौका मिला है। इफ्फी में न केवल राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय फिल्मों का, बल्कि ओटीटी सीरीज का भी भव्य प्रीमियर होगा। उन्होंने यह भी कहा कि महोत्सव में महिला फिल्म निर्माताओं की हिस्सेदारी बढ़ कर 40 प्रतिशत हो गई है। यह चलन दर्शाता है कि भारत ने जिस इफ्फी मंच का गठन किया है, उसके जरिये दुनिया अपने काम को दिखाना चाहती है। वहीं, इस मंच से भारत को भी अपनी फिल्में दुनिया को दिखाने का अवसर मिलेगा। इस मंच पर क्षेत्रीय सिनेमा को भी समान अवसर मिलेगा।
उन्होंने कहा कि जीवन में तकनीक की महत्वपूर्ण भूमिका है, इसलिए हमने तकनीक को समारोह का हिस्सा बनाना सुनिश्चित किया है। अगले साल तक सब कुछ दोगुना बड़ा होगा। क्षेत्रीय और युवा प्रतिभाओं की भागीदारी पर उन्होंने कहा कि प्रतिष्ठित ज्यूरी ने अभिनय, निर्देशन, संपादन, पार्श्व गायन, पटकथा लेखन और एनिमेशन सहित 10 श्रेणियों की लगभग 1,000 प्रविष्टियों में से ‘75 क्रिएटिव माइंड्स आफ टुमॉरो’ के दूसरे संस्करण का चयन किया है। इसमें एक निर्माता महज 18 वर्ष का है। आम तौर पर जिन्हें आसानी से किसी बड़े फिल्म निर्माता या दूसरी फिल्मी हस्तियों से मिलने का मौका नहीं मिलता, जो ऐसे युवाओं का मार्गदशन करतीं। आज वे न केवल उनसे मिलेंगे, बलिक उनसे सीख कर अपनी पहचान भी बनाएंगे। इफ्फी ने फिल्में देखने के विविध अनुभव के मामले में भाषा की बाधाओं को भी तोड़ने का प्रयास किया है। हर दर्शक को फिल्म देखने के लिए हेडफोन और भाषा चुनने का विकल्प दिया जाएगा। उपशीर्षक उनके द्वारा चुनी गई भाषा के अनुसार समायोजित किए जाएंगे।
दक्षिण बनाम बॉलीवुड बहस पर उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में तकनीक के कारण फिल्मों की क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय श्रेणियों के बीच की रेखाएं धुंधली हो गई हैं। अब जो भी फिल्म बनेगी, उसे अंतरराष्ट्रीय नजरिए से देखा जा सकता है। इस बार इफ्फी विशेष रूप से तैयार प्रमुख मणिपुरी फीचर फिल्मों और गैर-फीचर फिल्मों को प्रदर्शित कर मणिपुरी सिनेमा की स्वर्ण जयंती मनाएगा। साथ ही, इस बार फिल्म बाजार के महत्व की ओर भी ध्यान दिलाया है। पहली बार इफ्फी ने कंट्री पवेलियन की शुरुआत से फिल्म बाजार का दायरा बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों को ध्यान में रखते हुए इस श्रेणी की फिल्में आॅडियो-विजुअल सुविधाओं से लैस होंगी, जिसमें आॅडियो विवरण और सबटाइटल शामिल होंगे। -शिवम दीक्षित
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