चीन हिंद महासागर पर अपना रौब बढ़ाने के लिए छटपटा रहा है। उसने तेजी से बड़ी तादाद में इस क्षेत्र में सैनिक अड्डे बनाने की अपनी रणनीति पर काम करना शुरू भी कर दिया है। चालाक चीन ने भारत के पड़ोसी देशों श्रीलंका, पाकिस्तान तथा थाइलैंड में अपने सैनिक ठिकाने बनाने की रणनीति भी अपनाई हुई है। भारत को अपने सैन्य घेरे में लेने की उसकी यह इच्छा किसी से छुपी नहीं है।
उल्लेखनीय है कि चीन की नौसेना भारत से लगते हिंद महासागर के क्षेत्र में पनडुब्बियां तैनात कर चुकी है। इतना ही नहीं, बीजिंग ने बेल्ट एंड रोड परियोजना के अंतर्गत हिंद महासागर में कई देशों के बंदरगाहों तक अपनी धमक बनाई हुई है। इस बाबत अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन की 2022 की रिपोर्ट में ‘चाइना मिलिट्री पावर’ अध्याय में और खुलकर छापा गया है।
रिपोर्ट पर गौर करने से पता चलता है कि दक्षिण चीन सागर के बाद अब चीन हिंद महासागर पर कुदृष्टि गड़ा रहा है। चीन की नौसेना ने यहां अपनी पनडुब्बियों की तैनाती के बाद कई देशों के बंदरगाहों तक अपनी पहुंच पुख्ता कर ली है। बेशक, इसके पीछे उसका सैन्य उद्देश्य ही है।
अमेरिका के रक्षा मंत्रालय की 2022 की यह रिपोर्ट बताती है कि चीन भारत और अमेरिका की बढ़ रही निकटता से परेशान है और अमेरिका को उसकी ‘सलाह’ है कि वह भारत और उसके बीच के विवाद में अपनी दखल न दे। यहां बता हैं कि गलवान संघर्ष में पिटने के बाद, अमेरिका की तरफ आंखें तरेरी थीं। चीन का कहना है कि अमेरिका भारत के साथ चल रहे उसके विवाद से दूर रहे।
आगे यह रिपोर्ट बताती है चीन स्पेस और साइबर स्पेस में भी अपनी क्षमता को बेहद तेजी से विकसित कर रहा है। रिपोर्ट एक और बड़ा खुलासा करती है कि बीजिंग साल 2027 तक ताइवान को ‘मुख्यभूमि’ में मिलाना चाहता है।
चीन अपने सैनिक अड्डे किन—किन देशों में बनाने की योजना बना रहा है उनके बारे में बताते हुए जिन देशों का इसने नाम गिनाया है उनमें हैं कंबोडिया, थाइलैंड, सिंगापुर, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, श्रीलंका, यूएई, केन्या, सेशेल्स, इक्वेटोरियल गिनी, तंजानिया, अंगोला तथा ताजिकिस्तान। अगर चीन के ये मंसूबे पूरे होते हैं तो कहना न होगा कि चीन की कम्युनिस्ट सेना पीएलए दक्षिण चीन सागर से लेकर अफ्रीका के समुद्र तट तक फैली होगी। पीएलए ने नामीबिया, वानूआतू तथा सोलोमन द्वीप में सैनिक सुविधा केंद्र बनाने की कोशिशें तेज कर ही दी हैं।
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