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नेपाल में फिर सक्रिय हुए कम्युनिस्ट, सरकार बनाने के लिए गठबंधन की कोशिशें तेज

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओइस्ट सेंटर) का एक वर्ग पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के दल के साथ गठजोड़ की संभावनाएं तलाश रहा है। माओइस्ट सेंटर के महासचिव देव गुरुंग खुद इसमें सक्रिय बताए जाते हैं

by WEB DESK
Nov 30, 2022, 12:00 pm IST
in विश्व
प्रधानमंत्री देउबा और कम्युनिस्ट नेता प्रचंड   (फाइल चित्र)

प्रधानमंत्री देउबा और कम्युनिस्ट नेता प्रचंड (फाइल चित्र)

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नेपाल में लंबी उठापटक के बाद संसद के चुनाव तो हुए लेकिन किसी दल या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत न मिल पाने की वजह से अब जोड़—तोड़ से सरकार बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है। इससे राजनीतिक गलियारों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की नेपाली कांग्रेस हालांकि सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है, लेकिन उनके गठबंधन को भी सरकार बनाने लायक बहुमत नहीं मिला है। कम्युनिस्ट दलों की मिली सीटों का ऐसा असर है कि वे भी अब सरकार में अपनी संभावनाएं तलाशने में लगे हैं।

मीडिया में आए समाचारों के अनुसार, ‘माओइस्ट सेंटर’ पार्टी नेपाली कांग्रेस से नाराज चल रही है। कारण, आम चुनाव में नेपाली कांग्रेस अपने वोट उसके उम्मीदवारों को नहीं दिलवा पाई। माओवादी पार्टी का कहना है कि इस वजह से वह कई सीटों पर हार गई, नेपाली कांग्रेस से उसे जो भरोसा था वह पूरा नहीं हुआ।

विशेषज्ञों का मानना है कि नेपाल पर ​चीन की बढ़ती पकड़ से शह पाकर काठमांडु में एक बार फिर से वामपंथी एकजुट होने की फिराक में हैं। अंदर की एक खबर यह भी है कि सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल रही कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओइस्ट सेंटर) का एक वर्ग पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के दल के साथ गठजोड़ की संभावनाएं तलाश रहा है। माओइस्ट सेंटर के महासचिव देव गुरुंग खुद इसमें सक्रिय बताए जाते हैं। ओली की तरफ से उनकी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) के वरिष्ठ नेता पृथ्वी सुब्बा गुरुंग पार्टी के अंदर किसी नए गठबंधन की संभावनाओं पर बात कर रहे हैं।

माओइस्ट सेंटर को 2017 के मु​काबले इस चुनाव में आधी सीटें ही मिली हैं। इसी बात से नाराज यह पार्टी अपने ऐसे प्रदर्शन का ठीकरा नेपाली कांग्रेस के सिर फोड़ रही ​है कि उसने दगा दी, अपने इलाकों में वोट नहीं दिलवाए। पार्टी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड नेपाली कांग्रेस की अगुआई वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में कायम रहने के इच्छुक बताए जाते हैं। उधर देव गुरुंग तथा कई अन्य बड़े नेताओं का मानना है कि माओइस्ट सेंटर को नई सरकार बनाने की दिशा में ओली की पार्टी यूएमएल से बात आरम्भ करनी चाहिए।

बताया जा रहा है कि यूएमएल प्रमुख ओली पिछले हफ्ते ही फोन पर प्रचंड से हुई अपनी बातचीत में उनके सामने साथ आने की पेशकश कर ही चुके हैं। यूएमएल के उपाध्यक्ष विष्णु पौडेल ने दो दिन पहले प्रेस से बात करते हुए कहा भी था कि क्योंकि किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है, इसलिए यूएमएल नई सरकार बनाने की संभावनाएं तलाशेगी। पौडेल ने कहा कि हम जनादेश का सिर—माथे रखते हैं। लेकिन अगर यूएमएल ने ऐसी पहल नहीं की, तो देश आगे कैसे बढ़ेगा, ऐसे तो विकास के काम थम सकते हैं।

लेकिन ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री और नेपाली कांग्रेस के प्रमुख शेर बहादुर देउबा को इन सब ग​गतिविधियों का अंदाजा नहीं है। उन्होंने भी अपनी तरफ से गत शुक्रवार को प्रचंड को चर्चा के लिए अपने निवास पर आमंत्रित किया था। ऐसा करके उन्होंने यह संकेत देने का प्रयास किया था कि सत्तारूढ़ गठबंधन मजबूती से एकजुट है। लेकिन तब भी राजनीतिक पंडित मानते हैं कि सरकार बनाने के लिए वामपंथी पार्टियों के बीच कुछ तो पक ही रहा है।

जानकार इस सवाल पर भी चर्चा कर रहे हैं कि क्या प्रधानमंत्री देउबा और प्रचंड अगले पांच साल के लिए सरकार बनाएंगे और क्या इस दौरान वे बारी-बारी से प्रधानमंत्री बनेंगे। इतना ही नहीं, चर्चा इस मुद्दे पर भी चल रही है कि किस पार्टी के कितने मंत्री होंगे और राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति तथा संसद अध्यक्ष जैसे पदों में से कितने किस पार्टी को जाएंगे। उधर ओली की यूएमएल उम्मीद लगाए है कि ऐसे तमाम बिंदुओं को लेकर सत्तारूढ़ गठबंधन में कोई सहमति नहीं बन पाएगी।

उल्लेखनीय है कि नेपाली संसद के निचले सदन की प्रत्यक्ष निर्वाचन की 165 सीटों में से माओइस्ट सेंटर ने 47 पर चुनाव लड़ा था। लेकिन वह मात्र 17 सीटें ही जीत पाई है। 2017 में यह पार्टी यूएमएल के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ी थी और तब इसने 37 सीटों पर जीत हासिल की थी। वामपंथी पार्टी की केन्द्रीय कमेटी के वरिष्ठ सदस्य का कहना है कि माओइस्ट सेंटर के बड़े नेताओं पर पार्टी की चूलें कसने का भारी दबाव है। पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ता जा रहा है। पार्टी के कई नेताओं का मानना है कि यदि माओइस्ट सेंटर सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल ना होती तब शायद ये और ज्यादा सीटें जीत जाती।

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