भारत की सेना में रह कर वीर गाथा लिखने वाले डेसमंड हायड, मिला था महावीर चक्र
Saturday, January 28, 2023
  • Circulation
  • Advertise
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • My States
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • My States
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
No Result
View All Result
Panchjanya
No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • G20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • My States
  • Vocal4Local
  • Subscribe
होम भारत

भारत की सेना में रह कर वीर गाथा लिखने वाले डेसमंड हायड, मिला था महावीर चक्र

डेसमंड की अगुवाई में जाट रेजिमेंट के कुछ सैनिकों ने 57 वर्ष पूर्व एक ऐसी भयानक जंग लड़ी थी, जिसे दुनिया की सबसे कठिन जंगों में से एक माना जाता है।

WEB DESK by WEB DESK
Nov 29, 2022, 03:36 pm IST
in भारत, उत्तराखंड
Share on FacebookShare on TwitterTelegramEmail

देहरादून : भारत जब स्वतन्त्र हुआ तो सभी ब्रिटिश फौजी अफसरों की तरह आयरिश मूल के नौजवान अफसर डेसमंड हायड के सामने भी दो विकल्प थे, पहला वापस अपने देश चला जाए, दूसरा वो चाहे तो भारत या पाकिस्तान की सेना के साथ बना रहे। लगभग सभी ब्रिटिश फौजियों ने पहला विकल्प ही चुना, लेकिन इस नौजवान अफसर ने भारत में अपनी रेजिमेंट के साथ रहने का फैसला किया, इसके बाद जो हुआ वह एक अद्भुद गाथा है। इस अफसर ने रेजिमेंट के साथ भारत के लिए जंग लड़ी, रिटायरमेंट के बाद भी इस अफसर के लिए अपनी रेजिमेंट ही सब कुछ थी और दुनिया छोड़ने के बावजूद वो आज भी अपनी रेजिमेंट के साथ ही है।

यूनाइटेड किंगडम में आयरलैंड के एक्सेटर में 28 नवंबर सन 1926 को जन्मे डेसमंड हायड ने इंडियन मिलिट्री अकादमी देहरादून में ट्रेनिंग के बाद 12 सितंबर सन 1948 को भारतीय फौज की जाट रेजिमेंट के साथ कमीशन हासिल किया था।

इनकी अगुवाई में जाट रेजिमेंट के कुछ सैनिकों ने 57 वर्ष पूर्व एक ऐसी भयानक जंग लड़ी थी, जिसे दुनिया की सबसे कठिन जंगों में से एक माना जाता है। भारतीय फौज ने ऐसी जंग कभी नहीं लड़ी थी। डेसमंड हायड के प्रेरणादायक नेतृत्व और सूझबूझ भरे कदमों के चलते भारतीय सेना की जाट रेजिमेंट ने वो कर दिखाया जो दुनिया के इतिहास में कुछ ही फौजें कर पाई हैं। इसी की एक अतुल्य दास्तान है डोगराई वॉर।

सन 1965 की भारत-पाकिस्तान जंग के दौरान लेफ्टिनेंट कर्नल हायड जाट रेजिमेंट की तीसरी बटालियन या 3 जाट रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर बने थे। बटालियन की कमान सम्भालने के कुछ घंटों के भीतर ही उन्हें अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर के समानांतर और पाकिस्तान के अंदर बहने वाली इछोगिल नहर को भेदने का आदेश मिला था। पाकिस्तान में आठ किलोमीटर अंदर बहने यह एक गहरी और चौड़ी नहर थी, जिसके दूसरी तरफ पाकिस्तानी फौज ने कंक्रीट के बंकर बना रखे थे, वहां उनके बख्तरबंद दस्ते भी तैनात थे। हायड की बटालियन ने इस नहर को भेद डाला, इसके बाद उन्हें लाहौर और ग्रांड ट्रंक रोड से लगते कस्बे ‘डोगराई’ पर धावा बोलने का आदेश मिला। जाट रेजिमेंट ने 6 और 7 सितंबर सन 1965 की रात को पहली बार डोगराई पर धावा बोला, लेकिन पीछे हटना पड़ा क्योंकि उनकी मदद के लिए जिस यूनिट को आना था वो संवादहीनता के चलते पहुंच ही नहीं पाई थी। जाट बटालियन को अगले आदेश तक पंद्रह दिन दुश्मन से महज आठ किलोमीटर दूर पाकिस्तान के ही संतपुरा गांव की खाइयों में बिताने पड़े थे। इतने दिनों में पाकिस्तानी फौज ने डोगराई में जबरदस्त किलेबंदी कर दी, इन विषम हालातों के बीच कर्नल हायड को 21 सितंबर सन 1965 की रात को फिर डोगराई पर धावा बोलने का आदेश मिला। डोगराई पर धावा बोलने से पहले कर्नल हायड ने दो बातें भारतीय जवानों से साफ तौर पर कह दी, वो भी ठेठ हरियाणवी में ‘पहला, एक भी आदमी पीछे नहीं हटेगा। दूसरा, जिंदा या मुर्दा, सभी को डोगराई में मिलना है’। इसी प्रेरणादायक वाक्य का नतीजा था कि जाट बटालियन अपने सर्वोच्च आत्मबल और बहादुरी के साथ जंग के मैदान में उतरी, रात को करीब 1.30 बजे सूबेदार पाले राम के ‘जाट बलवान, जय भगवान’ के जयकारे साथ ही रेजिमेंट के पांच सौ तेईस बहादुर सैनिकों ने कूच करना शुरू किया, सामने खुद से दोगुनी से ज्यादा संख्या वाली फौज थी। डोगराई में पाकिस्तानी फौज की इन्फेंट्री 3 बलोच की 2 बटालियनों ने मोर्चा संभाल रखा था, जिन्हें एक टैंक स्क्वाड्रन की भी मदद मिल रही थी। गोलियों की बौछारों के बीच जाट रेजिमेंट के जवान डोगराई तक आठ किलोमीटर छिपते हुए, रेंगते हुए आगे बढ़े। वो भी उन खाइयों में जिन्हें पाकिस्तानी फौज ने खुद अपने लिए बनाया था, साफ है हायड के सैनिकों के लिए डगर बेहद कठिन थी, इन हालातों के बीच हायड ने अपने सैनिकों से दो टूक कहा – मैं अकेला ही युद्ध के मैदान में डटा रहूंगा।

दूसरी तरफ भारतीय जवानों ने अपनी जाट रेजिमेंट के गौरवशाली इतिहास का हवाला देते हुए किसी भी सूरत में पीछे नहीं हटने का भरोसा दिया, सैनिक पालेराम को 6 गोलियां लगीं थी, युद्ध पश्चात सैनिक पालेराम को वीर चक्र से सम्मानित किया गया था। कर्नल हायड के बहादुर भारतीय जवान बंदूको, संगीनों, ग्रेनेड से यहां तक कि निहत्थे लड़ते रहे, इंच दर इंच आगे बढ़ते रहे। एक-एक कर हर रास्ते, गली, घर, बंकर पर कब्जा किया था। कुछ ही घंटों के युद्ध के पश्चात पाकिस्तानियों ने भागना शुरू कर दिया था। सुबह चार बजे तक या तो पाकिस्तानी सैनिक मारे जा चुके थे, या फिर भारतीयों के कब्जे में थे और बाकी जंग के मैदान से भाग चुके थे। दिन निकलने के साथ ही लांस नायक ओमप्रकाश ने शान के साथ डोगराई में तिरंगा फहरा दिया, वो भी लाहौर नगर के बिल्कुल दरवाजे पर. 22 और 23 सितम्बर सन 1965 को भी कुल मिलाकर चार बार पाकिस्तान की तरफ से हमले हुए लेकिन उन्हें फिर मुंह की खानी पड़ी. उल्टा जाट रेजिमेंट ने डोगराई से लगते बाटापुर और अत्तोकअवान पर भी कब्जा कर लिया था। डोगराई जंग की इस रात में हायड ने अपने 86 बहादुर जवान 5 अफसर, 1 जे.सी.ओ. और 80 अन्य सैनिक तो खोए लेकिन बदले में दोगुने से ज्यादा दुश्मन सैनिक ढेर कर दिए थे। जंग की इस एक रात ने 3 जाट बटालियन को 3 महावीर चक्र, 4 वीर चक्र और 7 सेना मेडल जरूर दिला दिए जो किसी भी बटालियन के लिए असम्भव सी बात है। डेसमंड हायड को युद्धकालीन सेवाओं में दिए जाने वाले दूसरे सबसे बड़े सैनिक सम्मान महावीर चक्र से सम्मानित किया गया, हायड को मिले महावीर चक्र के साइटेशन के अनुसार – ‘पाकिस्तान की तरफ से भीषण हमले के बावजूद हायड के व्यक्तिगत साहस, अभूतपूर्व नेतृत्व के चलते 3 जाट बटालियन ने पूरे ऑपरेशन के दौरान असाधारण वीरता का परिचय दिया’।

हायड की बटालियन को एक और विशिष्ट गौरव हासिल हुआ जब 29 अक्टूबर सन 1965 के दिन भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री खुद डोगराई पहुंचे और 3 जाट बटालियन के बहादुर सैनिकों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने भारत में अब तक का सबसे मशहूर नारा – ‘जय जवान, जय किसान’ दिया था। इस जंग से जुड़ी कई जबरस्त कहानियां हैं जिसे हायड ने अपने संस्मरण में भी लिखा है – ‘सूबेदार खजान सिंह की खोपड़ी में गोली लग गई, लेकिन उन्होंने जंग का मैदान छोड़ने से इंकार कर दिया था’। ‘हथियार नहीं पहुंच पाए, फिर भी उनके जवान डटे रहे।’ हायड के मुताबिक जाटों की अनवरत जिद, हठ, साहस के चलते अत्यधिक कठिनाईयों के बावजूद भी उन्होंने डोगराई को फतह कर लिया। हायड के सैनिकों ने ऐसा साहसिक कारनामा कर दिखाया कि हायड, जाट रेजिमेंट और डोगराई की जंग पर हरियाणवी में कई लोककथाएं और लोकगीत बन गए थे. कर्नल हायड के मुताबिक उनके हरेक आदमी के बीच वीरता का असाधारण नमूना पेश करने की होड़ थी और उन्होंने कर भी दिखाया. उन्होंने अपने दबंग नेतृत्व को कभी इसका श्रेय नहीं दिया। महज एक बटालियन के साथ बहादुर और साहसी कमांडिंग अफसर ने दुश्मन की उस बटालियन को हरा दिया, जिसे एक पूरे टैंक स्क्वाड्रन के साथ-साथ एक और बटालियन की मदद मिल रही थी. कर्नल हायड के मुताबिक उनके सभी जवान और अफसर इसलिए लड़ रहे थे कि – ‘वे अपने साथियों, परिवार और समाज की नजर में अपना सम्मान खोना नहीं चाहते थे, उन्हें डर था कि जंग में फतह हासिल नहीं हुई तो वे वापस जाकर क्या मुंह दिखाएंगे, इसी हिम्मत ने उन्हें मौत के डर से बाहर निकाल लिया था’।

इसके बाद हायड ने सन 1971 की जंग में भी हिस्सा लिया, जब उन्होंने जम्मू सेक्टर में पूरी एक ब्रिगेड की कमान संभाली। मजबूत शख्सियत के धनी हायड की जिंदगी बड़ी सरल थी और उनके जीवन का सीधा-सा मूलमंत्र था – ‘आपका देश सबसे पहले है, उसके बाद दूसरे नंबर पर आपके जवान आते हैं और सबसे आखिर में आपके खुद के हित आते हैं’। यानि उनकी जिन्दगी के उसूल बड़े साफ थे, जिनकी जिन्दगी का हरेक दिन भारतीय फौज को समर्पित था। डोगराई की जंग पर ब्रिगेडियर हायड ने पुस्तक भी लिखी थी। जिन्दगी भर वो एक फौजी ही रहे, जिन्दगी के आखिरी दिनों में कैंसर से उन्होंने एक बहादुर फौजी की तरह ही जंग लड़ी थी। कहते हैं कि अपनी मौत से ठीक एक महीने पहले हायड ने कैलेंडर में 25 सितम्बर की तारीख पर गोला किया और कहा कि यह उनकी जिंदगी का आखिरी दिन होगा, उनके साथियों ने ब्रिगेडियर हायड से कहा कि आप क्या मजाक कर रहे हैं। लेकिन ऐसा ही हुआ ठीक 25 सितंबर सन 2013 के दिन हायड ने 87 साल की उम्र में यह दुनिया छोड़ दी लेकिन अपनी रेजिमेंट को नहीं छोड़ा। हायड को कोटद्वार से लाकर उसी जाट रेजिमेंट के मुख्यालय रेजिमेंटल सेंटर बरेली में ही दफनाया गया, जिससे से वे बेपनाह मोहब्बत करते थे। रेजिमेंट ने भी अपने सबसे प्रिय, सम्मानित अफसर को पूरे राजकीय सम्मान के साथ विदाई दी। साफ है ब्रिगेडियर हायड कोई साधारण सैनिक नहीं थे, उनकी जैसी असाधारण वीरता के नमूने बिरले ही मिलते हैं।

Topics: यूनाइटेड किंगडम25 सितंबर 2013 कोटद्वार उत्तराखंडआयरलैंड का एक्सेटरIrish-born young officerदेहरादूनBritish soldierUttarakhandKotdwarDehradunDesmond HydeUnited Kingdomडेसमंड हायडआयरिश मूल का नौजवान अफसरमहावीर चक्रब्रिटिश फौजी28 नवंबर 1926 आयरलैंड
Share31TweetSendShareSend
Previous News

मिजोरम में तेजी से बढ़ रहे बांग्लादेश से आए कुकी-चिन शरणार्थी

Next News

ईसाई बने हिंदुओं के चर्च नहीं आने पर फादर का वेतन रुका

संबंधित समाचार

27 अप्रैल को खोले जाएंगे भगवान बद्रीनाथ धाम के कपाट

27 अप्रैल को खोले जाएंगे भगवान बद्रीनाथ धाम के कपाट

पितृपक्ष मेला में गया से चीनी जासूस गिरफ्तार, पूछताछ में जुटी पुलिस

देहरादून : फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़, इदरीश खान और रोहिल मलिक गिरफ्तार

उत्तराखंड : रामनगर, कॉर्बेट, कालाढूंगी फॉरेस्ट में कुकुरमुत्ते की तरह कैसे उग गई मजारें ?

उत्तराखंड : रामनगर, कॉर्बेट, कालाढूंगी फॉरेस्ट में कुकुरमुत्ते की तरह कैसे उग गई मजारें ?

मीडिया की देखादेखी!

मीडिया की देखादेखी!

देहरादून में शौर्यधाम का शुभारंभ, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बलिदानियों को किया नमन

देहरादून में शौर्यधाम का शुभारंभ, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बलिदानियों को किया नमन

सुप्रीम कोर्ट ने धर्म संसद जैसे कार्यक्रमों पर रोक लगाने का आदेश देने से किया इंकार

समान नागरिक संहिता पर उत्तराखंड और गुजरात सरकार को कमेटी गठित करने का अधिकार : सुप्रीम कोर्ट

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

फन कुचलने का क्षण

फन कुचलने का क्षण

सेना की जीवन रेखा रेलवे

सेना की जीवन रेखा रेलवे

वैदिक स्वर और सनातन विचार है पाञ्चजन्य

वैदिक स्वर और सनातन विचार है पाञ्चजन्य

विश्व कल्याण हेतु भारत को बनना होगा अग्रेसर : दत्तात्रेय होसबाले

विश्व कल्याण हेतु भारत को बनना होगा अग्रेसर : दत्तात्रेय होसबाले

पीएम मोदी की पुस्तक ‘एग्जाम वॉरियर्स’ का राज्यपाल ने किया विमोचन

पीएम मोदी की पुस्तक ‘एग्जाम वॉरियर्स’ का राज्यपाल ने किया विमोचन

मौसम अपडेट : देश के कई हिस्सों में बारिश के आसार, 284 ट्रेनें रद

मौसम अपडेट : देश के कई हिस्सों में बारिश के आसार, 284 ट्रेनें रद

झारखंड : पश्चिम सिंहभूम में पुलिस को बड़ी सफलता, तीन नक्सली गिरफ्तार

झारखंड : पश्चिम सिंहभूम में पुलिस को बड़ी सफलता, तीन नक्सली गिरफ्तार

परीक्षा पे चर्चा : कुछ पाने के लिए शॉर्टकट रास्ता न अपनाएं – प्रधानमंत्री

परीक्षा पे चर्चा : कुछ पाने के लिए शॉर्टकट रास्ता न अपनाएं – प्रधानमंत्री

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 : इंदौर में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आगाज, पीएम मोदी बोले- एमपी अजब, गजब और सजग

परीक्षा पे चर्चा : पीएम मोदी आज लाखों स्टूडेंट्स को देंगे टिप्स, यहां देख सकेंगे लाइव

कोरोना के खिलाफ एक और हथियार, इंट्रानैसल कोविड वैक्सीन इनकोवैक लॉन्च

कोरोना के खिलाफ एक और हथियार, इंट्रानैसल कोविड वैक्सीन इनकोवैक लॉन्च

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • My States
  • Vocal4Local
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • लव जिहाद
  • Subscribe
  • About Us
  • Contact Us
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies