दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट स्पेशल जज शैलेंद्र मलिक ने जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इन सभी पर देशभर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए युवाओं को रिक्रूट करने और ट्रेनिंग देने का आरोप है।
कोर्ट ने सभी आतंकियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी और यूएपीए की धारा 18 के तहत दोषी करार दिया। कोर्ट ने जैश-ए-मोहम्मद के जिन आतंकियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है उनमें सज्जाद अहमद खान, बिलाल अहमद मीर, मुजफ्फर अहमद भट, इशफाक अहमद भट और मेहराजुद्दीन चोपान शामिल हैं। कोर्ट ने एक दोषी तनवीर अहमद गिनी को पांच साल की कैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने कहा कि सभी दोषी भारत के खिलाफ युद्ध की साजिश में शामिल थे। ये सभी न केवल जैश-ए-मोहम्मद के सदस्य थे बल्कि वे जैश-ए-मोहम्मद के सदस्यों को पनाह देकर उन्हें हथियार और गोला-बारूद के अलावा दूसरे सहयोग करते थे।
सितंबर 2019 में एनआईए ने जैश-ए-मोहम्मद के चार संदिग्धों के खिलाफ दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था। एनआईए ने कहा था कि जैश-ए-मोहम्मद ने देश के कई हिस्सों में हमलों की योजना बनाई थी। एनआईए ने मुजफ्फर भट्ट, सज्जाद अहमद खान, बिलाल मीर और तनवीर अहमद गनी को गिरफ्तार किया था। मुजफ्फर भट्ट को 29 जुलाई 2019 को जम्मू के कोट भलवल जेल से दिल्ली लाया गया था और कोर्ट में पेश किया गया था। मुजफ्फर पर आरोप है कि वो पुलवामा हमले के मुख्य अभियुक्त मुदस्सिर अहमद के लगातार संपर्क में था। मुजफ्फर भट्ट पर आरोप है कि वह जम्मू-कश्मीर में युवाओं की आतंकी गतिविधियों के लिए जैश-ए-मोहम्मद में भर्ती की साजिश में शामिल था। वह जैश-ए-मोहम्मद को भारत में मजबूत करने में मदद कर रहा था।
एनआईए ने 21 मार्च 2019 को सज्जाद खान को गिरफ्तार किया था। पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए आत्मघाती हमले के पीछे जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मुदस्सर अहमद खान उर्फ मुहम्मद भाई का दिमाग था। मुदस्सर को मार्च 2019 में सुरक्षाबलों ने मार गिराया था। 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा में हुई इस घटना में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। सज्जाद मुदस्सर का सहयोगी बताया जा रहा है। सज्जाद खान के दो भाईयों को सेना ने एनकाउंटर में मार गिराया था।
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