महाभारत सत्ता नहीं, अस्तित्व का युद्ध
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम सोशल मीडिया

महाभारत सत्ता नहीं, अस्तित्व का युद्ध

कृष्ण और बलराम दो भाई हैं। सारा जीवन परछाई की तरह साथ रहे, पर पांडव-कौरवों में क्या चल रहा है, बलराम कभी नहीं समझ पाए। उन्होंने दुर्योधन को गदा चलाना सिखाया, फिर अपनी बहन सुभद्रा का विवाह उससे करना चाहा। बाद में बेटी का विवाह दुर्योधन के बेटे से करना चाहा। कृष्ण हर बार वीटो लगाते रहे

by आदित्य नारायण झा 'अनल'
Nov 24, 2022, 03:14 pm IST
in सोशल मीडिया
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

कर्ण कितना भी बड़ा योद्धा और दानी क्यों न रहा हो, एक स्त्री के वस्त्र-हरण में सहयोग के पाप के समक्ष उसके सारे पुण्य छोटे पड़ गए। किसी स्त्री के अपमान का दंड अपराधी के समूल नाश से ही पूरा होता है, भले वह विश्व का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति क्यों न हो। कृष्ण के युग में दो स्त्रियों को बाल से पकड़ कर घसीटा गया। उन्होंने दोनों के अपराधियों का समूल नाश किया

कृष्ण और बलराम दो भाई हैं। सारा जीवन परछाई की तरह साथ रहे, पर पांडव-कौरवों में क्या चल रहा है, बलराम कभी नहीं समझ पाए। उन्होंने दुर्योधन को गदा चलाना सिखाया, फिर अपनी बहन सुभद्रा का विवाह उससे करना चाहा। बाद में बेटी का विवाह दुर्योधन के बेटे से करना चाहा। कृष्ण हर बार वीटो लगाते रहे। जब पांडव और कौरवों में युद्ध तय हो गया, तब बलराम तीर्थ यात्रा पर चले गए। जब लौटे तो भीमसेन दुर्योधन की जांघ तोड़ रहा था। इस पर बलराम क्रोधित हो गए।

बलराम जी का चरित्र आंख पर पट्टी बांधे सेकुलर हिंदुओं की याद दिलाता है, जो लाक्षागृह से लेकर अभिमन्यु वध तक कुछ नहीं बोलते, लेकिन भीम द्वारा नियम तोड़कर दुर्योधन पर वार करते ही भड़क जाते हैं। उनकी निरपेक्षता आसुरी शक्तियों को मौन समर्थन का काम करती है। लेकिन कृष्ण शुरू से ही स्पष्ट हैं। वे दुर्योधन को उस स्तर पर लाते हैं, जहां वह बोल दे कि ह्यसुई के बराबर जमीन भी नहीं दूंगाह्ण ताकि साबित हो जाए कि यह सत्ता का युद्ध नहीं है ह्यअस्तित्वह्ण की लड़ाई है। इसे आधुनिक शब्दावली में ह्यएक्सपोजह्ण करना कहते हैं। वे शांतिदूत बनकर जाते हैं, पर समय आने पर युद्ध छोड़ कर भाग रहे अर्जुन को गीता का ज्ञान देकर युद्ध करने के लिए प्रेरित करते हैं।

सेकुलर हिंदू समाज कृष्ण को पूजता है, पर बर्ताव बलराम जैसा करता है, जिसे अपने ऊपर हमला करने वाले जरासंध तो दिखते हैं, पर द्रौपदी के वस्त्रों तक पहुंचने वाले कौरव बुरे नहीं लगते, क्योंकि दुर्योधन से लगाव है। आम हिंदू अर्जुन का प्रतीक है। वह सही-गलत में इतना उलझा है कि अंत में धनुष छोड़कर खड़ा हो जाता है। अर्जुन को गीता में ह्यभारतह्ण कह कर संबोधित किया गया है। अर्जुन बनने का लाभ तभी है, जब आपके पास कृष्ण जैसा सारथी हो।

कृष्ण युद्धभूमि में जय व पराजय तय करने नहीं, अपराधियों को दंड दिलाने उतरे थे। कृष्ण के युग में दो स्त्रियों को बाल से पकड़ कर घसीटा गया। कंस ने देवकी और दु:शासन ने द्रौपदी के बाल पकड़े। श्रीकृष्ण ने दोनों के अपराधियों का समूल नाश किया। स्त्री का अपमान स्वीकार नहीं, यही भगवान श्रीकृष्ण का न्याय था। 

दुर्योधन ने अबला स्त्री को दिखाकर जंघा ठोकी थी, उसकी जंघा तोड़ी गई। दु:शासन ने छाती ठोकी तो उसकी छाती फाड़ दी गई। कर्ण ने एक असहाय स्त्री के अपमान का समर्थन किया तो श्रीकृष्ण ने असहाय दशा में ही उसका वध कराया। भीष्म ने यदि प्रतिज्ञा में बंधकर एक स्त्री के अपमान को देखने व सहने का पाप किया, तो असंख्य तीरों में बिंध कर पूरे कुल को मरते हुए भी देखा। भारत का कोई बुजुर्ग अपने सामने अपने बच्चों को मरते देखना नहीं चाहता, पर भीष्म चार पीढ़ियों को मरते देखते रहे। यही उनका दंड था। धृतराष्ट्र का दोष था पुत्रमोह, तो सौ पुत्रों के शव को कंधा देने का दंड मिला उन्हें।

दस हजार हाथियों के बराबर बल वाला धृतराष्ट्र सिवाय रोने के और कुछ नहीं कर सका। दंड केवल कौरवों को ही नहीं, पांडवों को भी मिला। द्रौपदी ने वरमाला अर्जुन के गले में डाली थी, सो उनकी रक्षा का दायित्व सबसे अधिक अर्जुन पर था। अर्जुन यदि चुपचाप उनका अपमान देखते रहे, तो सबसे कठोर दंड भी उन्हीं को मिला। अर्जुन भीष्म को सबसे अधिक प्रेम करते थे, तो कृष्ण ने उन्हीं के हाथों पितामह को निर्मम मृत्यु दिलाई। अर्जुन रोते रहे, पर तीर चलाते रहे। अपने ही हाथों अपने अभिभावकों, भाइयों की हत्या करने की ग्लानि से अर्जुन कभी मुक्त हुए होंगे? नहीं! वे जीवन भर तड़पे होंगे। यही उनका दंड था।

युधिष्ठिर ने स्त्री को दांव पर लगाया, तो उन्हें भी दंड मिला। विषम परिस्थितियों में भी सत्य और धर्म का साथ नहीं छोड़ने वाले युधिष्ठिर ने युद्धभूमि में झूठ बोला और उसी झूठ के कारण उनके गुरु की हत्या हुई। उनका एक झूठ उनके सारे सत्यों पर भारी रहा। धर्मराज के लिए इससे बड़ा दंड क्या होगा? एक अधर्मी को गदायुद्ध की शिक्षा देने का दंड बलराम को भी मिला। उनके सामने उनके प्रिय दुर्योधन का वध हुआ और वे चाह कर भी कुछ न कर सके।

उस युग में दो योद्धा ऐसे थे जो अकेले सबको दंड दे सकते थे, कृष्ण और बर्बरीक। पर कृष्ण ने ऐसे कुकर्मियों के विरुद्ध शस्त्र उठाने तक से इनकार कर दिया व बर्बरीक को युद्ध में उतरने से रोक दिया। लोग पूछते हैं कि बर्बरीक का वध क्यों हुआ? यदि बर्बरीक का वध नहीं हुआ होता तो द्रौपदी के अपराधियों को यथोचित दंड नहीं मिल पाता।

कृष्ण युद्धभूमि में जय व पराजय तय करने नहीं, अपराधियों को दंड दिलाने उतरे थे। कृष्ण के युग में दो स्त्रियों को बाल से पकड़ कर घसीटा गया। कंस ने देवकी और दु:शासन ने द्रौपदी के बाल पकड़े। श्रीकृष्ण ने दोनों के अपराधियों का समूल नाश किया। स्त्री का अपमान स्वीकार नहीं, यही भगवान श्रीकृष्ण का न्याय था।

Topics: पांडव और कौरवों में युद्धकर्णलाक्षागृहअभिमन्यु वधकृष्ण और बलरामकृष्ण और बर्बरीकसेकुलर हिंदू समाज
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

हिन्‍दू विजय : अयोध्‍या धाम के बाद बागपत लाक्षागृह केस में आया एतिहासिक फैसला, मुस्लिम पक्ष की हार

बागपत: मजार और कब्रिस्तान नहीं, ये है महाभारत काल का लाक्षागृह, 53 साल बाद आया फैसला, हिंदुओं को मिला अधिकार

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

Loose FASTag होगा ब्लैकलिस्ट : गाड़ी में चिपकाना पड़ेगा टैग, नहीं तो NHAI करेगा कार्रवाई

Marathi Language Dispute

‘मराठी मानुष’ के हित में नहीं है हिंदी विरोध की निकृष्ट राजनीति

यूनेस्को में हिन्दुत्त्व की धमक : छत्रपति शिवाजी महाराज के किले अब विश्व धरोहर स्थल घोषित

मिशनरियों-नक्सलियों के बीच हमेशा रहा मौन तालमेल, लालच देकर कन्वर्जन 30 सालों से देख रहा हूं: पूर्व कांग्रेसी नेता

Maulana Chhangur

कोडवर्ड में चलता था मौलाना छांगुर का गंदा खेल: लड़कियां थीं ‘प्रोजेक्ट’, ‘काजल’ लगाओ, ‘दर्शन’ कराओ

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies