एनआईए के उपाधीक्षक तंजील अहमद और उनकी पत्नी फरजाना की हत्या के आरोपी मुनीर की बीते दिनों बनारस के बीएचयू अस्पताल में मौत हो गई। मुनीर गंभीर रोग जीबी सिंड्रोम से ग्रसित था।
सहसपुर के रहने वाले मुनीर पर 33 से ज्यादा मामले दर्ज थे। आतंकियों की तरह व्यवहार करने वाले मुनीर का शव सहसपुर पहुंचा और यहां उसे दफना दिया गया। तंजील हत्याकांड के बाद पुलिस की नजरों में आया मुनीर घटना के बाद से ही जेल में बंद था और उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट लगाया गया था।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी के डिप्टी एसपी तंजील अहमद और उनकी पत्नी की हत्या का दोषी करार देते हुए मुनीर और उसके साथी रयान को 21 मई को बिजनौर के एडीजे कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। स्योहारा में दो अप्रैल 2016 को तंजील अहमद और उनकी पत्नी फरजाना की हत्या कर दी गई थी। इनके बेटे शाहबाज और बेटी जिमनिश ने कार की सीट के नीचे घुसकर अपनी जान बचाई थी। पठानकोट हमले की जांच टीम में शामिल तंजील शादी में शामिल होने बिजनौर आए थे।
कोर्ट द्वारा फांसी की सजा सुनाने के बाद से मुनीर को सोनभद्र जिला जेल में रखा जा रहा था। 17 नवंबर को तबीयत खराब होने पर पहले जिला अस्पताल और फिर बीएचयू में भर्ती कराया गया। सोमवार सुबह 9:35 बजे उसकी मौत हो गई। मुनीर को फांसी और मौत में 21 तारीख का भी एक संयोग रहा। 21 मई को उसे फांसी की सजा सुनाई गई थी, जबकि मौत नवंबर की 21 तारीख को हो गई।
मुनीर ने 29 नवंबर 2014 को दिल्ली में कैश वैन से डेढ़ करोड़ रुपये लूटने के साथ गार्ड की हत्या कर दी थी। 2013 में उसने अलीगढ़ में एक ठेकेदार को गोली मारकर रिवॉल्वर और 2014 में अलीगढ़ में जीआरपी के सिपाही को गोली मारकर पिस्टल छीनी थी। उसने धामपुर में गार्ड को गोली मारकर वैन से 91 लाख रुपये भी लूटे थे।
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