जनरल बिपिन चंद्र जोशी
उत्तराखण्ड की पवित्र, पावन भूमि एक ओर धार्मिक, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक अनुष्ठान स्थली रही है, वहीं यह देवभूमि अन्यानेक वीर एवं वीरांगनाओं की जन्म स्थली भी रही है। देवभूमि उत्तराखण्ड के लाट सुबेदार बलभद्र सिंह नेगी, विक्टोरिया क्रास विजेता सुबेदार दरबान सिंह, विक्टोरिया क्रास विजेता रायफलमैन गब्बर सिंह रावत, कर्नल बुद्धीसिंह रावत, मेजर हर्षवर्धन बहुगुणा आदि जैसे नाम सदा अमर रहेंगे। ऐसे बहादुरों की वीरता से परिपूर्ण इतिहास हमारे लिए बेहद गर्व का विषय है। इनके अदम्य साहस, शौर्य एवं वीरता ने उत्तराखण्ड का नाम ऊंचा किया है। इस ऐतिहासिक कड़ी में एक अमूल्य हीरा बिपिन चंद्र जोशी हैं, जिनकी नेतृत्व क्षमता पर भारतीय सेना भी गौरवान्वित महसूस करती है।
बिपिन चंद्र जोशी भारतीय सेना के 17वें थल सेनाध्यक्ष थे। बिपिन चन्द्र जोशी का जन्म 5 दिसंबर 1935 में उत्तराखंड राज्य के सुदूर पर्वतीय क्षेत्र पिथौरागढ़ में हुआ था। वह अल्मोड़ा के अंतर्गत दन्या के मूल निवासी थे। उन्हें सन 1954 में भारतीय सेना की 64 कैवलरी रेजिमेंट, बख्तरबंद कोर में कमीशन किया गया था। बिपिन चन्द्र जोशी भारतीय सेना में थल सेनाध्यक्ष पद पर पहुंचने वाले उत्तराखंड के पहले सैन्य अधिकारी बने थे। भारतीय सेना के सेनाध्यक्ष बनने से पहले बिपिन चंद्र जोशी डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन और जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ, दक्षिणी कमान जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी रह चुके थे।
वह भारतीय सेना के सैनिक वर्ग के मध्य बेहद लोकप्रिय थे। भारतीय सेना के संबंध में और उसकी भूमिका के विषय पर उनके विचार एकदम व्यावहारिक थे। उनके संबंध में कहा गया है कि बिपिन चन्द्र जोशी ने राजनीतिक लाभ के लिए उत्तराखण्ड में राज्य निर्माण आंदोलनकारियों के नागरिक विरोध प्रर्दशन पर गोली चलाने के मुलायम सिंह यादव के तत्कालीन निर्देश का प्रखर विरोध किया था। उन्होंने उत्तराखण्ड राज्य के पिथौरागढ़ में आर्मी पब्लिक स्कूल की स्थापना की थी। जनरल बिपिन चंद्र जोशी ने भारतीय सेना में उल्लेखनीय विशिष्ट सेवाओं से असाधारण क्रम में परम विशिष्ट सेवा पदक और अति विशिष्ट सेवा पदक के साथ अनेकों सम्मान से विभूषित किए गए थे। जनरल बिपिन चंद्र जोशी का 19 नवंबर 1994 को नई दिल्ली के सैन्य अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह एक वर्ष पश्चात सन 1995 में भारतीय सेना से सेवानिवृत्त होने वाले थे। वह भारतीय सेना के एकमात्र जनरल रहे जिनकी सेवाकाल के मध्य मृत्यु हुई थी।
ईको टास्क फोर्स बनाने का श्रेय
एनसीसी की तर्ज पर जनरल बिपिन चंद्र जोशी को हिमालय के पर्यावरण के संरक्षण के लिए इको टास्क फोर्स बनाने का श्रेय दिया जाता है। सेना में इसे पर्यावरण वाहिनी भी बोला जाता है। सेना से रिटायर हुए सैनिकों का चयन इस फोर्स के लिए किया जाता है और इनके अधिकारियों को सेना से डिपोटेशेन पर भेजा जाता है। ईको टास्क फोर्स हिमालय क्षेत्र में पेड़ लगाने का काम करते हैं, उत्तराखंड, कश्मीर, राजस्थान और अन्य राज्यों में ये फोर्स लाखों पेड़ लगा चुकी है। जनरल विपिन चंद्र जोशी मानते थे कि हिमालय में पर्यावरण का संरक्षण जरूरी है।
Leave a Comment