दुनिया में हिन्दुत्व और भारत के प्रति आस्था व उत्सुकता बढ़ी है। कोरोना काल में सात्विक भारतीय जीवन पद्धति का महत्व भी सामने आया है। हिन्दुत्व के प्रति अनुकूलता बढ़ी है। ऐसे में कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी बढ़ जाती है।
नागपुर में 14 नवंबर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, संघ शिक्षा वर्ग तृतीय वर्ष का उद्घाटन हुआ। इस अवसर पर वर्ग के पालक अधिकारी तथा अखिल भारतीय सह प्रचारक प्रमुख श्री अरुण जैन ने देशभर से आए शिक्षार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि समाज परिवर्तन में प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं की बड़ी भूमिका होती है।
दुनिया में हिन्दुत्व और भारत के प्रति आस्था व उत्सुकता बढ़ी है। कोरोना काल में सात्विक भारतीय जीवन पद्धति का महत्व भी सामने आया है। हिन्दुत्व के प्रति अनुकूलता बढ़ी है। ऐसे में कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि संघ शिक्षा वर्गों के माध्यम से कार्यकर्ता निर्माण होता है।
संघ शिक्षा वर्ग में आए शिक्षार्थियों की भाषा अलग-अलग होती है, किंतु सभी को भारत की एकात्म दृष्टि का अनुभव होता है तथा हम सब एक हैं, इस भाव की अनुभूति प्राप्त होती है। यही संघ शिक्षा वर्ग की विशेषता है।
1927 में हुए प्रथम संघ शिक्षा वर्ग का उल्लेख करते हुए श्री जैन ने बताया कि नागपुर में महाल स्थित केंद्रीय कार्यालय के पास पुराने मोहिते बाड़ा में हुए इस वर्ग में कुल 17 स्वयंसेवक सहभागी थे। तब से अब तक वर्ग निरंतर लगते आए हैं। इनमें 1948 और 1977 में संघ पर लगे प्रतिबंध और कोरोना काल का समय केवल अपवाद रहा है। कोरोना काल में स्वयंसेवक वर्ग से वंचित रह गए थे और इसीलिए इस वर्ष में दूसरी बार सामान्य संघ शिक्षा वर्ग, तृतीय वर्ष का आयोजन किया गया है। बिना मोबाइल फोन के सभी शिक्षार्थी 25 दिन अपना प्रशिक्षण पूर्ण करेंगे।
उद्घाटन स मारोह में तृतीय वर्ष शिक्षा वर्ग के अधिकारियों तथा उपस्थित अखिल भारतीय अधिकारियों का परिचय करवाया गया। पुष्पार्चन सह सरकार्यवाह श्री मुकुंद द्वारा हुआ। वर्ग में 632 प्रशिक्षार्थी सम्मिलित हुए हैं। 28 नवंबर को पथसंचलन होगा तथा वर्ग का समापन 8 दिसंबर, 2022 को होगा।
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