मुगल सेना की नाक काटने वाली महारानी
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

मुगल सेना की नाक काटने वाली महारानी

एक चित्तौड़ के शासक महाराणा संग्राम सिंह की पत्नी तथा दूसरी उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र की सुप्रसिद्ध शासिका महारानी कर्णावती। इतिहास में गढ़वाल की रानी का उल्लेख ‘नाक काटने वाली महारानी’ के नाम से है। उन्होंने लुटेरी मुगल सेना को अपमानित-पराजित कर बाकायदा उनकी नाक तक कटवाई थी

by उत्तराखंड ब्यूरो
Nov 17, 2022, 08:37 pm IST
in भारत, उत्तराखंड
पहाड़ों की रानी कर्णावती से भयभीत रहते थे मुस्लिम शासक

पहाड़ों की रानी कर्णावती से भयभीत रहते थे मुस्लिम शासक

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

गढ़वाल की महारानी कर्णावती से मुस्लिम शासक कांपते थे। विलक्षण बुद्धि एवं गौरवमय व्यक्तित्व के चलते हुईं इतिहास में प्रसिद्ध। पति के वीरगति प्राप्त होने पर सती नहीं हुईं बल्कि महान धैर्य और साहस के साथ उन्होंने राज्य संभाला।

भारतीय इतिहास में कर्णावती नाम की दो प्रमुख वीरांगना रानियों का विस्तृत उल्लेख मिलता है। इनमें एक चित्तौड़ के शासक महाराणा संग्राम सिंह की पत्नी तथा दूसरी उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र की सुप्रसिद्ध शासिका महारानी कर्णावती। इतिहास में गढ़वाल की रानी का उल्लेख ‘नाक काटने वाली महारानी’ के नाम से है। उन्होंने लुटेरी मुगल सेना को अपमानित-पराजित कर बाकायदा उनकी नाक तक कटवाई थी।

गढ़वाल क्षेत्र में श्रीनगर नाम से ऐतिहासिक प्राचीन नगर स्थित है। श्रीनगर को राजधानी बनाकर पंवार वंश के महाराजा महिपतशाह राज्य करते थे। इनकी महारानी का नाम कर्णावती था। महाराजा अपने राज्य की राजधानी सन 1622 में देवालगढ़ से श्रीनगर ले आए थे। महाराजा महिपतशाह एक स्वतन्त्र, स्वाभिमानी और प्रजापालक शासक के रूप में प्रसिद्ध थे। महारानी कर्णावती भी ठीक वैसी ही थीं। कभी किसी आक्रांता को इन्होंने अपने राज्य में घुसने नहीं दिया।

महारानी कर्णावती ने गढ़वाल में अपने नाबालिग बेटे पृथ्वीपति शाह को राजगद्दी पर आसीन कर उस समय शासन सत्ता के सूत्र स्वयं संभाले थे जब दिल्ली में मुगल आतताई शाहजहां का कब्जा था। तत्कालीन समय में बादशाहनामा या पादशाहनामा लिखने वाले अब्दुल हमीद लाहौरी ने भी गढ़वाल की इन रानी का जिक्र किया है। शम्सुद्दौला खान ने ‘मासिर अल उमरा’ में गढ़वाल की महारानी कर्णावती का उल्लेख किया है। इटली के लेखक निकोलाओ मानुची ने अपनी किताब ‘स्टोरिया डो मोगोर’ यानी ‘मुगल इंडिया’ में गढ़वाल की रानी के बारे में विस्तार से लिखा है।

इतिहास के झरोसे से पता चलता है कि राजा महिपतशाह एक युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गए थे। इसके बाद उनकी पत्नी महारानी कर्णावती ने गढ़वाल राज्य की सत्ता संभाली। उनके पुत्र पृथ्वीपतिशाह उस समय केवल सात वर्ष के थे। रानी कर्णावती अपनी विलक्षण बुद्धि एवं गौरवमय व्यक्तित्व के लिए इतिहास में सुप्रसिद्ध हुईं।

पुत्र के नाबालिग होने के कारण रानी कर्णावती जन्मभूमि गढ़वाल के हित के लिए अपने पति के रणक्षेत्र में वीरगति को प्राप्त होने पर सती नहीं हुई थीं बल्कि महान धैर्य और साहस के साथ उन्होंने पृथ्वीपति शाह की संरक्षिका के रूप में राज्यभार संभाला था। रानी ने राजकाज संभालने के बाद अपनी देखरेख में शीघ्र ही शासन व्यवस्था को बेहद सुदृढ़ किया। गढ़वाल राज्य के सम्बंध में उपलब्ध प्राचीन साहित्य और प्रचलित लोकगीतों में रानी कर्णावती की प्रशस्ति में उनके द्वारा जनहित में निर्मित अनेक बावड़ियों, तालाबों, कुओं आदि का वर्णन आता है।

जिन सैनिकों की नाक काटी गयी उनमें बर्बर लुटेरा नजाबत खान भी शामिल था। वह इससे बेहद शर्मसार था और उसने पहाड़ों से मैदानों की तरफ वापस लौटते समय बेहद अपमानित अवस्था में आत्महत्या कर ली

इतिहास में मिलता है कि समर्थ गुरु स्वामी रामदास जी एक बार श्रीनगर पधारे और रानी कर्णावती को उनसे भेंट करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। समर्थ गुरु रामदास ने रानी कर्णावती से पूछा कि क्या पतित पावनी मां गंगा की सप्त धाराओं से सिंचित भूखंड में यह शक्ति है कि वह वैदिक धर्म एवं राष्ट्र की मर्यादा की रक्षा के लिए आक्रमणकारी मुगलों से युद्ध कर उन्हें पराजित कर सके।

इस पर रानी कर्णावती ने विनम्र निवेदन किया कि पूज्य गुरुदेव इस राष्ट्र हित के कर्तव्य के लिए हम गढ़वाल निवासी सदैव कमर कसे हुए हैं। वीरगति को प्राप्त हुए राजा महिपतशाह ने कभी भी मुगल अधीनता स्वीकार नहीं की थी। बर्बर शाहजहां इससे बेहद चिढ़ा हुआ था ही। एक बार उसे किसी ने बताया कि श्रीनगर में सोने की खदानें हैं।

राजा महिपत शाह के शासनकाल में मुगल सेना तो गढ़वाल विजय के सम्बंध में सोचती भी नहीं थी। लेकिन जब राजा मृत्यु को प्राप्त हुए और रानी कर्णावती ने गढ़वाल का शासन संभाला तब मतांध शाहजहां ने सोचा कि उनसे शासन छीनना सरल होगा। गढ़वाल राज्य पर हमले की योजना बनाई गई। शाहजहां ने गढ़वाल पर कई हमले किए, लेकिन सफल नहीं हो सका। अंत में नजाबत खां नाम के एक मुगल आक्रमणकारी लुटेरे को गढ़वाल पर कब्जे की जिम्मेदारी सौंपी गयी।

लुटेरे नजाबत खां ने सन 1635 में एक विशाल प्रशिक्षित सेना लेकर गढ़वाल पर हमला किया। रानी कर्णावती ने सीधा मुकाबला करने के बजाय कूटनीति से काम लिया। रानी ने उसे अपनी सीमा में घुसने दिया लेकिन जब वे वर्तमान समय के लक्ष्मणझूला, ऋषिकेश से आगे बढ़े तो उसके आगे और पीछे जाने के समस्त रास्ते रोक दिये गये। गंगा के किनारे और पहाड़ी रास्तों से अनभिज्ञ आक्रमणकारी मुगल सैनिकों के पास खाने की रसद सामग्री समाप्त होने लगी थी।

मुगल सेना कमजोर पड़ने लगी। ऐसे में लुटेरे नजाबत ने रानी के पास संधि का प्रस्ताव भेजा लेकिन उसे ठुकरा दिया गया। अब मुगल सेना की स्थिति बदतर हो गयी थी। रानी ने मुगलों को संदेश भिजवाया कि वह मुगल सैनिकों को जीवनदान दे सकती हैं, लेकिन इसके लिये उन्हें अपनी नाक कटवानी होगी।

अब मुगल सैनिकों को भी लगा कि नाक कट भी गयी तो क्या जिंदगी तो रहेगी ही तब पराजित और हताश-निराश मुगल सैनिकों के हथियार छीन लिए गये और अंत में उन सभी की एक-एक करके नाक काट दी गयी। जिन सैनिकों की नाक काटी गयी उनमें बर्बर लुटेरा नजाबत खान भी शामिल था। वह इससे बेहद शर्मसार था और उसने पहाड़ों से मैदानों की तरफ वापस लौटते समय बेहद अपमानित अवस्था में आत्महत्या कर ली थी।
उसके बाद मुगलों की हिम्मत नहीं हुई कि वे कुमाऊं-गढ़वाल की तरफ आंख उठाकर देखते।

 

Topics: श्रीनगरNicolao Manucciसमर्थ गुरु स्वामी रामदासbook 'Storia do Mogor'मुगल सैनिकों को अपनी नाक कटवानी होगीबादशाहनामा या पादशाहनामाअब्दुल हमीद लाहौरीशम्सुद्दौला खान'मासिर अल उमरा'राजा महिपत शाहगढ़वाल की महारानी कर्णावतीशाहजहांनिकोलाओ मानुचीलुटेरे नजाबतकिताब 'स्टोरिया डो मोगोर'भारतीय इतिहास में कर्णावती नाम‘मुगल इंडिया’
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

प्रतीकात्मक चित्र

कराची, श्रीनगर और काशीपुर से शाहिदा बानो का क्या है कनेक्शन? उत्तराखंड पुलिस ने क्यों जम्मू-कश्मीर पुलिस के हवाले किया?

नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में तिरंगे को सलामी देते श्री मोहनराव भागवत

नागपुर से श्रीनगर तक फहरा तिरंगा

Sandeshkhali Victim Rekha Patra

बशीरहाट: भाजपा उम्मीदवार रेखा पात्रा को मिल रही धमकी, संदेशखाली में बनाया जा रहा है डर का माहौल

कलकत्ता हाई कोर्ट

पश्चिम बंगाल: भाजपा कार्यकर्ता हत्याकांड की चार्जशीट में शाहजहां का नाम नहीं, कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीआईडी को लगाई फटकार

आतंकी फंडिंग मामले में श्रीनगर और दिल्ली में पांच स्थानों पर SIA की छापेमारी

याचिका में कहा गया कि ताजमहल राजा मानसिंह का महल था, जिसका जीर्णोद्धार शाहजहां ने करवाया था

‘ताजमहल मानसिंह ने बनवाया, शाहजहां ने नहीं’ 1648 में बना तो मुमताज का शव 6 माह में कैसे आया? कोर्ट ने ASI को दिया आदेश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान बोल रहा केवल झूठ, खालिस्तानी समर्थन, युद्ध भड़काने वाला गाना रिलीज

देशभर के सभी एयरपोर्ट पर हाई अलर्ट : सभी यात्रियों की होगी अतिरिक्त जांच, विज़िटर बैन और ट्रैवल एडवाइजरी जारी

‘आतंकी समूहों पर ठोस कार्रवाई करे इस्लामाबाद’ : अमेरिका

भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर की गति बनाए रखना आवश्यक

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

भारत को लगातार उकसा रहा पाकिस्तान, आसिफ ख्वाजा ने फिर दी युद्ध की धमकी, भारत शांतिपूर्वक दे रहा जवाब

‘फर्जी है राजौरी में फिदायीन हमले की खबर’ : भारत ने बेनकाब किया पाकिस्तानी प्रोपगेंडा, जानिए क्या है पूरा सच..?

S jaishankar

उकसावे पर दिया जाएगा ‘कड़ा जबाव’ : विश्व नेताओं से विदेश मंत्री की बातचीत जारी, कहा- आतंकवाद पर समझौता नहीं

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies