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हमारे जैसी ही, किंतु वर्चुअल दुनिया है मेटावर्स

संचार तकनीकों और इंटरनेट की बदौलत आज हम एक दूसरे के करीब ही नहीं, बल्कि आमने-सामने आ खड़े हुए हैं। टेलीफोन और चैट से बहुत आगे बढ़ हम वीडियो कॉल के दौर में आ चुके हैं जहां किसी को आमने-सामने देखते हुए बात करना आम है

बालेन्दु शर्मा दाधीच by बालेन्दु शर्मा दाधीच
Nov 17, 2022, 11:20 am IST
in भारत, विज्ञान और तकनीक
प्रतीकात्मक चित्र

प्रतीकात्मक चित्र

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यह संभावना बहुत दूर नहीं है जब आप इंटरनेट पर मौजूद मेटावर्स में विचरण कर सकेंगे। इसमें तीसरी जगह मौजूद व्यक्ति के साथ आप असल जिंदगी की तरह एकसाथ गतिविधि कर सकेंगे

डिजिटल तकनीकों, संचार तकनीकों और इंटरनेट की बदौलत आज हम एक दूसरे के करीब ही नहीं, बल्कि आमने-सामने आ खड़े हुए हैं। टेलीफोन और चैट से बहुत आगे बढ़ हम वीडियो कॉल के दौर में आ चुके हैं जहां किसी को आमने-सामने देखते हुए बात करना आम है।

कोलेबरेशन के सॉफ़्टवेयरों की बदौलत सैकड़ों लोग एक साथ आमने-सामने चर्चा करने में मशगूल हैं। सोशल मीडिया पर अपनी गतिविधियों का लाइव प्रसारण होने लगा है जिसे सैकड़ों और कभी-कभी हजारों या लाखों लोग देख रहे होते हैं। चंद बरसों पहले इसकी कल्पना तक करना मुश्किल था।

लेकिन फिर भी इन अनुभवों की सीमाएं हैं। जूम, टीम्स या गूगल मीट की वीडियो मीटिंग हों या फिर फेसबुक-यूट्यूब-लिंक्डइन के लाइव प्रसारण, आमने-सामने होते हुए भी दूरी की अवधारणा मौजूद है। भले ही हम एक-दूसरे को 2डी चित्रों या वीडियो के रूप में देख रहे हैं लेकिन उनकी उपस्थिति को अपने आसपास महसूस नहीं कर सकते।

यहीं मेटावर्स का आगमन होता है। अगर इन्हीं 2डी चित्रों को चलते-फिरते आदमकद इंसानों में बदल दिया जाए जो आपके सामने साक्षात् बैठे हुए दिखाई दे रहे हों और चल-फिर रहे हों तो? अपने जिस दफ़्तर में बैठकर आप एक वीडियो कॉल कर रहे हैं, वहीं पर सभी लोग आकर खड़े हो जाएं और उसी तरह चर्चा करने लगें जैसे कि हम अपने साथ मौजूद लोगों से करते हैं तब?

आप कहेंगे कि यह कैसे संभव है? कुछ हद तक आप सही हैं लेकिन पूरी हद तक नहीं। आपने 3डी फिल्में देखी होंगी जो एकदम असल जिंदगी जैसी दिखती हैं और उनमें अभिनय करने वाले लोग भी एकदम असल इंसान जैसे दिखते हैं- आमने-सामने, दाएं-बाएं, ऊपर-नीचे, आगे-पीछे हर तरफ से।

आपने वीडियो मीटिंग भी देख ली हैं। शायद आपने वर्चुअल रियलिटी के बारे में भी सुना हो जिसमें लोग अपने सिर पर एक हैडसेट पहन लेते हैं और फिर जिन वीडियो को आप अमूमन स्क्रीन पर देखते आए हैं, वैसे ही वीडियो अब आपके इर्द-गिर्द घटित होते हुए दिखने लगते हैं।

आपने 5जी तकनीक के बारे में भी सुना है जिसमें 10 गीगाबाइट प्रति सैकंड तक डेटा संचार संभव है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को भी आप जानते हैं जो बेहद वास्तविक लगने वाले अनुभव पैदा करने में सक्षम है। अगर इन सभी तकनीकों को एक साथ जोड़ दिया जाए तो जो अद्भुत दुनिया पैदा होती है, वही मेटावर्स है।

आज आप सोशल मीडिया पर उनके फोटो या वीडियो देख रहे होते हैं लेकिन मेटावर्स में खुद उन्हें असल की तरह देखेंगे। माइक्रोसॉफ़्ट टीम्स में अपने साथियों के साथ वीडियो कॉल करते समय आप सब ऐसे ही बात कर रहे होंगे जैसे दफ़्तर में एक साथ बैठे हों।

उलझ गए न? सरल शब्दों में कहा जाए तो हमारी दुनिया जैसी ही लगने वाली एक वर्चुअल दुनिया, जिसमें हम नहीं बल्कि हमारे 3डी प्रतिरूप चल-फिर रहे हैं; जिन्हें अवतार कहा जाता है। सिर्फ हम ही क्यों, घर, दफ्तर, सड़कें, मॉल, वाहन और शहर जैसे हमारी असली दुनिया में हैं, उनके जैसे ही 3डी प्रतिरूप इस वर्चुअल दुनिया में भी हैं।

जैसी गतिविधियां हमारी असल दुनिया में हो रही हैं, वैसी ही गतिविधियां उस वर्चुअल दुनिया में भी हो सकती है। और आप अपने घर में तो बैठे ही हैं, उस वर्चुअल या आभासी दुनिया में भी एक 3डी अवतार के रूप में कुछ भी कर रहे हो सकते हैं-जैसे कि सैर-सपाटा, खरीददारी और यहां तक कि कोई अपराध भी।

यही मेटावर्स है। यह वर्चुअल दुनिया उन्हीं तकनीकों के जरिए पैदा हो रही है जिनका जिक्र ऊपर किया गया है, जैसे-वर्चुअल रियलिटी, 3डी चित्र, आगमेन्टेड रियलिटी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, होलोग्राम तकनीक, 5जी, ब्लॉकचेन, नॉन फंजिबल टोकन आदि-आदि।

यह संभावना अब बहुत दूर नहीं है जब आप इंटरनेट पर मौजूद इस मेटावर्स में विचरण कर सकेंगे। इसके लिए आपको अपने सिर पर एक खास किस्म का 3डी हैडसेट पहनना होगा। जिस तरह से आज आप अपने इंटरनेट ब्राउजर को खोलकर फेसबुक, लिंक्डइन, ट्विटर आदि पर लॉगिन करते हैं और उनके भीतर मौजूद लोगों के साथ संदेशों का आदान-प्रदान करने लगते हैं, उसी तरह से यह हैडसेट पहनने पर आप मेटावर्स में दाखिल हो जाएंगे।

फर्क यह होगा कि आप भी अपने 3डी होलोग्राफिक अवतार में होंगे यानी कि चलते-फिरते 3डी आदमकद चित्र के रूप में और वहां मौजूद दूसरे लोग भी ऐसे ही होंगे। आज आप सोशल मीडिया पर उनके फोटो या वीडियो देख रहे होते हैं लेकिन मेटावर्स में खुद उन्हें असल की तरह देखेंगे। माइक्रोसॉफ़्ट टीम्स में अपने साथियों के साथ वीडियो कॉल करते समय आप सब ऐसे ही बात कर रहे होंगे जैसे दफ़्तर में एक साथ बैठे हों।

यह दुनिया समय और भूगोल की सीमाओं से मुक्त होगी यानी एक इंसान दिल्ली, दूसरा भोपाल और तीसरा अमेरिका में होने के बावजूद सब के सब एक जगह दिखाई देंगे।
(लेखक माइक्रोसॉफ़्ट में निदेशक- भारतीय भाषाएं और सुगम्यता के पद पर कार्यरत हैं।

Topics: 3डी हैडसेटआर्टिफिशियल इंटेलिजेंसवर्चुअल दुनिया3डी होलोग्राफिक अवतारमाइक्रोसॉफ़्ट टीम्स
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