ज्ञानवापी पर भड़काऊ बयान देने के मामले में मंगलवार को एसीजेएम पंचम उज्ज्वल उपाध्याय की अदालत में सुनवाई हुई। सुनवाई के कोर्ट ने पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव एवं असदुद्दीन ओवैसी सहित अन्य लोगों पर मुकदमा दर्ज कराने से संबंधित याचिका सुनवाई योग्य माना और सुनवाई की अगली तिथि 29 नवंबर नियत कर दी है।
यह याचिका ज्ञानवापी मामले को लेकर भड़काऊ बयान देने के साथ वहां मिले शिवलिंग को लेकर आपत्तिजनक बातों को लेकर दाखिल की गई थी। जो धार्मिक भावनाएं आहत करने से संबंधित है। सिविल कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने धारा 156 – 3 के तहत प्रार्थना पत्र दिया था।
याचिका में 16 मई को मिले शिवलिंग के आस-पास हाथ, पैर, मुंह धुलने गंदगी फैलाने को लेकर दिया गया था। जिसमें कहा गया है कि सनातन धर्म को मानने वाले सभी की भावनाओं को चोट पहुंचा है। कुछ लोगों द्वारा परिसर में मिले आदिविश्वेश्वर के शिवलिंग को फव्वारा बताया गया। जो हमारे हृदय को आघात पहुंचाता है। कुछ नेताओं द्वारा समाज मे विद्द्वेष फैलाने का काम किया गया है। अधिवक्ता घनश्याम मिश्रा ने बताया कि याचिका को कोर्ट ने सुनवाई योग्य मान लिया है। परिसर में मिले शिवलिंग से केवल भारत में रहने वाले हिंदुओं की आस्था नहीं जुड़ी है, बल्कि जो भारत से बाहर हैं उनकी भी आस्था है।
अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने बताया कि अखिलेश यादव ने बयान दिया था कि पीपल के पेड़ के नीचे पत्थर रख कर झंडा लगा देने से मंदिर बन जाता है। असदुद्दीन ओवैसी ने स्वयंभू आदिविश्वेश्वर को लेकर मीडिया में कई बार आपत्तिजनक बयान दिया। समाज को गलत दिशा में भटकाने का प्रयास किया। इन नेताओं द्वारा गलत बयान को लेकर मुकदमा दर्ज करने की याचिका को स्वीकार कर ली गई है। इस मामले में अंजुमन इंतजामिया के पदाधिकारियों, सदस्यों, शहर काजी और कई उलेमाओं पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई है।
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