दुनिया की कुछ बड़ी कंपनियों में आजकल छंटनी का ऐसा चलन चला है जो एक के बाद एक कंपनी के कर्मचारियों को मुसीबत के इस दौर में घर बैठने को मजबूर कर रही है। ट्विटर, मेटा, गूगल, स्नैप और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज वैश्विक कंपनियों की तर्ज पर अब आनलाइन खरीदारी की अंतरराष्ट्रीय कंपनी अमेजन अब अपने यहां बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी करने जा रही है। इस चलन के पीछे वैश्विक मंदी का दौर और नित नए रंग में ढलते कारोबारी मॉडल का नाम लिया जा रहा है। लेकिन विशेषज्ञों की नजर में कंपनियों की बदलती नीतियां और वरिष्ठ ओहदों पर फेरबदल भी इसके लिए जिम्मेदार कही जा सकती हैं।
उल्लेखनीय है कि इस पैमाने पर छंटनी अमेजन के इतिहास में पहली बार देखने में आने वाली है। कहा जा रहा है कि अमेजन यह कदम इसी सप्ताह से उठाने जा रही है। शुरुआती दौर में ही कम से कम 10 हजार से ज्यादा कर्मचारियों की नौकरी चले जाने के आसार दिखाई दे रहे हैं।
अमेजन के सूत्रों के अनुसार इस कदम के पीछे खर्च में कमी करने की कंपनी की नीति है। अमेरिका के सुप्रसिद्ध समाचार पत्र द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट भी बताती है कि कंपनी इसी सप्ताह इन कर्मचारियों को नौकरी से बाहर कर सकती है। रिपोर्ट में लिखा है कि कंपनी ने ऐसा फैसला गत कुछ तिमाहियों में हुए राजस्व के नुकसान को ध्यान में रखकर लिया है।
बताया जा रहा है कि फिलहाल कंपनी कॉर्पोरेट तथा तकनोलॉजी विभागों में नौकरियों में कटौती करेगी। इसमें एलेक्सा वॉयस असिस्टेंट खुदरा विभाग और मानव संसाधन विभाग शामिल है। ध्यान देने की बात है कि इस पैमाने पर छंटनी का अर्थ होगा अमेजन के लगभग तीन प्रतिशत कॉरपोरेट कर्मचारियों का विदा होना।
अमेजन के पिछले कुछ समय के चलन को देखा जाए तो गत अप्रैल माह से सितंबर माह के मध्य कंपनी ने अपने कर्मचारियों की गिनती कम की है। शुरुआत में उन कर्मचारियों को निशाने पर लिया जा रहा है जो श्रम घंटों का हिसाब रखते हैं। अभी पिछले दिनों ही अमेजन द्वारा अपनी प्राथमिक और आपात स्वास्थ्य सेवाएं देने वाली अपनी सहायक कंपनी अमेजन केयर पर ताला जड़ा है। मुख्य कंपनी ने होम डिलीवरी रोबोट तथा फ्रेब्रिक डॉट कॉम को भी बंद कर दिया है।
इतना ही नहीं, नई भर्तियों पर भी फिलहाल रोक लगा दी है। अक्तूबर महीने में ही कंपनी ने अपने खुदरा कारोबार में दस हजार से ज्यादा लोगों को न लेने का निर्णय किया था। अभी लगभग पंद्रह दिन पहले अमेजन ने कुछ महीनों तक कॉरपोरेट भर्तियां न करने का भी फैसला किया है।
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