संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने एक चौंकाने और चिंता पैदा करने वाली रिपोर्ट जारी की है।
इस रिपोर्ट में लिखा है कि यूक्रेन पर रूसी हमले की वजह से जो लोग विस्थापित हुए हैं, वे बेघर—बार लोग इस बार जाड़ों में संकट का सामना कर सकते हैं। इन्हें मजबूरन कड़ाके की सर्दियों में ठिठुरते रहना पड़ सकता है जो इनके लिए एक बड़ा संकट पैदा कर सकता है।
इसमें संदेह नहीं है कि रूसी सैन्य हमले से यूक्रेन के अनेक शहर तबाह हो चुके हैं। इनके अधिकांश रिहायशी इलाके रहने लायक नहीं रह गए हैं। बुनियादी ढांचे को ऐसा नुकसान पहुंचा है कि बिजली, पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। लाखों लोग सड़क किनारे पड़े हैं, लाखों बंकरों में दुबके रहने को मजबूर हैं जहां बुनियादी सुविधाएं नाममात्र के लिए हैं। खाने की चीजों और दवाओं की जबरदस्त कमी महसूस की जा रही है। ऐसे में जाड़े का मौसम मुंहबाए खड़ा है। पहनने को गर्म कपड़े और ओढ़ने का रजाई न होने से बहुत बड़ी संख्या में लोगों को जाड़ों की मार सहनी पड़ सकती है जो इनके लिए दुखदायी साबित हो सकती है। इस विषय पर ही संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने खास अध्ययन करने के बाद जो रिपोर्ट प्रस्तुत की है, उस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।
रिपोर्ट अफगानिस्तान में वर्तमान स्थिति पर भी विस्तार से टिप्पणी करती है। वहां पिछले साल अगस्त में जिस तरह से कट्टर इस्लामवादी तालिबान लड़ाके कुर्सी पर काबिज हुए थे, उसके बाद से हालात लगातार बिगड़ते ही गए हैं। इस्लामिक अमीरात बनने के बाद से वहां लाखों लोग गरीबी की मार झेल रहे हैं, तिस पर शरियाई कायदों के कोड़े भी खा रहे हैं। इसके साथ ही, मध्य-पूर्व में स्थितियां डावांडोल होने की वजह से लाखों लोग विस्थापित हुए हैं। ऐसे सभी विस्थापतों को जाड़ों में भयंकर मुसीबतें उठानी पड़ सकती हैं। रिपोर्ट यहां तक कहती है कि ये जाड़े ऐसे लोगों के लिए काल साबित हो सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग और संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी की तरफ से रिपोर्ट में चेताया गया है। इन दोनों ही अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का यही कहना है कि विश्व भर में गंभीर स्थितियों की वजह से विस्थापित हो चुके लोग आने वाले जाड़ों में गंभीर संकट झेलने वाले हैं। रिपोर्ट बताती है कि इस साल की सर्दियां बीते कुछ वर्षों के मुकाबले बहुत ज्यादा चनौतीपूर्ण होने वाली हैं।
यूक्रेन और अफगानिस्तान के लिए तो विशेष तौर पर यह रिपोर्ट चिंता प्रकट करती है। वहां लोग तो बेशक कड़ाके का जाड़ा सहनों को मजबूर हैं, क्योंकि यूक्रेन के लोग मजबूरन बम धमाकों से टूटे घरों, अपार्टमेंट और बंकरों में रह रहे हैं, जहां वे किसी सूरत में ठंड से नहीं बच पाएंगे। उधर अफगानिस्तान के भी कई भागों में पारा माइनस 25 डिग्री तक गिरने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। वहां जाड़ों में उन लोगों पर भयंकर मुसीबत आ सकती है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग का कहना है कि मध्य पूर्व में सीरिया और इराक में विस्थापित हुए लोगों को बर्फीले तूफानों को झेलना पड़ेगा। विस्थापित हुए लाखों परिवार खाने को तरस सकते हैं और जहां रहते हैं वहां गर्माहट की कमी झेल सकते हैं। रिपोर्ट बताती है कि इन विस्थापितों को सिर छुपाने को गर्म स्थानों, गर्म कपड़ों तथा खाद्य सामग्री के लिए जूझते रहना होगा।
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी के अनुसार, सीरिया और इराक के लगभग साढ़े तीन लाख विस्थापित लेबनान, जॉर्डन, इराक तथा मिस्र में देश के भीतर ही विस्थापित जीवन जी रहे लोगों को जाड़े झेलने में बहुत ज्यादा संकट का सामना करना होगा। जाड़े के साथ ही, इन देशों में गंभीर आर्थिक संकट से भी हालात हाथ से बाहर हो रहे हैं। लोग भयंकर गरीबी झेल रहे हैं। अफगानिस्तान से ऐसी रिपोर्ट आ रही हैं कि कई स्थानों पर गरीब परिवार अपने छोटे बच्चों को की बोली लगाने को मजबूर हो रहे हैं।
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