फिल्मों में भारतीयता को पुष्ट करने वाली हवा लगातार दक्षिण से चल रही है। फिल्म बाहुबली से हुई शुरुआत के बाद कांतारा तक एक के बाद एक दक्षिण भारतीय फिल्मों ने जबरदस्त राष्ट्रव्यापी सफलता प्राप्त की है।
इन फिल्मों में एक खास बात यह है कि इन सभी में भारतीयता की अनुगूंज हर दृश्य, हर फ्रेम में साफ दृष्टिगोचर होती है। इससे फिल्म और दर्शकों में एक अंतसंर्बंध बनता दिख रहा है।
दूसरी तरफ, मायानगरी में सरसराहट है। बड़े अभिनेता-अभिनेत्रियों, बड़े बजट, अत्याधुनिक तकनीक, पाश्चात्य रमणीय स्थलों के दृश्य वाली फिल्में बॉक्स आफिस पर लुढ़क जा रही हैं।
दरअसल, फिल्म के कथानक और पात्रों को दर्शकों से जोड़ने के बजाय बॉलीवुड का जोर पश्चिम की नकल करके मुनाफा कमाने पर ज्यादा है। दर्शकों का प्रतिसाद बता रहा है कि हिंदी फिल्मों का रंग-ढंग बदलने का समय आ गया है। फिल्मों में भारतीयता की गूंज पर पाञ्चजन्य का आयोजन
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