भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर रूस की ऐतिहासिक यात्रा पर थे। कल मॉस्को में उनकी रूस के विदेश मंत्री से वार्ता को लेकर भारत और रूस ही उत्सुक नहीं थे बल्कि पश्चिमी देश, खासकर यूरोपीय संघ और अमेरिका हर बिन्दु पर गौर कर रहे थे, नजर रख रहे थे कि जयशंकर वहां क्या बोलते हैं। लेकिन भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बारे में जो कहा, उसका अमेरिका तक ने समर्थन किया है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस का कहना है कि जयशंकर का रूस को संदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो पहले कहा था, उससे अलग नहीं है। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा था कि ‘यह युग जंग का नहीं है।’
नेड प्राइस का कहना है कि भारत की राय एक बार फिर यूक्रेन युद्ध के विरुद्ध ही है। भारत चाहता है यह युद्ध कूटनीति और बातचीत के रास्ते से समाप्ति की ओर बढ़े। उन्होंने कहा कि रूस के लोगों को भारत जैसे उन देशों के संदेश को सुनना चाहिए, जिनके पास आर्थिक, राजनयिक, सामाजिक और राजनीतिक ताकत है। उन्होंने कहा कि मोदी ने यूएन में साफ कहा था कि यह समय युद्ध का नहीं है। जयशंकर का रूस को ताजा संदेश हमें उससे कुछ भिन्न नहीं लगता।
इतना ही नहीं, नेड प्राइस ने भारत को सावधान किया है कि रूस ऊर्जा और सुरक्षा सहायता के बारे में भरोसे लायक नहीं है। यदि भारत समय के साथ रूस पर अपनी निर्भरता कम करेगा तो इससे न केवल यूक्रेन या क्षेत्र का हित होगा, बल्कि यह भारत के अपने द्विपक्षीय हित में भी है। रूस के रवैये को देखते हुए हमें ऐसा ही महसूस हुआ है। उसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका ने भारत के साथ हर क्षेत्र में साझेदारी को ताकतवर बनाया है। इनमें आर्थिक, सुरक्षा, सैन्य सहयोग भी शामिल है।
इससे पहले भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने मॉस्को में रूस से तेल आयात को लेकर उठाए गए सवाल के जवाब में कहा था कि भारत-रूस संबंध लाभदायक रहे हैं, इसलिए मैं चाहूंगा कि ये जारी रहें। विदेश मंत्री दो दिन के मॉस्को दौरे के बाद आज सुबह ही भारत लौटे हैं। मॉस्को में उन्होंने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव तथा रूसी उपप्रधानमंत्री एवं उद्योग और व्यापार मंत्री डेनिस मंटुरोव से भेंटवार्ता की।
जयशंकर ने कल अपने रूसी समकक्ष के साथ विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। इसके बाद उन्होंने संकेत में कहा कि पश्चिम की ताकतों से बेअसर रहते हुए भारत रूस से कच्चे तेल का आयात जारी रखने वाला है। उनका कहना था कि भारत और रूस, दोनों ने नई दिल्ली के पेट्रोलियम उत्पादों के आयात सहित दोनों देशों के बीच आर्थिक गठजोड़ को आगे ले जाने का संकल्प लिया है। कल दोनों देशों के विदेश मंत्री के बीच हुई यह बैठक ऐसी पांचवीं बैठक थी। चीन के बाद भारत ही रूस के तेल का सबसे बड़ा ग्राहक बन गया है। उल्लेखनीय है कि रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद, जयशंकर की यह पहली मॉस्को यात्रा थी।
भारत और रूस के संबंधों पर अमेरिका ने अनेक तरह के बयान दिए हैं, लेकिन यह स्पष्ट रूप से माना है कि भारत और रूस का रिश्ता आज का नहीं है, यह दशकों पुराना है। यह रिश्ता निरंतर विकसित तथा मजबूत होता गया है। दोनों देशों के बीच ये संबंध तब कायम हुआ था जब शीत युद्ध के चलते अमेरिका के भारत से इस तरह के मधुर रिश्ते नहीं थे। ऐसे कि अमेरिका भारत का आर्थिक, सुरक्षा और सैन्य भागीदार बन सकता। लेकिन, अमेरिका के साथ भी भारत के संबंधों में गत 25 साल में कई सकारात्मक बदलाव देखने में आए हैं।
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