पंजाब में पिछले कुछ समय से खालिस्तानी गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई है। इस सबके पीछे ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का मुखिया अमृतपाल सिंह है, जो खुलेआम लोगों को भड़का रहा है। उसे विदेश से संचालित सोशल मीडिया हैंडलों में कट्टरपंथियों द्वारा एक ‘नायक’ के रूप में पेश किया जा रहा
भारत के सुरक्षा बलों के सद्प्रयासों के बावजूद पाकिस्तान से ड्रोन के माध्यम से पंजाब में हथियार व नशीले पदार्थों की आपूर्ति हो रही है जो चिन्ता पैदा करने वाली बात है। लेकिन इससे भी भयावह खबर यह है कि राज्य में एक व्यक्ति इन हथियारों को चलाने वाले ‘हाथ’ गढ़ने में लगा है। उसके बोलने, चलने व बात करने की शैली खालिस्तानी आतंक के सरगना जरनैल सिंह भिंडरांवाला से मिलती है या कह लें, वह वैसा अभिनय करने का प्रयास करता है।
भिंडरांवाला की तरह उसके साथ भी हथियारबंद लोग रहते हैं और युवा उसके कार्यक्रमों में हजारों की संख्या में जुटते हैं। कहने को तो वह अमृतसंचार व खण्डे बाटे की पहुल छकाने (कथा और अमृतपान करवाने) का काम करता है, परन्तु युवाओं को देश व अपनी ही सरकारों के खिलाफ हथियार उठाने को उकसाता है। सिखों पर कपोलकल्पित अत्याचार व झूठी-सच्ची खबरों को आधार बनाकर युवाओं के मनों में जहर भरा जाता है।
जनचर्चा से लेकर मुख्यधारा मीडिया व विदेश से संचालित सोशल मीडिया में कट्टरपंथियों द्वारा उसे एक नायक के रूप में पेश किया जाने लगा है। इस अलगाववादी तत्व का नाम है अमृतपाल सिंह जो ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का मुखिया बनकर अपने आप को जत्थेदार भी बुलवाने लगा है। वह अपनी विषैली जुबान से युवाओं को भड़काने के साथ देश के खिलाफ हथियार उठाने को उकसाता है।
गत सप्ताह शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक समिति के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिन्दर सिंह धामी और अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह साका पंजा साहिब में शताब्दी समारोह मनाने के लिए पाकिस्तान गए हुए थे। इधर अमृतपाल ने स्वर्ण मंदिर में अमृतसंचार कार्यक्रम किया। इसी बीच वह एक रात को अपने हथियारबन्द साथियों के साथ दरबार साहिब पहुंचा। अमृतपाल सिंह ने स्वर्ण मंदिर पहुंचकर श्री अकाल तख्त साहिब में एकत्रित लोगों को संबोधित भी किया।
स्वर्ण मंदिर परिसर के बाहर पत्रकारों से बातचीत करते हुए उसने खुलकर खालिस्तान का समर्थन किया। उसने प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस के स्वयंभू मुखिया गुरपतवंत सिंह पन्नू का भी समर्थन करते हुए कहा कि वह उस हर इनसान के साथ है, जो खालिस्तान का समर्थन करता है। इतना ही नहीं, पन्नू को भारत सरकार द्वारा आतंकी घोषित किए जाने पर उसने कहा कि सरकारें किसी को भी आतंकी और किसी को भी साधु घोषित कर देती हैं। उसने दो दिन स्वर्ण मंदिर में अमृतसंचार किया जो अपने आप में डराने वाली बात है। काबिलेजिक्र है कि भिंडरांवाला ने भी स्वर्ण मन्दिर की आड़ लेकर आतंकवाद का संचालन किया था और आॅपरेशन ब्लू स्टार के दौरान सेना के हाथों मारा गया था।
यहां बता दें कि अमृतपाल के नेतृत्व वाला ‘वारिस पंजाब दे’ वह संगठन है, जिसका गठन कथित किसान आन्दोलन के बाद दीप सिद्धू ने किया था। सिद्धू लाल किला हिंसा का मुख्य आरोपी था जिसकी बाद में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। उसकी मौत के बाद विगत दिनों ही दुबई से आए अमृतपाल ने ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन की कमान संभाली और आजकल वह युवाओं के दिमागों में कट्टरपंथ का जहर घोलकर उन्हें देश के खिलाफ भड़काने के काम में जुटा है।
दूसरी ओर पाकिस्तान में अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह की यात्रा के दौरान उनके साथ एक विवाद जुड़ गया है। पंजाब में चले आतंकवाद के दौर—1981 में भारतीय हवाई जहाज के अपहर्ता ने खालिस्तानी आतंकी रविंद्र सिंह पिंका की फोटो ज्ञानी हरप्रीत सिंह के साथ वायरल होने पर राज्य में तरह-तरह की चर्चाओं ने जन्म लेना शुरू कर दिया है। प्रश्न किया जा रहा है कि ‘मुलाकात हुई और न जाने क्या बात हुई।’ फिलहाल शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक समिति ने अपने ट्विटर हैण्डल से इस वीडियो को हटा दिया है और इस विषय पर खामोशी ओढ़ ली है।
इस बीच समिति ने एक वीडियो ट्वीट किया जिसमें सिखों के सर्वोच्च आस्था स्थल श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के साथ कुछ लोगों को गुरुद्वारा साहिब से बाहर आते दिखाया गया। इन लोगों में पूर्व आतंकवादी पिंका की भी फोटो शामिल है, जिसने 1981 में श्रीनगर नागरिक हवाई अड्डे से आईसी- 405 का अपहरण कर लिया था और उसे लाहौर ले गया। मूल रूप से जम्मू का निवासी आतंकी पिंका उसके बाद से पाकिस्तान में ही शरण लिए हुए है और वहां की गुप्तचर एजेंसी आईएसआई के इशारे पर भारत विरोधी बयान देता रहा है।
चिंता की बात
‘वारिस पंजाब दे’ के अध्यक्ष अमृतपाल सिंह की कथनी और करनी को लेकर राज्य में चिन्ता बरकरार है। पंजाब पुलिस के पूर्व डीजीपी चन्द्रशेखर का कहना है कि अमृतपाल तो बस मोहरा है। इस खेल के पीछे कौन है, इसकी जांच होनी चाहिए। अमृतपाल अचानक कहां से आ गया? आतंकवाद के काले दौर के खत्म होने के दशकों बाद पंजाब में ऐसा कुछ नहीं हुआ, लेकिन एकाएक अमृतपाल के बयान आने शुरू हो गए और सैकड़ों लोग उसके पीछे आकर खड़े हो गए। यह सब कैसे हो रहा है। इसके लिए फंड कहां से आ रहा है। उसके बयानों से समाज में तनाव व टकराव की स्थिति पैदा होने का खतरा है। इसे लेकर गंभीर होने की जरूरत है।
पंजाब विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. मनजीत सिंह इस संबंध में कहते हैं कि अमृतपाल समाज के दो समुदायों में जहर फैलाकर किस खालिस्तान और सिखों की आजादी की बात कर रहा है। कभी वह केंद्र व राज्य के टकराव की बात करता है, तो कभी दो समुदायों को लड़वाने की। उसे खालिस्तान मांगने का अधिकार किसने दिया है? क्या उसने इस बारे में किसी सिख संस्था, सिखों की नुमाइंदगी करने वाली राजनीतिक पार्टी से बात की है?
गौरतलब है कि कुछ समय पहले दुबई से आया अमृतपाल अचानक जरनैल सिंह भिंडरांवाला के गांव रोडे (मोगा) जाकर सिखों की आजादी का आह्वान करता है और युवाओं को विदेश ना जाकर यहीं पर खंडे बाटे की पाहुल छक कर (अमृतपान करना) आजादी की लड़ाई में कूदने को कहता है। अंग्रेजों से लोहा लेने वाले भगत सिंह के साथी क्रान्तिकारी सुखदेव के परिजनों ने भी अमृतपाल की गतिविधियों पर आपत्ति जताई है।
बलिदानी सुखदेव के वंशज श्री अशोक थापर ने इस पर कड़ाई से रोक लगाने की मांग की है। पंजाब की खुफिया एजेंसियों ने केन्द्र सरकार को इस मामले से जुड़ी रिपोर्ट भेजी है और अमृतपाल की गतिविधियों को देश के लिए खतरा बताया है। इससे पहले कि देर हो पंजाब में पनप रही खालिस्तानी आतंकवाद की इस विषबेल को फौरन उखाड़ फेंकना होगा।
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