दिग्गज टेक कंपनियां अब विमर्शों को मंच देने के साथ ही उन्हें गढ़ने, दिशा देने, नियंत्रित करने और प्रभावित करने में भी जुटी हैं। तकनीकी कंपनियां विभिन्न फिल्टरों के माध्यम से अपने अनुरूप विचारों को प्रसारित कर सकती हैं और विरोधी विचारों पर रोक लगा सकती हैं। मेटा बनाम वायर प्रकरण से स्पष्ट होता है कि तकनीकी कंपनियां यह करने में सक्षम हैं।
दूसरा घटनाक्रम टेस्ला कार निर्माता एलन मस्क द्वारा ट्विटर को अधिग्रहीत किए जाने का है। एलन मस्क बड़े-बड़े देशों की सरकारों से भिड़ने के लिए जाने जाते हैं। इन सरकारों को प्रभावित करने के लिए जनमत या जन दबाव सृजित करने में सोशल मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती/होती है।
एलन मस्क लगभग चार वर्ष से अपनी टेस्ला कार भारत में बेचने के लिए अत्यंत इच्छुक हैं। परंतु इसके लिए भारत सरकार की शर्तें उन्हें मंजूर नहीं हैं। इसके अलावा एलन मस्क अपनी इंटरनेट सेवा कंपनी स्टारलिंक्स का विस्तार भारत में करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने लाइसेंस लिये बगैर भारत में बुकिंग शुरू कर दी, परंतु भारत सरकार ने रोक लगा दी।
ट्विटर के लिए भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। मस्क द्वारा ट्विटर खरीदे जाने को इस दृष्टि से भी देखे जाने की जरूरत है। साफ है कि आज के समय में तकनीक के जरिए विमर्श और जनमत पर नियंत्रण की जंग चल रही है। ऐसे में दिग्गज टेक कंपनियों में टकराव स्वाभाविक है।
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