झारखंड में भूमाफिया बेच रहे हैं सरकारी और सेना की जमीन, ईडी की कार्रवाई से कोलकाता तक हड़कंप

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WEB DESK

झारखंड में भूमाफिया सेना की जमीन के साथ ही वन भूमि भी को भी बेच रहे हैं। इसके साथ ही ईसाई और मुस्लिम चर्च, मस्जिद और कब्रिस्तान बनाने के लिए भी वन भूमि पर कब्जा कर रहे हैं।

 

रांची में सेना की भूमि बेचने के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई तेज हो गई है। इसके तहत रांची और कोलकाता में ईडी ने छापा मारा है। इसके बाद से ही राज्य की राजनीति गर्म है। बता दें कि कुछ दिन पहले रांची के बरियातू स्थित सेना की जमीन (4.55 एकड़) की खरीद—बिक्री का पता चला था। इसके साथ ही कुछ अन्य भूखंडों की खरीद—बिक्री की भी जानकारी मिली थी। इन सब मामले में ईडी को अमित अग्रवाल नामक कोलकाता के एक कारोबारी से काफी पुख्ता जानकारी मिली। अमित को कुछ दिन पहले ही गिरफ्तार किया गया था। उसकी गिरफ्तारी रांची के एक वकील राजीव कुमार के मामले में हुई है। बता दें कि कुछ समय पहले राजीव कुमार को 50,00,000 रु के साथ कोलकाता में गिरफ्तार किया गया था। इसी मामले में अमित की गिरफ्तारी हुई थी। वह अभी भी जेल में है। इस मामले की जांच के दौरान ही ईडी को पता चला जमीन खरीद—बिक्री में बड़ा ‘खेल’ हुआ है। अमित से मिले तथ्यों के आधार पर ही ईडी ने रांची और कोलकाता में छापेमारी की। पता चला है कि अमित ने बड़े नेताओं और नौकरशाहों के कालेधन को सफेद बनाने के लिए जमीन खरीदी है। इस खरीद—फरोख्त में सेना की भी जमीन शामिल है।

गिड़गिड़ाई राज्य सरकार
झारखंड में वन भूमि पर हो रहे कब्जे का मामला उच्च न्यायालय तक पहुंच गया है। आनंद कुमार नामक एक व्यक्ति ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि राज्य के विभिन्न वन प्रमंडलों की लगभग 50,000 हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण किया गया है। कुछ जगहों पर अधिकारियों की मिलीभगत से वन भूमि बेच दी गई है। इस पर 4 नवंबर को सुनवाई हुई। झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायमूर्ति एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकारियों ने मिलीभगत कर वन भूमि को बेच दिया है। इसलिए मामले की जांच सीबीआई से कराई जाएगी। इससे पहले राज्य सरकार से जवाब दाखिल करने की मांग की गई। इस पर राज्य सरकार की ओर से तीन सप्ताह का समय देने का निवेदन किया गया, पर न्यायालय ने कहा कि इतना समय नहीं दिया जा सकता। सरकार के बार-बार आग्रह करने के बाद न्यायालय ने दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी।

वन भूमि पर कब्रिस्तान!
इसी वर्ष जुलाई महीने में रांची के चान्हो प्रखंड के आनंदशिला ग्राम में वन भूमि पर कब्जा किया गया। मजे की बात तो यह है कि स्थानीय विधायक कोष से वहां कब्रिस्तान के नाम पर रातोंरात चारदीवारी बनाने का काम शुरू कर दिया गया। बाद में संबंधित प्रशासन ने चारदीवारी के काम को रोक दिया। एक रिपोर्ट के अनुसार कब्जाई गई भूमि 2 एकड़, 30 डिसमिल है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि कब्रिस्तान के नाम पर लगभग 30 एकड़ जमीन पर कब्जा किया गया है। चान्हो तो केवल एक नमूना है। पूरे झारखंड में ऐसे हजारों मामले देखे जा सकते हैं। जमीन पर कब्जा करने का ‘खेल’ हेमंत सरकार के आने के बाद अधिक हो रहा है। सरकारी जमीन पर कब्जा कर मस्जिद और कब्रिस्तान बनाने के मामले पाकुड़ में ज्यादा सामने आ रहे हैंं। पश्चिम बंगाल से सटे पाकुड़ जिले से बांग्लादेश बहुत नजदीक है। यही कारण है कि यहां बड़ी संख्या में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिए रहते हैं। इन घुसपैठियों को कुछ मजहबी संगठन सरकारी जमीन पर बसाते हैं।

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