भले ही भारत पूर्व की क्रांतियों से अपेक्षित लाभ नहीं उठा सका। लेकिन चौथी क्रांति यानी डिजिटल क्रांति देश को आर्थिक महाशक्ति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी
हमारा देश कई क्षेत्रों में प्रगति की नई-नई ऊंचाइयों को छू रहा है। औद्योगिक क्षेत्र में भी परिणाम स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। कारण स्पष्ट है, नीति और नीयत के साथ एक दृष्टि और दृष्टिकोण भी है। यह दृष्टिकोण व्यापक है और भारत की जड़ों, संस्कारों, संस्कृति से लेकर हमारी आकांक्षाओं और अस्मिता से जुड़ा हुआ है, जिसे लेकर सरकार आगे बढ़ रही है। यह नया भारत है। यह डिजिटल भारत है। साबरमती संवाद में तकनीकी विशेषज्ञ और माइक्रोसॉफ्ट में निदेशक भारतीय भाषाएं एवं सुगम्यता पद पर तैनात बालेंदु शर्मा दाधीच ने ये विचार रखे।
बालेंदु ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2015 में दिए एक बयान का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी दृष्टि में डिजिटल भारत दिखाई देता है। आज देश का लगभग हर व्यक्ति इंटरनेट से जुड़ चुका है। नवाचार हो रहे हैं, जिसके कारण जगह-जगह स्टार्टअप दिखाई दे रहे हैं। यही नहीं, देश में बड़े पैमाने पर शोध हो रहे हैं और सरकार व आम जन के बीच तकनीक एक माध्यम का काम कर रही है। प्रधानमंत्री की कल्पना तकनीक से लैस एक ऐसी सरकार की है, जो आने वाले दिनों में नागरिक के करीब हो। इंडस्ट्री 4.0 की उनकी दृष्टि को समझना बहुत जरूरी है।
दुनिया में तीन क्रांतियां हुईं, लेकिन हम उनका लाभ नहीं उठा पाए। पहली क्रांति 1765 के आस-पास हुई, जब यूरोप में मशीनों का प्रयोग शुरू हुआ। इस कारण यूरोप में बड़े पैमाने पर औद्योगिकीकण हुआ, लेकिन हम इससे वंचित रहे। दूसरी क्रांति 1870 के आस-पास हुई, जिसे ऊर्जा क्रांति कहते हैं। इस समय दुनिया में पहली बार बिजली आई। 1970 के आस-पास तीसरी क्रांति इलेक्ट्रॉनिक्स से जुड़ी थी, लेकिन इसका भी हम सीमित लाभ उठा सके।
आज भारत सूचना प्रौद्योगिकी की चौथी क्रांति के मुहाने पर खड़ा है। यह हमारे रहन-सहन, काम करने के तौर-तरीके के साथ मिलने-जुलने के तौर-तरीकों को भी बदल देगी। सूचना प्रौद्योगिकी जीवन का अनिवार्य अंग बन गई है। डिजिटल युग में सीमाएं टूट रही हैं और दूरियां मिट रही हैं। विभिन्न प्रकार की तकनीक एक-दूसरे के साथ मिलकर काम कर रही हैं।
आज शायद ही कोई क्षेत्र होगा, जिसमें स्टार्टअप न हो। नीति आयोग के अनुसार, आनलाइन माध्यमों से अगले 5-7 साल में लगभग 2.5 करोड़ रोजगार के अवसर सृजित होंगे। प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि भारत में ‘डिजिटल फर्स्ट’ की सोच जरूरी है। तकनीक देशवासियों को सक्षम और सशक्त बनाने के लिए है, ताकि सरकार पर लोगों की निर्भरता कम हो।
उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है। इसमें सूचना एवं प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। आज हम धड़ल्ले से भोजन, शिक्षा और यातायात से लेकर आनलाइन खरीदारी के लिए विभिन्न प्रकार के एप का प्रयोग कर रहे हैं। इनसे लाखों युवाओं को रोजगार भी मिल रहा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष का आकलन है कि 2028 में भारत की अर्थव्यवस्था 5.6 ट्रिलियन डॉलर से भी अधिक हो जाएगी। यानी हम जापान को पीछे छोड़कर तीसरे स्थान पर होंगे।
मतलब यह कि सूचना प्रौद्योगिकी से कारोबार के लिए संभावनाओं के द्वार खुलेंगे। साथ ही, डिजिटल युग में नए निवेशक, नए बाजार और नए कौशल के लिए भी अपार संभावनाएं हैं। यही नहीं, हम हार्डवेयर के क्षेत्र में भी तेजी से बढ़ रहे हैं और आने वाले समय में इसका निर्यात भी होने लगेगा। सेवा और सॉफ्टवेयर क्षेत्र में हम पहले से आगे हैं।
आज शायद ही कोई क्षेत्र होगा, जिसमें स्टार्टअप न हो। नीति आयोग के अनुसार, आनलाइन माध्यमों से अगले 5-7 साल में लगभग 2.5 करोड़ रोजगार के अवसर सृजित होंगे। प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि भारत में ‘डिजिटल फर्स्ट’ की सोच जरूरी है। तकनीक देशवासियों को सक्षम और सशक्त बनाने के लिए है, ताकि सरकार पर लोगों की निर्भरता कम हो।
विश्व में भारत का योगदान अभी 31 प्रतिशत है। दुनिया के कई देशों में भारत के दिग्गज नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं। उनकी मेधा शक्ति का प्रयोग कर हम देश की उन्नत आधारशिला रखने में सफल होंगे।
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