‘साबरमती संवाद’ में फेक न्यूज को लेकर हुए सत्र में सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर
काजल हिन्दुस्थानी ने झूठ की फैक्टरी चलाने वालों की उधेड़ी परतें
सोशल मीडिया पर एक वर्ग ऐसा है, जो सिर्फ एक मजहब का चश्मा लगाए हुए है क्योंकि उसका एजेंडा उसी में फिट बैठता है। ऐसे लोग आशिफा वाला पहलू तो दिखाते हैं लेकिन उन्हें निकिता नहीं दिखती।
ना तो इंडिया गेट पर कैंडल मार्च होता, ना धरना प्रदर्शन और ना ही वीआईपी जमघट। वाशिंगटन पोस्ट, न्यूयॉर्क टाइम्स और अल जजीरा जैसे समाचार पत्रों तक निकिता का चित्कार ही नहीं पहुंचता। ऐसा सिर्फ इसलिए होता है कि बच्ची हिन्दू होती है।
पूरे ईरान में आन्दोलन हो रहा है, लेकिन कथित महिला सशक्तीकरण का झंडा उठाने वाला बिंदी गिरोह इस पूरे आन्दोलन पर अपना मुंह सिले हुए है। जबकि हर दिन ईरान में निहत्थी महिलाओं पर गोलियां चलाई जा रही है, उन पर अत्याचार किया जा रहा है, जेलों में ठूंसा जा रहा है। पर भारत में क्या हो रहा है?
अब दूसरा उदाहरण ईरान का है। पूरे ईरान में आन्दोलन हो रहा है, लेकिन कथित महिला सशक्तीकरण का झंडा उठाने वाला बिंदी गिरोह इस पूरे आन्दोलन पर अपना मुंह सिले हुए है। जबकि हर दिन ईरान में निहत्थी महिलाओं पर गोलियां चलाई जा रही है, उन पर अत्याचार किया जा रहा है, जेलों में ठूंसा जा रहा है। पर भारत में क्या हो रहा है? यहां हिजाब पहनने के लिए लड़ाई लड़ी जा रही है।
टूलकिट गैंग इनके समर्थन में है। सोशल मीडिया पर ऐसा दिखाया जाता है कि सारी महिलाएं इनके समर्थन में हैं। भारत में तथाकथित सेकुलर लोगों का यह मानना है कि मुस्लिम महिलाओं के ऊपर अन्याय हो रहा है और अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है। जबकि ऐसे लोग पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईराक, ईरान और सीरिया में महिलाओं के हालात नहीं बताते।
यहां महिलाओं को कितनी आजादी है, उस पर चुप्पी साध जाते हैं। हलाला, मुतहा, तीन तलाक और महिलाओं को मस्जिद तक में जाने की मनाही पर यह गैंग कभी कुछ नहीं बोलता।
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