‘साबरमती संवाद’ में फेक न्यूज को लेकर हुए सत्र में सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर विजय पटेल ने झूठ की फैक्टरी चलाने वालों की उधेड़ी परतें
देश में एक बड़ी तादाद ऐसे लोगों की है, जो दूषित मानसिकता का शिकार तो हैं ही, साथ ही दूसरों के दिमाग को भी दूषित कर रहे हैं। ऐसी ताकतें सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं, जो चाहती हैं कि देश तरक्की न करे। ऐसे में फे क न्यूज का सहारा लिया जाता है।
आन्दोलन की नींव ही झूठ पर टिकी थी। एक के बारे में लोगों को बताया गया कि नागरिकता चली जाएगी तो दूसरे में किसानों की जमीन निजी कंपनियां ले लेंगी। जबकि यह सरासर झूठ था। लेकिन महीनों-सालों यह झूठ सोशल मीडिया के जरिए फैलाया जाता रहा। फेक न्यूज की फैक्टरी वाले यहां तक नहीं रुके, उन्होंने एक और झूठ फैलाया कि 700 किसानों की हत्या हुई। जबकि यह भी झूठ ही था।
झूठे नैरेटिव गढ़े जाते हैं, समाज बांटने के लिए आए दिन झूठी खबरें फैलाई जाती हैं। इतना ही नहीं, अपराध तक को जाति-मजहब के चश्मे से देखकर समाज में जहर घोलने की साजिशें रची जा रही हैं। कुछ समय पहले देश में दो आन्दोलन हुए। एक सीएए-एनआरसी और दूसरा किसान आन्दोलन।
हकीकत यह है कि इन दोनों आन्दोलन की नींव ही झूठ पर टिकी थी। एक के बारे में लोगों को बताया गया कि नागरिकता चली जाएगी तो दूसरे में किसानों की जमीन निजी कंपनियां ले लेंगी। जबकि यह सरासर झूठ था। लेकिन महीनों-सालों यह झूठ सोशल मीडिया के जरिए फैलाया जाता रहा। फेक न्यूज की फैक्टरी वाले यहां तक नहीं रुके, उन्होंने एक और झूठ फैलाया कि 700 किसानों की हत्या हुई। जबकि यह भी झूठ ही था।
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