पिछले 70-75 वर्षों में शायद ही किसी सरकार ने रक्षा को केंद्र में रखकर आत्मनिर्भर भारत पर विचार किया हो। लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश न केवल रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो रहा है, बल्कि रक्षा साजो-सामान का निर्यात भी करने लगा है
अमदाबाद में आयोजित साबरमती संवाद-2022 में केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट ने आत्मनिर्भर भारत की तस्वीर प्रस्तुत करते हुए कहा कि केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार आने के 7-8 साल में ही देश का कायाकल्प हो गया है। आत्मनिर्भर होने के साथ 2013-14 की तुलना में निर्यात में भी ऐतिहासिक वृद्धि हुई है। अभी तक हम 38,500 करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात कर चुके हैं। देश हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने, इसके लिए सरकार ने काफी मेहनत की है।
उन्होंने कहा कि इससे पहले ऐसा काम कभी नहीं हुआ। अटल बिहारी वाजपेयी का कार्यकाल भले ही छोटा था, पर उन्हीं के कार्यकाल में ही पोखरण में परमाणु परीक्षण हुआ। अटल जी का ध्येय वाक्य था- ‘मेरे देश की जनता नमक रोटी खा लेगी, लेकिन हम किसी से दबेंगे नहीं।’ नतीजा, भारत पर जो पाबंदियां थोपी गईं, उन्हें दुनिया को हटाना पड़ा। अजय भट्ट ने कहा कि 2020 में सिपरी ने दुनिया के 25 शीर्ष निर्यातक देशों की सूची जारी की, जिसमें पहली बार भारत को शामिल किया गया। भारत किसी भी मामले में पीछे नहीं है। अमेरिका व चीन के बाद भारत रक्षा बजट पर सबसे ज्यादा खर्च करता है। सेना में शामिल हमारा हेलिकॉप्टर एलएचएस अत्याधुनिक तकनीक से लैस है। इसमें प्रयुक्त तोप, बंदूक, गोली, मिसाइल सहित सभी सामान स्वदेशी हैं। मानवरहित जहाज का परीक्षण भी सफल रहा है। ड्रोन मामले में भी हम किसी से कम नहीं हैं। के-9 बजरा बंदूक की तो तकनीक ही कमाल की है। उन्होंने आईएनएस विक्रांत को आत्मनिर्भर भारत का बड़ा उदाहरण बताया, जिससे पूरी दुनिया अचरज में है। इस पर तैनात युद्धक विमान को उड़ाने वाले पायलटों में महिलाएं भी हैं।
मोदी जी के दृष्टिकोण ने भारत को बहुत शक्तिशाली बना दिया है। सेना के तीनों अंगों में क्रांति आई है। 1999 में हमने जो काम शुरू किए थे, उसके मुकाबले हम बहुत आगे बढ़ गए हैं। गुजरात में लगने वाली रक्षा प्रदर्शनी में उन्हीं विदेशी कंपनियों को बुलाया गया है, जो हमारे साथ मिल कर भारत निर्माण कर रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर इच्छाशक्ति मजबूत है तो कोई आपको डिगा नहीं सकता। उत्तराखंड और लद्दाख में सीमा पर बुनियादी ढांचों के विकास में तेजी इसका प्रमाण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हर क्षेत्र चाहे रक्षा हो, कृषि व शिक्षा या आॅटोमोबाइल क्षेत्र, हम आगे बढ़े हैं। किसी ने सोचा था क्या कि हम अपनी गाड़ी से कैलाश मानसरोवर जाएंगे? आज आप दिल्ली से बैठिए या गुजरात से, रात को पिथौरागढ़ या धारचूला पहुंचिए और अगली सुबह मानसरोवर में डुबकी लगाकर सुरक्षित वापस आ जाइए। किसी ने सोचा था कि इतनी सुरंगें होंगी? सीमाओं पर रहने वाले ग्रामीणों की स्थिति बहुत खराब रहती थी। बारिश और बर्फबारी के कारण उन्हें सुविधाएं नहीं मिल पाती थीं। अटल जी ने अटल टनल की शुरुआत की। इसके बाद 10 साल तक संप्रग की सरकार रही, पर इस पर कुछ काम नहीं हुआ। मोदी जी के आते ही तेजी से काम शुरू हुआ और बीते एक-डेढ़ साल में यह तैयार हो गया। अभी ऐसे कई टनल हैं। अब फौज सीधे गाड़ियों से सीमाओं पर पहुंच रही है। अभी और कई परियोजनाओं पर काम चल रहा है। अटल टनल बनने से प्रतिदन 7 करोड़ की बचत हो रही है। सीमाएं चाकचौबंद हैं। आज हम किसी से कम नहीं हैं। यह 1962 का भारत नहीं है।’’
अटल टनल बनने से प्रतिदन 7 करोड़ की बचत हो रही है। सीमाएं चाकचौबंद हैं। इतना जान लीजिए कि आज हम किसी से कम नहीं हैं। यह 1962 का भारत नहीं है।’’
अजय भट्ट ने आगे कहा, ‘‘पहले यह कहा जाता था कि सीमा पर सड़क बन गई तो शत्रु अंदर आ जाएगा। इसलिए सीमांत क्षेत्रों में टेलीफोन तक नहीं लगाए जाते थे, लेकिन हम ऐसा नहीं सोचते। आज स्थिति यह है कि सारे राइडर हटा दिए गए हैं। हमें किसी का डर नहीं है। आज सीमा पर हर तरह की सुविधा है। लद्दाख क्षेत्र के ओमलिंगला को ही देख लीजिए। हम पड़ोसी देश चीन के बराबर आ गए हैं। सबसे ऊंचाई वाली सड़क के तौर पर ओमलिंगला का नाम गिनीज बुक आफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है। हमने नीति में परिवर्तन किया है, लेकिन यह परिवर्तन विस्तारवाद के लिए नहीं, बल्कि मानवता के लिए है। हमारी नीति वसुधैव कुटुंबकम् की है। सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को किसी तरह की परेशानी न हो, सुविधाओं के अभाव में उन्हें पलायन न करना पड़े, इसलिए हमने उन्हें सड़क के जरिये शेष भारत से जोड़ा है। यानी हम अपने लोगों को हर तरह की सुविधाएं दे रहे हैं।’’
उनहोंने कहा कि आज हमारे देश में एक ऐसा व्यक्तित्व पैदा हो गया है जिसको पूरी दुनिया मान रही है। आपने युद्धग्रस्त यूक्रेन और रूस में देखा कि किस तरह प्रधानमंत्री ने वहां फंसे भारतीयों को ही नहीं, उनके पालतू कुत्ते, बिल्लियों को भी सुरक्षित निकाला। यही नहीं, 22,500 भारतीय छात्र-छात्राओं के साथ पाकिस्तान के छात्रों को भी सुरक्षित निकाला। उन्होंने अपने देश में जाकर कहा भी कि ‘भारत के तिरंगे ने हमारी जान बचाई’ और भारत के प्रधानमंत्री को धन्यवाद भी दिया। दुनिया में ऐसा कोई नेतृत्व है? यह करिश्मा मोदी जी ही कर सकते हैं। अभी दुनिया में ऐसा कोई नेता नहीं, जिसका कहना विश्व मान ले। उन्होंने कहा कि सैनिक स्कूलों का दायरा बढ़ाया जा रहा है। कई सांसदों ने जगह-जगह सैनिक स्कूल खोलने की मांग उठाई है। कुछ स्थानों पर सैनिक स्कूल खुल भी गए हैं। इसके अलावा पीपीपी मोड पर भी बड़ी संख्या में सैनिक स्कूल खोले जाएंगे। अभी तक डेढ़ दर्जन स्कूल खोले जा चुके हैं और 1,000 से ज्यादा अधिक की मांग सरकार के पास लंबित है।
हमारा प्रयास आने वाले समय में और अधिक सैनिक स्कूल खोलने का है। पहले सैनिक स्कूल पूरी तरह सैन्य अधिकारी के नियंत्रण में होता था, लेकिन नीति में बदलाव कर इसमें आम नागरिक को भी शामिल किया गया है ताकि अधिकतम लोग इसका फायदा उठा सकें। इसी तरह, एनसीसी स्कूल की भी बहुत मांग है। उन्होंने कहा कि अग्निवीर के बारे में भ्रम फैलाया गया, पर हिमाचल व दूसरे कई राज्य इससे बेअसर रहे। कुछ लोगों ने सरकारी संपत्ति को तबाह किया। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। हमने कई देशों की सेना का अध्ययन करने के बाद अग्निवीर भर्ती का फैसला लिया है।
अग्निवीर के बारे में भ्रम फैलाया गया। मैं पूछता हूं आपको सुरक्षा चाहिए या नेतागीरी चाहिए? कुछ राज्यों ने तो जबरदस्ती भ्रम फैलाया। लेकिन हिमाचल में इसका कोई असर नहीं दिखा। दूसरे कई राज्य भी इससे बेअसर रहे।
लंबी नीति के तहत हर दो-तीन माह में अग्निीवीरों की भर्ती होगी। चयनित उम्मीदवारों को सभी सरकारी सुविधाएं मिलेंगी। सेना में 4 साल सेवा के बाद बाहर आने वाले 75 प्रतिशत अग्निवीर बड़ी श्रम शक्ति बन कर आएंगे। उनके पास डिप्लोमा तो होगा ही, सेना में काम करने का अनुभव, अनुशासन व साथ में 15-20 लाख रुपये भी होंगे। सेना से बाहर आने के बाद वे अर्धसैनिक बल में तैनात हो सकते हैं। बैंक में काम कर सकते हैं या अपना व्यवसाय खड़ा कर सकते हैं। यानी सेना में या सेना से बाहर, दोनों जगह वे सुरक्षित हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि अग्निवीर में सबसे ज्यादा बेटियां आ रही हैं।
रक्षा राज्यमंत्री ने कहा कि देश में एमएसएमई को बढ़ावा दिया जा रहा है। पहले हम यह देखने जाते थे कि किसने क्या बनाया। लेकिन अब स्थिति इसके उलट है। इस बार लोग देखेंगे कि हमने क्या बना दिया है! सालों के बाद आर्डिनेंस फैक्ट्री का विकेंद्रीकरण कर दिया है। इस समय देश में चार जगहों पर रक्षा प्रदर्शनी लगाई जा रही है। यह पहले के ‘डिफेंस एक्सपो’ पहले से बिल्कुल अलग है। इसमें दुनिया यह भी देखेगी कि हम क्या करने जा रहे हैं। ड्रोन की सबसे बड़ी प्रदर्शनी यहीं लगेगी। यह हमारी सबसे बड़ी रक्षा प्रदर्शनी होगी। अभी तक 1180 कंपनियों ने पंजीकरण कराया है।
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