संयुक्त राष्ट्र, तुर्किए और भारत की मध्यस्थता और यूक्रेन से फिर से हमला न होने की गारंटी देने के बाद रूस ने खाद्यान्न समझौता बहाल कर दिया है। माना जा रहा है कि जहाजों पर मिसाइलों के हमले के बाद रूस के इस समझौते से पीछे हटने के बाद, दुनिया के एक बड़े हिस्से में खाद्यान्न संकट पैदा होने के आसार बन गए थे। अब लगता है ऐसी स्थिति नहीं आएगी। विशेषज्ञ कयास लगा रहे हैं कि यूक्रेन विश्व की एक बड़ी आबादी के हित में काला सागर में पहले जैसी कोई जंगी हरकत नहीं करेगा।
ताजा समाचारों के अनुसार कल करीब 18 जहाज खाद्यान्न लादकर काला सागर से अपने गंतव्यों की तरफ बढ़े हैं। इस बारे में रूस के रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी करके कहा है कि यूक्रेन ने गारंटी दी है कि काला सागर में खाद्यान्न निर्यात के लिए बनाए गए गलियारे में कोई सैन्य कार्रवाई नहीं होगी। पता चला है कि रूस को अनाज निर्यात के समझौते में फिर से उतारने में तुर्किए के साथ ही भारत और संयुक्त राष्ट्र की बड़ी भूमिका रही है।
समाचार एजेंसी रॉयटर की रिपोर्ट के अनुसार, फिलहाल दुनिया से खाद्यान्न संकट का खतरा टल गया है। आशंका यह जताई जा रही थी कि अगर रूस अपने पहले वाले मत पर कायम रहता और जहाजों को रवाना नहीं करता तो आगामी सर्द मौसम में पिछड़े देशों के करोड़ों लोगों को भूखे ही सोना पड़ता। आखिर कूटनीतिक सरगर्मी के बाद, रूस खाद्यान्न निर्यात समझौते के महत्व को देखते समझौते पर वापस लौटने को तैयार हुआ है। यह समझौता आगामी 19 नवम्बर तक रहने वाला है, लेकिन संबंधित पक्ष इसे आगे जारी रखने को लकेर वार्ताएं कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि इस समझौते के अंतर्गत यूक्रेन होकर काला सागर के जरिये खाद्यान्न का निर्यात चालू हुआ है। इसकी आवश्यकता को देखते हुए रूस—यूक्रेन युद्ध के बीच पश्चिमी देशों ने रूस को खाद्यान्न निर्यात करने के लिए सुरक्षित गलियारा देने की बात मानी है। यहां यह जानना दिलचस्प होगा कि दुनिया भर में रूस और यूक्रेन से ही सबसे ज्यादा खाद्यान्न निर्यात होता है। ये दोनों देश मिलकर विश्व की कुल आवश्यकता का लगभग करीब 35 प्रतिशत खाद्यान्न निर्यात करते हैं।
रूस ने कल मध्याह्न में घोषणा की कि वह खाद्यान्न निर्यात समझौते में वापस शामिल हो रहा है, क्योंकि उसे यूक्रेन से मार्ग में हमला न होने की गारंटी मिली है। रूस के रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय ने इस बारे में आश्वस्त होने के बाद समझौते को हरी झंडी दिखाई है। भारत, तुर्किए तथा संयुक्त राष्ट्र रूस से खाद्यान्न समझौते पर आगे बढ़ने की विनती कर ही चुके थे। इससे पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कह चुके थे कि यूक्रेन के खाद्यान्न निर्यात में बाधा डालने के लिए रूस के विरुद्ध दुनिया को सख्त प्रतिक्रिया करनी चाहिए।
रूस—यूक्रेन युद्ध के बीच, गत जुलाई माह में ही संयुक्त राष्ट्र की कोशिशों से यह खाद्यान्न समझौता रूस, यूक्रेन तथा तुर्किए के बीच तय हुआ था। इस करार में तुर्किए का काम शेष दोनों देशों के बीच सुरक्षा को लेकर भरोसा बनाए रखने की है। लेकिन पिछले शनिवार यानी 29 अक्तूबर को रूस इस बात से बौखला कर इस समझौते से हट गया था कि काला सागर से गुजर रहे खाद्यान्न से लदे उसके जहाजों पर ड्रोन से हमले बोले गए थे।
उधर रूस के करार से पीछे हटने की घोषणा के फौरन बाद दुनिया भर में अफरातफरी मच गई थी, वैश्विक बाजारों की गेहूं की कीमत बढ़ने लगी थी। इतना ही नहीं, हालात इतने खराब हो जाने का डर था कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और विश्व के अन्य बड़े नेताओं ने दुनिया के एक बड़े हिस्से में भुखमरी का कहर बरप जाने तक कीआशंका को लेकर चिंता व्यक्त की थी।
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