मोरबी पुल हादसे में देवदूत बनकर उतरे RSS-बजरंग दल के कार्यकर्ता, बचाई 15O से अधिक लोगों की जान

रविवार को गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी पर बने पुल के टूटने से हुए हादसे से पूरा देश स्तब्ध रह गया है। इस हादसे में अब तक 141 लोगों की मौत हो गई। साथ ही, लगभग 100 से भी अधिक लोग घायल हुए। एनडीआरएफ की टीमें, तीनों सेनाओं के जवानों के साथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के कार्यकर्ता भी लगातार लोगों की मदद कर रहे हैं।

Published by
Masummba Chaurasia

रविवार को गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी पर बने पुल के टूटने से हुए हादसे से पूरा देश स्तब्ध रह गया है। इस हादसे में अब तक 141 लोगों की मौत हो गई। साथ ही, लगभग 100 से भी अधिक लोग घायल हुए। एनडीआरएफ की टीमें, तीनों सेनाओं के जवानों के साथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के कार्यकर्ता भी लगातार लोगों की मदद कर रहे हैं। लापता हुए लोगों की तलाश की जा रही है।

सोशल मीडिया पर विश्व संवाद केंद्र भारत के द्वारा शेयर किए गए पोस्ट में स्पष्ट देखा जा सकता है कि मोरबी पुल हादसे के बाद सेना और पुलिस के जवानों के साथ मिलकर आरएसएस के कार्यकर्ता पीड़ितों की मदद कर रहे हैं। स्वयंसेवक घायलों को अस्पताल पहुँचाने में प्रशासन की मदद करते दिखे। वायरल हो रही तस्वीरों में देखा जा सकता है कि आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने घटना स्थल पर डोरियों के माध्यम से एक घेरा बनाया, जिससे पीड़ितों की मदद में तेजी लाई जा सके। उल्लेखनीय है कि रविवार को जिस वक्त मोरबी पुल टूटा उस दौरान करीब 400 से अधिक लोग पुल पर मौजूद थे औऱ सेल्फियाँ ले रहे थे।

जिस वक्त ये हादसा हुआ उस दौरान वहाँ पर बजरंग दल के भी कार्यकर्ता मौजूद थे। जैसे ही पुल गिरा लोग पानी में गिरने लगे। संकट को भाँपते हुए बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने नदी में छलांग लगा दी और करीब 170 से भी अधिक लोगों की जान बचाई। हादसे के वक्त वहाँ मौजूद बजरंग दल के कार्यकर्ता चिराग परमार ने कहा है कि पुल टूटते ही चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई थी। उन्होंने कहा है “पुल टूटने से पानी में गिरने के बाद कई लोग जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे थे। यह देखने के बाद हम लोग तुरंत ही बचाव कार्य में लग गए। इस दौरान, महिलाओं और छोटे बच्चों के डूबने का दृश्य दिल दहला देने वाला था।”

43 साल पहले भी हुआ था ऐसा ही दर्दनाक हादसा

उल्लेखनीय है कि करीब 43 साल पहले 11 अगस्त 1979 को भी मोरबी में मच्छू नदी पर बना एक बाँध टूट गया था। इसके कारण शहर में आए जल सैलाब ने सैकड़ों जिदंगियों को लील लिया था। जिस वक्त लोगों की सड़ रही लाशों को हाथ लगाने वाला कोई सामने नहीं आया तो उस दौरान भी आरएसएस के स्वयंसेवक आगे बढ़कर आए और ठेले पर रखकर शवों को बाहर निकाला था।

हादसे से सतर्क हुआ प्रशासन

मोरबी हादसे के बाद गुजरात सरकार सतर्क हो गई है। इसे ध्यान में रखते हुए अहमदाबाद की शान बन चुके ‘अटल ब्रिज’ से होकर गुजरने वाले लोगों की संख्या को तय किया गया है। नए आदेश के मुताबिक, इस पुल से अब एक समय में केवल 3000 लोग ही गुजर सकेंगे। बता दें कि इस ब्रिज का निर्माण 74 करोड़ रुपए की लागत से किया गया है। इस ब्रिज का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल 27 अगस्त को किया था। इस फुट ओवर ब्रिज को साबरमती नदी पर एलिस ब्रिज और सरदार ब्रिज के बीच बनाया गया है।

Share
Leave a Comment