विवादित भाषणों के चलते आजम खान के राजनीतिक सफर पर एक तरीके से विराम लग गया है। न्यायालय से तीन साल की सजा हो गई। विधानसभा की सदस्यता चली गई। 9 वर्ष तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। 74 वर्ष की अवस्था में आजम खान पर 9 वर्ष का प्रतिबंध, इस बात की ओर स्पष्ट इशारा करता है कि अब उनका सदन में प्रवेश लगभग असंभव है। आजम खान ने समाजवादी पार्टी के मंच से तमाम तरीके के विवादित भाषण दिए। जयाप्रदा के खिलाफ विवादित भाषण आजम खान ने दिया। उन भाषणों को लेकर भी काफी माहौल गर्म रहा। लोकसभा में विवादित बयान के कारण आजम खान को माफी भी मांगनी पड़ी थी।
बता दें कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में रामपुर से सपा प्रत्याशी रहे आजम खान ने 7 अप्रैल 2019 को एक जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर अमर्यादित बयान दिया था। रामपुर के जिलाधिकारी के लिए भी अमर्यादित टिप्पणी की थी। सजा तो फिलहाल इस मामले में हुई है मगर आजम खान के विवादित बयानों की काफी लंबी सूची है।
आजम खान ने 5 अप्रैल 2019 को एक जनसभा में मर्यादा की सभी हदें पार करते हुए भाषण दिया। उसमें उन्होंने जिला प्रशासन के अधिकारियों के बारे में अमर्यादित टिप्पणी की। अधिकारियों के बारे में उन्होंने कहा कि “लानत है ऐसी मां की कोख पर जिन्होंने ऐसे लोगों को जन्म दिया है।” आजम खान के खिलाफ इस मामले में रामपुर जनपद में एफआईआर दर्ज हुई।
27 दिसंबर 2018 को तीन तलाक के मुद्दे पर आजम खान ने कहा था “मुसलमानों के लिए कोई कानून मान्य नहीं है। मुसलमान सिर्फ कुरान मानता है। जो कुरान में कहा गया है, मुसलमान वही मानेगा। जो लोग कुरान को जानते हैं, उनको मालूम है कि तलाक की पूरी प्रक्रिया कुरान में दी हुई है।”
वर्ष 2017 में आजम खान ने सेना के जवानों को लेकर अमर्यादित टिप्पणी की। उन्होंने कहा था कि “कारगिल का युद्ध मुसलमान सैनिकों की वजह से जीता गया था।” उनके इस बयान की जमकर निंदा हुई थी। इस मामले में रामपुर के भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने रामपुर जनपद के थाना सिविल लाइन्स में 30 जून वर्ष 2017 को एफआईआर दर्ज कराई थी। आजम के इस विवादित बयान की सीडी भी पुलिस को उपलब्ध कराई गई थी।
‘मॉब लिंचिंग’ की घटनाओं पर 24 जुलाई 2018 को प्रतिक्रिया देते हुए आजम खान ने कहा था “मुसलमानों को डेयरी का व्यवसाय बंद कर देना चाहिए। कुछ नेताओं को कहते हुए मैंने सुना है कि मुसलमान गाय को अगर छूएगा तो उसे गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा।”
22 नवम्बर 2014 को मुलायम सिंह यादव का जन्म दिन भव्य तरीके से मनाया गया था। इसका इंतजाम आजम खान ने कराया था। मीडिया के लोगों ने जब आजम खान से पूछा कि जन्म दिन को इतने भव्य तरीके से मनाने के लिए पैसा कहां से आया है ? तब आजम खान ने कहा था “यह पैसा तालिबान और दाउद इब्राहिम ने भिजवाया है।”
अमर सिंह जब समाजवादी पार्टी में वापस आ रहे थे तब आजम खान ने कहा कि “जब तूफान आता है तो कूड़ा – करकट भी साथ में लाता है।” इसके पहले जब अमर सिंह और जयाप्रदा के विवाद में आजम खान समाजवादी पार्टी से निकाले गए थे। उस समय उन्होंने कहा था “एक रक्कासा (नाचने वाली ) के लिए मुझे पार्टी से निकाला गया है।” जयाप्रदा के किसी बयान पर प्रतिकिया देते हुए उन्होंने कहा कि “मै नाचनेवाली के मुंह नहीं लगना चाहता हूं।”
5 अक्टूबर 2017 को एक जनसभा में आजम खान ने कहा कि “इस देश का नौजवान नौकरी मांग रहा है। गोरखपुर की महिलाएं अपने मासूम बच्चों की मौत का हिसाब मांगती हैं तब बादशाह कहते हैं – रूक जाओ, मुझे गुजरात के कुछ और मासूमों को अभी तेजाब में जलाना है। बादशाह झूठ नहीं बोलते और जो झूठ बोलता है वो बादशाह नहीं होता।
अपने एक दूसरे बयान में आजम खान ने जहर उगला “मोदी जी की फौज के लोगों को जो ट्रेनिंग दी गयी है। उसी पर अमल शुरू हो गया है। 6 दिसंबर को जब बाबरी मस्जिद गिराई गयी। तब वहां पर एक पक्ष था जो मस्जिद को गिरा रहा था , दूसरे पक्ष के लोगों को पुलिस ने फैजाबाद की सरहदों पर रोक दिया था। एक पक्ष ने अपनी बहादुरी दिखाई थी। जो बहादुरी 6 दिसंबर को दिखाई गयी। वही बहादुरी,वही मर्दानगी उस समय कहां थी ? जिस वक्त बाबर ने या मीर बाकी ने इस मस्जिद को बनवाना शुरू किया था। सवाल सिर्फ इतना है कि यह मर्दानगी उस वक्त कहां थी, जो आज है?”
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