जर्मनी से प्राप्त ताजा खबर के अनुसार, जर्मन अधिकारियों ने फ्रेंकफर्ट में चीनी पुलिस के मौजूद होने की खबरों को गंभीरता से जांचना शुरू कर दिया है। पिछले कुछ समय से ऐसे समाचार मिलते रहे हैं कि चीन ने कई देशों की नीतियों और अन्य सरकारी कामकाज पर नजर रखने के लिए उन देशों में अपनी चौकियां बना रखी हैं जहां उनके पुलिस वाले दूतावास के साथ तालमेल रखते हुए गुपचुप अपना काम करते रहते हैं। ऐसी ही एक जानकारी जर्मनी से भी आई थी, जिसे लेकर अब वहां के अधिकारी हरकत में आए हैं।
समाचार एजेंसी रायटर की रिपोर्ट बताती है कि जर्मनी में अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या चीन फ्रैंकफर्ट में कोई अवैध पुलिस थाना चलाए हुए है। हालांकि वहां के चीनी दूतावास ने इस खबर पर किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी है।
जर्मन राज्य हेस्से में आंतरिक मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया है कि पुलिस और आंतरिक सुरक्षा सेवाएं स्पेन के संगठन ‘सेफगार्ड डिफेंडर्स’ की उस रिपोर्ट की जांच कर रही हैं, जिसमें बताया गया था कि चीन ने जर्मनी सहित लगभग 30 देशों में कोई अधिकृत जानकारी दिए बिना अपनी पुलिस के कार्यालय बनाए हुए हैं।
रायटर्स की रिपोर्ट आगे बताती है कि ‘फ्रैंकफर्टर आलजेमीएने’ अखबार में पहले छपी एक रिपोर्ट की पुष्टि करते हुए जर्मन अधिकारी ने कहा है कि चीनी पुलिस थानों के होने की जानकारी मिली है लेकिन अभी तक उन्हें फ्रैंकफर्ट में ऐसा कोई थाना देखने में नहीं आया है।
जर्मनी के मशीनी उपकरणों की चीन में लगातार बनी खपत की बदौलत जर्मनी पिछले करीब बीस साल से उस रास्ते काफी पैसा कमाता रहा है, लेकिन यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने कई देशों के नेतृत्व को अपने आर्थिक संबंधों को वर्तमान राजनीतिक समीकरणों के तराजू पर तोलने के लिए मजबूर किया है।

जर्मनी के सबसे बड़े बंदरगाह हैम्बर्ग के एक टर्मिनल में चीन सरकार की एक कंपनी के लिए कुछ हिस्सेदारी बेचने की अनुमति देने के अपने फैसले पर चांसलर स्कोल्ज़ पहले ही विदेशी सहयोगियों और अपनी सरकार के भीतर से आलोचना का सामना कर चुके हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि ऐसे में आर्थिक लाभ के नाम पर चीन को अपने यहां वे कितनी अंदर तक आने की अनुमति दे सकते हैं, इस पर उन्हें गंभीरता से विचार करना होगा।
अगले हफ्ते चीन के दौरे पर जाने वाले स्कोल्ज़ जर्मनी की बड़ी बड़ी कंपनियों के मालिकों का एक प्रतिनिधिमंडल भी साथ ले जाएंगे। हालांकि उनके इस दौरे की उनके राजनीतिक विरोधियों ने आलोचना की है। उनका कहना है कि बर्लिन को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को युद्ध से रोकने के लिए रूस के साथ पहले जो मेलजोल चला था उसकी नाकामी से सबक लेना चाहिए।
उधर दो दिन पहले, नीदरलैंड के अधिकारियों ने भी कहा था कि वे अपने देश में अवैध रूप से चल रहे चीनी कार्यालयों की जांच कर रहे हैं। प्रत्यक्षत: तो ये चीनी ठिकाने ड्राइविंग लाइसेंस के नवीनीकरण जैसे कामों में जुटे हैं। नीदरलैंड सरकार के इस कदम के पीछे ऐसे आरोप थे कि चीन के ऐसे ही एक ठिकाने पर उस चीनी असंतुष्ट नागरिक को प्रताड़ित किया गया था जो नीदरलैंड में ही निवास कर रहा है। हालांकि वहां स्थित चीनी दूतावास ने ऐसे किसी भी आरोप का खंडन किया था।
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