जयराम सरकार के इरादे हैं अटल संवारा है आज संवारेंगे कल
हिमाचल प्रदेश में सरकार ने अनेक योजनाओं का एक ऐसा तानाबाना तैयार किया है, जो राज्य के नागरिकों को स्वास्थ्य से लेकर रोजगार और विकास से लेकर शिक्षा तक सबकुछ उपलब्ध करा रहा है। यह तानाबाना अरबों रुपयों का है और ऐसा अनूठा वृक्ष है, जो फल भी दे रहा है, छांव भी दे रहा है, और इसके बावजूद यह एक बीज ही है, जिसे अभी और भी फलते-फूलते जाना है।
सबसे पहले देखते हैं एम्स बिलासपुर का मामला। केन्द्र सरकार ने 3 जनवरी 2018 को हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर (कोठीपुरा) में एम्स बनाने के लिए स्वीकृति दी। इसकी लगात 1 हजार 471 करोड़ रुपए है। इस एम्स में 750 बिस्तर होंगे।
इससे कितने लोगों को इलाज की सुविधा मिलेगी, और बाकी क्या विकास होगा, यह आप कल्पना कर सकते हैं। लेकिन साथ ही इसके मेडिकल कॉलेज में हर साल 100 एमबीबीएस छात्र और नर्सिंग कॉलेज में 60 नर्सें पढ़ाई करेंगी। यह प्रोजेक्ट न वादों में अटका, न कागजों में। मात्र तीन वर्ष के भीतर, 5 दिसंबर 2021 से, बिलासपुर एम्स में ओपीडी शुरू हो चुकी है। इसी वर्ष जून-जुलाई तक यहां मरीजों को दाखिल भी शुरू हो जाएगा।
यह ओपीडी उससे बहुत भिन्न है, जो काम जरा भी नहीं करते, लेकिन ढिंढोरा बहुत पीटते हैं। 5 दिसंबर 2021 से शुरू हुई एम्स की ओपीडी में शुरू होने के बाद से मरीजों को तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं, जिनमें रोगों की जांच-निदान के अतिरिक्त माइनर सर्जरी और डे केयर शामिल है।
चार मेडिकल कॉलेजों की स्थिति
1. महत्वपूर्ण तौर पर, नेरचौक मेडिकल कॉलेज पूरी तरह कार्य कर रहा है।
हमीरपुर, नाहन और चंबा मेडिकल कॉलेजों के निर्माण पर 935 करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च की जा रही है। इसमें से केंद्र सरकार की ओर से 510 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। राज्य सरकार भी करीब 50 करोड़ रुपये जारी कर चुकी है। अब इन मेडिकल कॉलेजों के निर्माण के लिए केंद्र सरकार को करीब 380 करोड़ रुपये और हिमाचल सरकार को करीब 44 करोड़ रुपये जारी करना भर शेष रह गया है।
2. अब आइए हमीरपुर मेडिकल कॉलेज पर। इस मेडिकल कॉलेज की प्रस्तावित लागत 355 करोड़ रुपये है। केंद्र सरकार की ओर से 170 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। राज्य सरकार भी 19 करोड़ रुपये जारी कर चुकी है। नई इमारत पूरी तरह तैयार है। प्रशासनिक और अस्पताल ब्लॉक का 43 फीसदी कार्य पूरा कर लिया गया है।
प्रॉजेक्ट पूरा होने की अनुमानित तिथि – सितंबर 2022
वास्तव में हमीरपुर में विकास कार्यों में अभूतपूर्व तेजी आई है। हमीरपुर जिले के लिए 96 करोड़ रुपए के नए कार्य स्वीकृत किए गए हैं। इससे जिले के लोगों की बिजली से संबंधित सभी समस्याएं दूर होंगी। यहां के खग्गल में 18.11 लाख से निर्मित 33 केवी विद्युत उपकेंद्र शुरू हो चुका है। गसोता में 5.50 लाख से निर्मित 33 के वी विद्युत उपकेंद्र शुरू हो चुका है। प्लास्टिक कचरा संग्रहण इकाई शुरू हो चुकी है, जिसकी लागत16 लाख रुपए आई है। उखली में 5 करोड़ 54 लाख रुपये की लागत वाले 33 के वी विद्युत उपकेंद्र का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। नादौन में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 30 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है। जिले में सडक निर्माण का कार्य युद्ध स्तर पर चल है।
वास्तव में सिर्फ हमीरपुर नहीं, बल्कि पूरे हिमाचल के साथ दोहरे लाभ की स्थिति बनी हुई है। आप चाहें, तो इसे डबल इंजन सरकार का लाभ कह सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिया है। केंद्र सरकार इस राज्य में 12 करोड़ शौचालय बनवा चुकी है। गरीबों को 3 करोड़ पक्के मकान दिए जा चुके हैं। केंद्र सरकार ने बिजली घर-घर तक पहुंचाने का कार्य, और हर घर नल से जल पहुंचाने का कार्य किया है। 2023 तक प्रदेश के हर घर में नल तथा स्वच्छ जल की सुविधा का काम पूरा हो जाना है। इसी प्रकार केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही आयुष्मान योजना से गरीब परिवारों को 5 लाख तक का मुफ्त इलाज करवाना संभव हो पाया है। और इसी तर्ज पर प्रदेश की जयराम ठाकुर सरकार ने हिम केयर योजना शुरू की।
प्रदेश सरकार 125 यूनिट फ्री बिजली की सुविधा दे रही है।
हिमाचल प्रदेश में कोरोना काल के 28 महीनों में 80 करोड़ लोगों को राशन वितरित किया तथा कोरोना की वैक्सीन नि:शुल्क लगाई गई।
3. 260.70 करोड़ रुपयेकी प्रस्तावित लागत वाले नाहन मेडिकल कॉलेज के लिए केंद्र सरकार 170 करोड़ रुपये जारी कर चुकी है। राज्य सरकार भी 17 करोड़ रुपये का योगदान दे चुकी है। नाहन मेडिकल कॉलेज और सिविल अस्पताल सराहां के लिए करीब सात करोड़ रुपये के स्वास्थ्य उपकरण जनता को समर्पित किए जा चुके हैं।
डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज नाहन में 5.18 करोड़ की लागत से 128 स्लाइस की आधुनिक सुविधा से लैस सीटी स्कैन मशीन और 1.03 करोड़ रुपये की डिजिटल एक्स-रे मशीन भी लगाई जा चुकी है। साथ ही करीब 35 लाख की लागत से सराहां सिविल अस्पताल में स्थापित पीएसए आॅक्सीजन प्लांट भी शुरू हो चुका है।
यह प्रॉजेक्ट पूरा होने की अनुमानित तिथि सितंबर 2022
4. लगभग तैयार हो चुके चंबा मेडिकल कॉलेज की प्रस्तावित लागत 319.53 करोड़ रुपये है। इसके लिए केंद्र सरकार ने 170 करोड़ रुपये जारी किए हैं, जबकि राज्य सरकार ने भी 14 करोड़ रुपये का योगदान दिया है।
यह प्रॉजेक्ट पूरा होने की अनुमानित तिथि- सितंबर 2022
अब एक नजर राज्य के मेडिकल कॉलेजों में ट्रॉमा सेंटरों की स्थिति पर। आईजीएमसी शिमला में लेवल-1 का, अर्थात सर्वश्रेष्ठ स्तर का, ट्रॉमा सेंटर है, जिसे आईजीएमसी नई ओपीडी बिल्डिंग में स्थापित किया जा रहा है। यहां पर दो मंजिलें ट्रॉमा सेंटर के लिए चिन्हित की गई हैं। इस कार्य हेतु केंद्र सरकार की ओर से 12.60 करोड़ और हिमाचल सरकार की ओर से 1.40 करोड़ जारी कर दिए गए हैं। यहां मशीनरी और अन्य उपकरणों के लिए ई-टेंडर फाइनल कर दिए गए हैं। इन पर करीब 12 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस ट्रॉमा सेंटर सहित नई ओपीडी ब्लॉक को पूरी तरह शुरू करने के लिए एक व्यक्ति की निजी जमीन को अधिग्रहित करने का काम चल रहा है।
जैसे ही न्यू ओपीडी ब्लॉक कार्य करना शुरू कर देगा ट्रॉमा सेंटर शुरू कर दिया जाएगा।
न्यू ओपीडी बिल्डिंग का कार्य लगभग पूरा किया जा चुका है।
टांडा मेडिकल कॉलेज ट्रॉमा सेंटर (लेवल-2)
- ट्रॉमा सेंटर के लिए 6.75 करोड़ रुपये केंद्र सरकार की ओर से जारी कर दिए गए हैं। जबकि 1.70 करोड़ रुपये दिए जाने बाकी हैं।
अभी तक ट्रॉमा केयर सेंटर सुविधाएं अस्पताल में ही उपलब्ध कैजुअल्टी में दी जा रही है। - 3.42 करोड़ रुपये को मशीनरी और अन्य उपकरणों की खरीद के लिए इस्तेमाल कर लिया गया है। बची हुई मशीनरी के लिए खरीद प्रक्रिया जारी है। बर्न यूनिट में मेडिकल गैस पाइप लाइन लगाने के लिए कार्य जारी है।
रामपुर : खनेरी (रामपुर) में लेवल-3 ट्रॉमा सेंटर का निर्माण कार्य जारी है। केंद्र और हिमाचल सरकार की ओर से निर्माण के लिए फंड जारी कर दिया गया है। मशीन और अन्य उपकरण के लिए केंद्र सरकार से 1.94 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
नालागढ़ : सिविल वर्क के लिए 62 लाख रुपये जारी हो चुके हैं। 75 फीसदी कार्य पूरा कर लिया गया है। मशीन और अन्य उपकरणों की खरीद के लिए 2.42 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए हैं।
कोटखाई : सिविल वर्क के लिए राशि जारी कर दी गई है। निर्माण कार्य की प्रक्रिया जारी है। मशीन और अन्य उपकरणों की खरीद के लिए 2.42 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए हैं।
सोलन : सोलन अस्पताल के कैजुअल्टी सेक्शन में ट्रॉमा केयर सुविधा दी जा रही है। इसी प्रकार क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर और कुल्लू में लेवल-3 ट्रॉमा सेंटर कार्य कर रहे हैं।
हमीरपुर मेडिकल कॉलेज ट्रॉमा सेंटर लेवल – 3
- ट्रॉमा सेंटर के निर्माण के लिए 81 लाख और मशीनरी सहित अन्य उपकरण खरीद के लिए 1.94 करोड़ रुपये जारी हो चुके हैं।
कुछ मशीनरी और उपकरण खरीद लिए गए हैं, जबकि कुछ के लिए खरीद प्रक्रिया जारी है। - नेरचौक मेडिकल कॉलेज स्थित ट्रॉमा सेंटर टाइप थ्री था, जिसे टाइप टू में परिवर्तित किया जा रहा है। नेरचौक ट्रामा सेंटर के लिए 2.75 करोड़ की राशि जारी हो चुकी है। यहां न्यूरोसर्जन और कार्डियोलॉजिस्ट (हृदय रोग विशेषज्ञ) की सेवाएं भी उपलब्ध कराने का प्रयास चल रहा है। इससे हृदयाघात या अन्य गंभीर बीमारी की स्थिति में यहां पहुंचने वाले मरीजों को तुरंत उपचार मिलेगा। हृदय में स्टेंट डालने या एंजियोग्राफी की स्थिति में ही मरीजों को आईजीएमसी शिमला या टांडा मेडिकल कॉलेज (कांगड़ा) से अटैच भी किया जा सकता है।
कार्डियक मॉनिटर, वेंटीलेटर की संख्या में बढ़ोतरी होने के साथ-साथ तत्काल आॅपरेशन के लिए यहां एक नया आधुनिक थियेटर बनाया जा रहा है। इससे पांच जिलों मंडी, कुल्लू, हमीरपुर, बिलासपुर और लाहौल-स्पीति के लोगों को फायदा होगा। नेरचौक मेडिकल कॉलेज में टाइप थ्री ट्रामा सेंटर आपात स्थिति में आने वाले मरीजों का जीवन बचाने में अहम भूमिका निभाता आ रहा है।
30 बिस्तर के इस सेंटर में 300 रोगियों का आपातकालिक उपचार उपलब्ध है। ट्रामा सेंटर में चार चिकित्सकों और 10 नर्सों की टीम हर समय तैनात रहती है। महीने में करीब 300 मरीज विभिन्न जिलों से इस ट्रामा सेंटर में पहुंचते हैं। इस ट्रामा सेंटर में आॅपरेशन थियेटर सहित अन्य सभी व्यवस्थाएं हैं। यहां सीटी स्कैन, एक्स-रे सहित अन्य टेस्टों की सुविधा मौके पर ही मुहैया करवाई जाती हैं। मरीज की हालात सुधरने पर ही उसे वार्ड में शिफ्ट किया जाता है। आपाद स्थिति वाले मरीजों को कठिनाई न हो सके, इस कारण ट्रामा सेंटर मेडिकल कॉलेज के मुख्य गेट के पास ही स्थापित किया गया है।
चंबा मेडिकल कॉलेज में लेवल – 3 का ट्रॉमा सेंटर है, इसके लिए 2.75 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। सीटी स्कैन और एमआरआई मशीन की सुविधा यहां उपलब्ध है।
नाहन मेडिकल कॉलेज में आथोर्पेडिक्स, जनरल सर्जरी, ओबीएस और गायनी, आंख, ईएनटी और पीडियाट्रीशियन 24 घंटे और सातों दिन स्पेशलाइज्ड ट्रीटमेंट उपलब्ध है।
6. आईआईएम सिरमौर
- केंद्रीय वित्त ने 10 जुलाई 2014 को बजट भाषण में हिमाचल प्रदेश के सिरमौर में आईआईएम खोलने की घोषणा की थी।
- वर्ष 2015-16 में अस्थाई भवन में इस संस्थान में सत्र शुरू हुआ और आज यहां 552 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
- आईआईएम संस्थान को स्थापित करने के लिए पूरा बजट केंद्र सरकार व्यय कर रही है। 392 करोड़ की लागत से संस्थान का कैंपस तैयार हो रहा है।
- 1010 बीघा भूमि संस्थान के नाम कर दी गई है। चार हॉस्टल की इमारतों, वर्चुअल लर्निंग सेंटर, मेस और फैकल्टी बिल्डिंग का आरसीसी का काम लगभग पूरा हो चुका है।
- फेज-1 के तहत इमारतों के निर्माण का 35 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है, बाउंड्री वॉल का काम 85% पूरा हो चुका है। अगस्त 2022 को शिलान्यास किया जाएगा।
उड़ान-1
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 27 अप्रैल 2017 को उड़ान-1 स्कीम का शुभारंभ किया था। इसके तहत अलायंस एयर ने शिमला के जुब्बडहट्टी एयरपोर्ट और दिल्ली के बीच मार्च 2020 तक उड़ानें भरीं।
- जहां नॉन सब्सिडाइज्ड हवाई सेवा के लिए शिमला से दिल्ली के लिए 19 हजार रुपये प्रति के हिसाब से किराया देना पड़ता था, वहीं उड़ान योजना के तहत शिमला से दिल्ली का हवाई सफर मात्र 22 सौ रुपये में हो रहा था।
- प्रदेश सरकार ने एलायंस एयर को उड़ानें शुरू करने का आग्रह किया था जिसके बाद उनकी ओर से प्रस्ताव आया है जिसपर विचार किया जा रहा है।
उड़ान-2 - इस स्कीम के तहत उड्डयन मंत्रालय मंडी के कांगणीधार, कुल्लू के मनाली, सोलन के बद्दी और शिमला के रामपुर को पवनहंस लिमिटेड की हेली सेवाओं से जोड़ रहा है।
- नागरिक उड्डयन मंत्रालय उड़ान-2 योजना के तहत प्रदेश में बनने वाले हेलीपोर्ट की लागत को रीइंबर्स करेगा।
- शिमला और बद्दी हेलीपोर्ट का काम पूरा हो चुका है, वहीं रामपुर और मंडी के कांगणीधार हेलिपोर्ट का काम प्रगति पर है। मनाली में हेलीपोर्ट का काम शुरू होना है।
उड़ान-3 - इस योजना के तहत नवंबर 2019 से चंडीगढ़-धर्मशाला-चंडीगढ़ के लिए हवाई सेवाएं जारी हैं।
उड़ान-4 - इसके तहत छह रूट प्रस्तावित हैं।
प्रस्तावित नए रूट:
देहरादून-शिमला-देहरादून
जम्मू श्रीनगर-कुल्लू-जम्मू श्रीनगर
अमृतसर-धर्मशाला-अमृतसर
चंडीगढ़-मनाली-चंडीगढ़
चंडीगढ़-शिमला-चंडीगढ़
चंडीगढ़-धर्मशाला-चंडीगढ़
8. ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट, मंडी
- 7 मई 2018 से 10 मई 2018 के बीच किए गए अध्ययन के बाद एयरपोर्ट अथॉरिटी आफ इंडिया (अअक) ने इस एयरपोर्ट को फिजिबल बताया। 3 दिसंबर 2018 से 15 दिसंबर 2018 तक आब्स्टैकल लिमिटेशन सरफेसिज (डछर) सर्वे किया गया और 21 सौ मीटर रनवे के लिए लिए 13 बाधाओं की पहचान की गई जिन्हें हटाया जाना जरूरी था।
- 15 जनवरी 2020 को हिमाचल सरकार और एयरपोर्ट अथॉरिटी आफ इंडिया के बीच जॉइंट वेंचर कंपनी के तहत मंडी एयरपोर्ट को विकसित करने के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हुए। इसमें प्रदेश सरकार की हिस्सेदारी 49 प्रतिशत और एयरपोर्ट अथॉरिटी आफ इंडिया की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत है।
- 21 जुलाई, 2021 का लिडार सर्वे करके एयरपोर्ट अथॉरिटी आॅफ इंडिया को रिपोर्ट सौंपी गई। इसके बाद 29 सितंबर, 2021 को एयरपोर्ट अथॉरिटी आफ इंडिया ने बताया कि मंडी में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट का निर्माण संभव है। संशोधित मास्टर प्लान प्रदेश सरकार को सौंपकर 500 एकड़ भूमि की जरूरत बताई गई।
- प्रदेश सरकार ने 13 जनवरी 2022 को एयरपोर्ट अथॉरिटी आफ इंडिया को संशोधित मास्टर प्लान को स्वीकृति देते की सूचना भेजी और डीपीआर तैयार करने का आग्रह किया।
- डीसी मंडी द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार, नागचला में निर्माण होने वाले एयरपोर्ट के लिए 2839 बीघा भूमि की जरूरत है। इसमें 2469 बीघा जमीन निजी और 370 बीघा जमीन सरकारी है।
- परियोजना के तहत आने वाले नए क्षेत्रों में सोशल इंपैक्ट असेसमेंट (रकअ) जारी है।
- चूंकि भूमि अधिग्रहण और निर्माण के लिए पूरा निवेश प्रदेश सरकार को करना है, ऐसे में नागरिक उड्डयन मंत्रालय से आग्रह किया था कि खश्उ समझौते में प्रदेश सरकार की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत और अअक की हिस्सेदारी 49 प्रतिशत कर दी जाए।
- अअक ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए संशोधित समझौता पत्र का ड्राफ्ट भेजा है जिसे प्रदेश सरकार के विधि और वित्त विभाग ने जांच लिया है। इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा गया है।
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