सामग्री
उत्तम श्रेणी के अरवा चावल, चीनी, खोया, सफेद तिल या खसखस और तलने के लिए घी।
यह बिहार की लोकप्रिय मिठाई है। इसे सामान्यत: बरसात के मौसम में खाया जाता है। दीपावली के समय भी कुछ घरों में इसे विशेष तौर पर बनाया जाता है। लड़की के विवाह के पश्चात सावन में मायके से डाल जाता है। इसमें अनरसा, कसार जैसी कई मिठाइयां होती हैं।
अनरसा मगध, विशेषकर गया का मशहूर है। यह खोए की स्टफिंग के साथ या बिना खोए के साधारण ढंग से भी बनाया जाता है। गया का बना अनरसा सबसे अधिक बनारस जाता है। इसके अलावा दिल्ली, पटना, रांची, धनबाद, प्रयागराज आदि शहरों में भी अनरसा भेजा जाता है।
बनाने की विधि
चावलों को बढ़िया से धोकर 10 से 12 घंटे या रात भर के लिए भिगोकर रखें। इसके बाद इन्हें पानी से निकालकर एक कपड़े पर आधे घंटे के लिए फैला लें, जिससे वे थोड़ा सूख जाएं। इन सूखे चावलों को मिक्सी में बारीक पीस लें। इसे महीन छलनी से छान लेंं। चावलों के अनुपात में पिसी हुई चीनी मिलाएं। इस मिश्रण में थोड़ा पानी और घी डालकर मुलायम होने तक गूंथें। इसे 15 से 20 मिनट तक के लिए ढक कर छोड़ दें। फिर इसकी छोटी-छोटी लोई बनाकर उनमें खोया भर दें। इन्हें बेलन से पूरी नुमा बनाएं। दोनों तरफ सफेद तिल लगाकर घी में तल लें। अनरसा तैयार है।
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