कोलकाता। पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) का फंड रोके जाने का मामला सामने आया है। इस पर ममता सरकार में मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने बुधवार शाम को सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि एनसीसी की ओर से जब तक पहले दिए गए रुपये के खर्च का हिसाब नहीं दिया जाएगा, तब तक और राशि नहीं दी जाएगी। वहीं, सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने दावा किया है कि इस महीने का पूरा फंड राज्य सरकार दे चुकी है। इन दोनों लोगों के इस तरह के बयान से सरकार भी सवालों के घेरे में आ गई है।
इससे पहले बुधवार को एनसीसी के प्रवक्ता बीबी सिंह ने पत्रकारों को जानकारी दी थी कि पश्चिम बंगाल सरकार ने एनसीसी को मिलने वाला 25 फ़ीसदी फंड लंबे समय से रोक रखा है, जिसकी वजह से एक लाख से अधिक छात्रों का भविष्य अधर में है। उन्होंने बताया कि फंड की कमी की वजह से नए कैंप आयोजित नहीं हो पा रहे हैं और छात्रों को बी और सी सर्टिफिकेट नहीं दिया जा पा रहा है। दरअसल, देश के सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों के लिए मुफ्त सैन्य प्रशिक्षण एनसीसी के जरिये दिया जाता है। इसके लिए 75 फीसदी राशि केंद्र सरकार देती है जबकि बाकी की 25 फ़ीसदी राशि राज्य सरकार की ओर से दी जाती है। नियम है कि जब तक राज्य सरकार फंड नहीं देगी, तब तक केंद्रीय फंड का भी इस्तेमाल नहीं हो सकेगा।
एनसीसी के प्रवक्ता बीबी सिंह ने बताया कि पश्चिम बंगाल सरकार को छह बार पत्र लिखे गए लेकिन फंड नहीं दिया जा रहा, जिसकी वजह से बंगाल में एनसीसी का प्रशिक्षण बंद होने के कगार पर है। खास बात यह है कि हाल ही में केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल में 100 दिनों की रोजगार गारंटी योजना मनरेगा का फंड रोक रखा था। राज्य सरकार की ओर से आवेदन किए जाने पर केंद्र की ओर से कहा गया था कि पहले दिए गए रुपये का हिसाब जब तक नहीं दिया जाएगा, तब तक फंड रिलीज नहीं होगा।
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