बृजवासी’ की 56 प्रकार की मिठाइयों के साथ ही शुद्ध देसी घी से निर्मित 8 प्रकार के नमकीन तथा बेकरी उत्पाद भी मशहूर हैं।
अनूठा नाता है ब्रज का मिठास से। ब्रज की उपासना, आराधना और समर्पण में ही इस मिठास का अंत नहीं है। यूं तो ब्रज की गलियां, हाट और बाजार रसीली मिठाइयों से सराबोर रहते हैं। लेकिन इस सबसे परे ‘बृजवासी’ की बात ही निराली है। मथुरा में जन्मभूमि के सामने ही नहीं, बल्कि वृन्दावन, गोवर्धन, मथुरा रिफाइनरी तक फैला शाखाओं का संजाल बरबस ही आगंतुकों को मोहता है।
‘बृजवासी मिठाईवाला’ के स्वामी सतीश अग्रवाल ने पाञ्चजन्य को बताया कि मथुरा के प्रसिद्ध विश्राम घाट पर उनके पिताजी श्री केशवदेव अग्रवाल की खोली एक छोटी सी दुकान से आज सालाना लगभग 37 करोड़ रु. के राजस्व वाला अव्वल ब्रांड बनने का 57 वर्ष का सफर मेहनत और गुणवत्ता बनाए रखने का परिणाम है। उनका मंत्र है तो बस यह कि ब्रजभूमि की प्रतिष्ठा को कायम रखते हुए स्वाद के पारखियों को उनकी रुचि की मिठास उपलब्ध कराते रहें।
मथुरा और तिस पर ‘बृजवासी’ के पेड़ेतो देशभर में प्रसिद्ध हैं। यूं तो पेड़े बनाने में मावा, रवा/बूरा या चीनी और इलायची मुख्य घटक रहते हैं, किंतु मावा को आग पर संतुलित भूनना और उसमें नपा हुआ मीठा मिलाना ही इनके स्वाद का आधार है। इसी तरह सोहन पापड़ी, बूंदी के लड्डू, डोडा बर्फी, बेसन लड्डू, काजू बर्फी, मुठिया लड्डू, मिल्क केक और रबड़ी की भी अपनी-अपनी पाकविधियां, लज्जत और रंगतभरी विशिष्टताएं हैं।
घी और मावा की मिठाइयों के साथ ही छैना मिठाई राजभोग, स्पंज, चमचम, खीरमोहन आदि का स्वाद भुलाए नहीं भूलता। सभी मिठाइयों को बनाने में घटकों के मिश्रण में आनुपातिक संतुलन महत्वपूर्ण होता है। सतीश जी बताते हैं कि प्रतिदिन ब्रज के गांवों से गुणवत्तायुक्त शुद्ध दूध इकठ्ठा किया जाता है, जिसका निजी प्रयोगशाला में नियमित परीक्षण होता है। 56 प्रकार की मिठाइयों के साथ ही शुद्ध देसी घी से निर्मित 8 प्रकार के नमकीन तथा बेकरी उत्पादों को भी स्वाद के जानकारों द्वारा खूब सराहा जाता है। ‘बृजवासी’ की 200 लोगों की टीम स्वाद के चहेतों के लिए निरंतर शानदार, सदाबहार शुद्ध मिठाइयां तैयार करती रहती है।
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