पेरिस में 20—21 अक्तूबर को संपन्न हुई फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक में पाकिस्तान के ग्रे सूची से बाहर होने की खबर पड़ोसी इस्लामी देश को ठंडक तो जरूर पहुंचाने वाली रही है, लेकिन अधिकांश रक्षा विशेषज्ञ इस फैसले से हैरान हैं। कारण, वे जानते हैं कि पाकिस्तान की पैंतरेबाजी भले एफएटीएफ के अधिकारियों को लुभा गई हो, लेकिन उस कट्टर इस्लामी देश में जिहादी गुट पहले से ज्यादा ताकतवर हो चले हैं और उनमें हुकूमत का कोई खौफ नहीं रह गया है।
इधर पाकिस्तान को मिली इस रियायत पर भारत ने साफ कहा कि एफएटीएफ की जांच में पाकिस्तान को खूंखार जिहादियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया गया है। भारत के विदेश मामलों के प्रवक्ता ने बयान में कहा है कि पाकिस्तान को अपने नियंत्रण वाले इलाकों से आतंकवाद और आतंकवाद को मिल रहे पैसे के विरुद्ध प्रामाणिक और सत्यापन के योग्य कदम उठाते रहने होंगे।
कल मीडिया के प्रश्नों के जवाब में विदेश विभाग के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हमने पेरिस में एफएटीएफ सम्मेलन के संदर्भ में पाकिस्तान से जुड़ी रिपोर्ट देखी है। हमारा मानना है कि पाकिस्तान मनी लांड्रिंग पर एशिया प्रशांत समूह (एपीजी) के साथ इस तरफ और आतंकवाद के वित्तपोषण रोधी प्रणाली को और कसने का काम जारी रखेगा।
उन्होंने कहा कि एफएटीएफ की जांच की वजह से ही पाकिस्तान खूंखार आतंकवादियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए मजबूर हुआ है। इनमें 26/11 को मुंबई में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के विरुद्ध किए गए हमले भी शामिल हैं। दुनिया के कल्याण के लिए पाकिस्तान को अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों से आतंकवाद और आतंकी वित्तपोषण के विरुद्ध प्रामाणिक, सत्यापन योग्य कार्रवाई निरंतर जारी रखनी होगी।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान पिछले चार साल से एफएटीएफ की ग्रे-लिस्ट बना हुआ था जहां से अब उसका नाम हटा दिया गया है। इस लिस्ट से नाम हटने के बाद पाकिस्तान अब अपनी अर्थव्यवस्था को मुसीबत से निकालने के लिए अंतरराष्ट्री मुद्रा कोष, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और यूरोपीय संघ जैसी संस्थाओं से पैसे की मदद लेने की कोशिश कर सकता है। एफएटीएफ के अध्यक्ष टी. राजा कुमार ने वर्चुअल प्रेस कान्फ्रेंस में बताया कि पेरिस में 20-21 अक्टूबर को हुई दो दिवसीय बैठक में पाकिस्तान और निकारागुआ को ग्रे लिस्ट से बहार करने का फैसला लिया गया है।
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